अनुशासन या हुकूमत..? – रोनिता कुंडु : Moral stories in hindi

Moral stories in hindi  : लेडीज एंड जैंटलमैन..! अटेंशन प्लीज..! आज की यह शाम मेरे सी ए बेटे पवन सक्सेना के नाम… रमेश ने कहा, फिर पूरी शाम तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठी

रमेश: आज मैं आप सभी के साथ अपनी फिलिंग्स शेयर करना चाहता हूं… आज मुझे अपने बेटे पर काफी गर्व हो रहा है और इसी गर्व के साथ इसे मैं अपने ही कंपनी में बतौर सी ए के पोस्ट पर हायर करता हूं.. सच में बेटा आज तुमने यह साबित कर दिया कि तुम मेरे ही बेटे हो… आज तुम्हारी पहचान बताकर मैं बता नहीं सकता कैसा महसूस कर रहा हूं..? 

उसके बाद सभी आ आकर रमेश को बधाई दे रहे थे और उसे कह रहे थे कि, यह आपके ही अनुशासन और परवरीश का नतीजा है, जो पवन आज यहां तक पहुंच पाया और रमेश अपनी तारीफ सुनकर अपना बखान करते हुए कहे जा रहा था, हां भाई अब बेटा लायक बने इसके लिए एक पिता को ही तो पूरी मेहनत करनी पड़ती है… मैंने बचपन से ही इसे ऐसे कंट्रोल में रखा, जिसकी रंगत आज दिख रही है..

वरना कुछ लोग तो घर के लेडिस पर बच्चों की जिम्मेदारी छोड़ सोचते हैं उनके बच्चे कुछ कर लेंगे, पर लेडिस लोगों का तो आप लोगों को पता ही है, अरे उन्हें अपने मेकअप सोसाइटी की पंचायती से ही फुर्सत मिले तब तो कुछ और करें ना..? पता नहीं यह किस मूर्ख ने कहावत बनाई है कि एक कामयाब मर्द के पीछे एक औरत का हाथ होता है… औरत का हाथ तो सिर्फ और सिर्फ झगड़ा बढ़ाने में ही होता है.. रमेश ऐसा कहकर जोरों से हंस पड़ता है, साथ में उसके दोस्त भी.. 

पवन भी वहां खड़ा था, जब रमेश सबसे यह बातें कह रहा था.. उनकी बातें सुनते सुनते उसकी नज़र अपनी मम्मी नम्रता पर गई.. वह मेहमानों के आव भगत में व्यस्त थी, पर जब भी पवन की बात होती वह रूक कर सुनती और आंखों में आंसू लिए ताली बजाती, फिर वापस अपने काम में लग जाती.. पवन कुछ देर अपनी मम्मी को यूं ही देखता रहा, फिर वह तुरंत स्टेज पर भाग कर गया और यूं कहने लगा.. 

लेडीज एंड जैंटलमैन..! अटेंशन प्लीज… अभी-अभी मेरे पापा ने आप सबको बताया मेरी अचीवमेंट के बारे में, पर मैं यहां तक पहुंचा कैसे..? यह मैं आप सबको बताना चाहता हूं.. पता है मेरे स्कूल के हर फंक्शन में पीटीएम में हमेशा मम्मी ही जाती थी, क्योंकि पापा हमेशा बिजनेस टूर पर होते थे,

मेरे मार्क्स अगर खराब आए तो मम्मी से कहते थे, जैसे मां वैसा बेटा, बिल्कुल नकारा, पूरा दिन घर पर रहती हो एक बच्चे को सही से संभाल नहीं सकती? खुद तो कभी कुछ किया नहीं इसे भी अपने जैसा बनाने का इरादा है क्या..? तुम तो औरत हो इसलिए गुजारा हो गया, पर यह तो लड़का है, कल को जब सब मुझसे पूछेंगे मेरा बेटा क्या करता है..? तो मैं क्या कहूंगा..? समाज में मेरी भी एक इज्जत है जो तुम मां बेटे की वजह से मिट्टी में मिल रही है.. 

सच कह रहे हैं पापा, उनके अनुशासन ने ही मुझे यहां तक पहुंचाया, पर वह अनुशासन इनके नजर में था, मेरी नजर में तो वह बस हुकूमत थी… कुछ भी बुरा हो जाए तो मैं मम्मी का बेटा और जो कुछ अच्छा कर लूं तो इनका बेटा.. वाह पापा क्या पहचान देते हैं आप जो समय के हिसाब से बदलता रहता है..? आपने कभी मुझसे प्यार से बात की है..? जब भी मिले हैं बस पढ़ाई कैसी चल रही है इस सवाल के अलावा और पूछा ही क्या है..?

आप अभी जिस कहावत पर हंस रहे थे ना, कि एक कामयाब आदमी के पीछे एक औरत का हाथ होता है, इसका हर एक शब्द सही बना है, पता है पापा जहां आपका अनुशासन मेरा दम घोटता था, वही मम्मी का प्यार मुझे कुछ कर जाने की शक्ति देता था.. उनका प्यार मेरे मार्क्स पर डिपेंड नहीं था,

आपके डांट कर चले जाने के बाद वह मुझे पढ़ाती थी, मेरे साथ एग्जाम में वह जागती थी, दिन भर पूरे घर का काम कर, वह पूरी तरह से थकी होने के बावजूद मेरे लिए जग कर मेरा हौसला बढ़ाती थी.. पर जो इतना करने के बाद भी मेरे मार्क्स अच्छी नहीं आते थे तो वह हंस कर कहती कोई बात नहीं बेटा, हमें मेहनत थोड़ी और बढ़ानी होगी.. आज सिर्फ मेरी मेहनत नहीं मेरी मम्मी की मेहनत भी रंग लाई है और पापा कितने आराम से पूरा श्रेय आपने खुद को दे दिया..?

पर पता है आप सबको यह गलती सिर्फ मेरे पापा की ही नहीं है, हमारे पूरे समाज की है, एक लड़की अपनी फैमिली अपने सपने यहां तक की अपनी पहचान छोड़कर आती है.. एक नई फैमिली में आकर वह सबको अपनी पहचान बनाने के लिए प्रेरित और मदद करती है.. पर अंत में उसकी पहचान ही गुप्त रह जाती है..

सुबह नींद से उठने से लेकर रात को सोने तक वह भागती रहती हैं, किसके लिए..? पर बदले में उसे प्यार और सहानुभूति की जगह ताने और अवहेलना मिलते, तो उसका दिमाग भी खराब हो जाता है कभी-कभी, तब वह अपने लिए कुछ बोलती है, जिसे कुछ लोग औरत बस झगड़ा ही कराती है, यही कहते हैं.. आज मैं जो कुछ बना सिर्फ अपनी मम्मी की वजह से और आज मुझे यह कहते हुए बेहद गर्व महसूस हो रहा है, मेरी पहचान मेरी मम्मी की देन है.. 

पवन की बात सुनकर वहां सभी खामोश खड़े थे और नम्रता बस अपने आंसू पोंछे जा रही थी.. तभी थोड़ी देर बाद रमेश धीरे-धीरे चलता हुआ पवन के पास आता है और उसे गले लगा लेता है.. जिससे पवन के भी आंसू आ जाते हैं.. फिर रमेश कहता है सच कहते हैं लोग आज की पीढ़ी बड़ी खतरनाक है..

यह जो देखते हैं वही बोलने की हिम्मत भी रखते हैं.. पर हमारी पीढ़ी सब कुछ देखकर भी मूक बनी रहती थी क्योंकि हमें बड़ों के ऊपर बोलने का अधिकार नहीं था.. चाहे वह न्याय हो या अन्याय… माफ कर दो बेटा आज मुझे तुमने वह आइना दिखाया है जिससे आज सिर्फ मेरा ही चेहरा नहीं यहां मौजूद कईयों ने अपना असली चेहरा देख लिया होगा.. उसके बाद रमेश नम्रता से भी माफी मांगता है और गंभीर माहौल थोड़ा हल्का हो जाता है, फिर वापस से सभी पार्टी में मसरूफ हो जाते हैं…

धन्यवाद 

रोनिता कुंडु

#पहचान

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