अंतहीन खुशी – अंजना ठाकुर : Moral stories in hindi

नीतू इस तनाव मैं घुली जा रही थी की मां  की बीमारी  के लिए पैसों का इंतजाम कहां से करे  अचानक पता चला मां को कैंसर है जिसका इलाज काफी महंगा है और उसके पापा तो एक मामूली नौकरी करते है उस पर दो बेटियों की जिम्मेदारी

दोनों की शादी करने मैं ही जमा पूंजी खत्म हो गई थी  ।

नीतू की शादी उसी शहर मैं एक अमीर परिवार मैं हुई थी जबकि उसकी बहन की एक साधारण परिवार मैं वो दूसरे शहर मैं रहती थी । नीतू की मां की तबीयत दो -तीन दिन से ज्यादा खराब थी तो वो रहने आई थी टेस्ट कराने पर पता चला उन्हें गर्भाशय कैंसर है जिसे ऑपरेशन के जरिए निकालना पड़ेगा ।

नीतू के ससुराल मैं पैसा तो बहुत था पर वो लोग बहुत कंजूसी से रहते थे ।नीतू को भी ज्यादा खर्च करने की आदत नहीं थी क्योंकि वो खुद ही एक साधारण परिवार से थी ।लेकिन सोचती की क्या फायदा इतने पैसों का जब ये इतना मन मारकर रहते है ।कई बार वो अपने पति रूपेश से कहती की आप इतने कंजूस क्यों हो तो वो बोलते की कंजूसी और फिजूल खर्ची मैं फर्क होता है ।

पर नीतू फिर भी कई बार ताना सा मार देती हालांकि जरूरत के सामान के लिए कभी कोई मनाही नहीं थी नीतू की ससुराल मैं सब समझदार लोग थे ।कभी नीतू को किसी बात के लिए ताना नहीं मारा की तुम्हारे मायके से कुछ नहीं आता ।पर नीतू को उनका कंजूसी से रहना अखरता उसे लगता जो इच्छाएं वो मायके मैं पूरी नहीं कर पाई वो यहां कर ले ।पर रूपेश हमेशा टोक देते फिजूलखर्ची करने को ।इस बात पर उसे रूपेश पर गुस्सा आता यही सोचकर उसने रूपेश से तो मदद मांगने का सोचा ही नहीं।।

नीतू सोच रही कैसे इंतजाम करे दीदी भी कहां से मदद करेगी ।इधर बीमारी और खर्चे की बात सुनकर माता – पिता भी तनाव मैं ही थे ।एक दो रिश्ते दार से भी बात करी पर सबने बहाना मार दिया ।

शाम को रूपेश मिलने आया की हाल चाल भी पूछता चलूं उसने नीतू को परेशान देख वजह पूछी ।नीतू सोच रही इनसे कहने का क्या फायदा ये कौन सी मदद कर देंगे पर बार बार पूछने पर उसने बता दिया की पैसों के इंतजाम से परेशान है ।

रूपेश बोला इतनी सी बात तुमने पहले क्यों नहीं बताई तुम ऑपरेशन की तारीख ले लो खर्चा हम उठा लेंगे ये मेरे भी माता -पिता समान है ।

बात सुनकर नीतू को कानों पर यकीन नहीं हुआ बोली आप खर्चा उठाएंगे ..?

रूपेश बोला मुझे पता है तुम क्या सोच रही हो। की ये कंजूस इतने पैसे खर्च करेंगे ।

सुनकर नीतू झेंप गई वो यही सोच रही थी ।

रूपेश ने कहा मैंने तुम्हें पहले भी कहा है कंजूसी और फिजूलखर्ची मैं फर्क है ।मैने घर मैं यही सीखा है लेकिन जरूरी काम के लिए पैसा खर्च करना भी जरूरी है ये भी सीखा है।

चलो अब तुम चिंता छोड़ो और तैयारी करो नीतू की मां राजी नहीं थी की दामाद से पैसे लेने पड़ेंगे तब रूपेश बोले आपका बेटा होता तो नहीं लेती क्या ।

नीतू का तनाव खत्म हो गया था और गलतफहमी भी की कंजूस और फिजूल खर्ची मैं अंतर समझ आ गया रूपेश के लिए दिल मै प्यार बढ़ गया अब उसने सोच लिया कभी ताना नहीं मारेगी ।आज रूपेश ने उसे अंतहीन खुशी दे दी थी ।।

#तनाव 

स्वरचित

अंजना ठाकुर

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