अपने बेगाने – आरती झा आद्या

मां मां मेरा मेडिकल का रिजल्ट आ गया.. अनूप उछलता हुआ अपने कमरे से निकला।

कुछ मत बोलना बेटा। जा ये खुशखबरी सबसे पहले अपनी यशोदा आंटी को बता आ.. अनूप की मां जया कहती है।

खुशखबरी है तुम्हें कैसे पता मां। अभी तक तो मैंने तुम्हें रिजल्ट बताया ही नहीं.. अनूप मां के आंचल से खेलता कहता है।

पगले तेरी चेहरे की चमक सब कुछ बता रही है। चल जल्दी चल.. घर का दरवाजा खोलती जया कहती है।

कितनी खुशी की बात है ना जया, अपना अनूप अब डॉक्टर बन जाएगा। अनूप बेटा बीते दिनों को याद रखना और लोगों की सहायता में कोई कसर नहीं छोड़ना.. भावुक होकर अनूप को गले लगाती यशोदा कहती है।

सुनते हो.. सब्जी का थैला लिए घर में घुसती यशोदा चीखती है।

क्या हो गया.. क्यूं गले फाड़ रही हो.. चश्मे के अंदर से पत्नी को देखते राघव कहते हैं।

वो रमेश भाईसाहब हैं ना उनके बेटे को कोरोना हो गया है। सुना है हालत खराब है उसकी। अस्पताल में जगह नहीं है और ऑक्सीजन सिलेंडर मिल नहीं रहा है। उठो चलो उनके घर… मास्क हटाते हुए यशोदा ने कहा था।

तुम्हें किसने बताया.. राघव चश्मा हाथ में लेते हुए पूछते हैं।

उनकी पड़ोसन सुमित्रा भी सब्जी ले रही थी, उसी ने बताया। कह रही थी अब ऐसे माहौल में कोई कैसे मदद कर। हद्द है भाई। चलो जल्दी..उठो भी .. यशोदा मास्क लगाती बोलती है।

कैसा है अनूप जया.. जया के घर में प्रवेश करते हुए यशोदा ने पुछा।

यशोदा को देख जया एक बगल खड़ी होकर रोने लगे।

भाईसाहब ऐसे समय में आपलोग यहां.. यशोदा और राघव को देख जया के पति रमेश आश्चर्य से पूछते हैं।

ये सब छोड़िए भाईसाहब। अनूप कैसा है बताइए .. यशोदा बैचेन होकर पूछती है।

क्या कहे। कुछ समझ नहीं आ रहा है। सांस लेने में तकलीफ होती जा रही है।ऑक्सीजन सिलेंडर के लिए कहां कहां प्रयास नहीं किया। हमें बाहर निकलने की मनाही है। आस पड़ोस वाले और रिश्तेदार तो बात भी नहीं कर रहे हैं। मुंहमांगी कीमत देने के लिए तैयार हैं हम। फिर भी.. पता नहीं किस्मत को क्या मंजूर है .. रमेश की आंखो से आंसू गिरने लगे।

सब ठीक हो जाएगा.. कहकर यशोदा और राघव द्रुतगति से वहां से निकल गए।

शाम होते ना होते यशोदा और राघव एक डॉक्टर और ऑक्सीजन सिलेंडर के साथ जया के घर पहुंच गए।

ओह इनका ऑक्सीजन लेवल तो बहुत नीचे चला गया है.. बोलकर डॉक्टर जल्दी जल्दी ऑक्सीजन सिलेंडर लगाने लगा।

क्या सोच रही हो जया.. आज तो इतनी प्रसन्नता का दिन है। हमारा अनूप अब डॉक्टर बन जाएगा.. पत्नी जया को ख्यालों में गुम देख कंधे पर हाथ रखते रमेश ने कहा।

बस उन दिनों को सोच रही थी। अगर यशोदा तारणहार बन कर नहीं आती तो जाने क्या होता.. जया पति से कहती है।

तुम लोग जया के बारे में क्या क्या कहते थे। घमंडी है.. किसी से सीधे मुंह बात नहीं करती.. तुमलोग की तरह गॉसिप विमेन नहीं है इसीलिए किसी को पसंद नहीं थी वो याद है ना… रमेश पत्नी की हंसी उड़ाते हुए कहते हैं।

सब याद है। सुनी सुनाई बातें ही मैं भी बोलती थी। पर देखो ना जब सबने साथ छोड़ दिया। अपनों ने भी बेगानों सा व्यवहार किया तब यशोदा बिना किसी डर के वो सब कुछ कर गई.. जिसकी उम्मीद हमने अपनों से कर रहे थे। बेगानी होकर भी अपनी हो गई और कभी जताया भी नहीं.. जया बीते दिनों को याद कर कहती है।

कह तो सही रही हो तुम और मेरे साथ एक और अच्छी बात हुई थी, जो कि तुम्हें नहीं पता है… रमेश गंभीर होता हुआ कहता है।

ऐसी क्या बात हुई जो मुझे नहीं पता.. घोर आश्चर्य से जया पूछती है।

यही कि मेरी बीवी भी अब गॉसिप विमेन से ऑथेंटिक विमेन बन गई और अब ज्यादा अपनी लगने लगी है.. जोर का ठहाका लगाते हुए रमेश कहते हैं।

#पराए_रिश्तें_अपना_सा_लगे

आरती झा आद्या

दिल्ली

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