एक तीर दो निशाने – सीमा वर्णिका 

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“मेहरा साहब आपने वही सुना जो हमने सुना,” गुप्ता जी बोले ।

“अरे! वही ‘अग्निवीर भर्ती योजना’ की बात कर रहे हैं,” मेहरा साहब व्यंग्यात्मक मुस्कान लाते हुए बोले ।

” अच्छा मौका है एक तीर से दो निशाने ,”गुप्ता जी की शातिर आँखों में चमक आ गई ।

” सही कह रहे हो गुप्ता जी .. चूकने का वक्त नहीं.. आगामी चुनाव में टिकट भी तो लेना है,” मेहरा जी ने सुर में सुर मिलाते हुए बोले । 

” सुनो अभय तुम यहाँ फार्म हाउस पर तुरंत आ जाओ..कुछ जरूरी काम है,” गुप्ता जी छात्र संगठन के अध्यक्ष से फोन पर कहा । 

” जी माननीय आदेश करें .. क्या सेवा करनी है,” अभय कुछ देर बाद गुप्ता जी के सामने खड़ा पूछ रहा था ।

” अग्निवीर भर्ती योजना फेल करानी है समझे,” मेहरा जी कुटिल मुस्कान लाते हुए बोले ।

” तुम्हारे घर फल मेवा आदि पहुँच जाएगा, ” गुप्ता जी ने हँसकर कहा ।

अभय ने दो चार फोन वहीं से किए और आश्वासन देकर चला गया ।

टी.वी. पर समाचार आ रहा था.. शहर में जगह-जगह युवा भड़क गए हैं और तोड़फोड़ आगजनी शुरू हो गई है।

” चलिए गुप्ता जी..चला जाए.. दंगे शांत कराने हैं अरे! भाई.. यह सब दंगा फसाद देश के विकास में बाधक है,” मेहरा साहब ठहाका लगाते हुए बोले। 

सीमा वर्णिका 

कानपुर, उत्तर प्रदेश

 

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