आखिर इतना दिखावा क्यों…? – रोनिता कुंडू

पापा..! देखिए मेरी फ्रेंड शीना की शादी के फोटोग्राफ्स… उसकी शादी कितनी खास तरीके से हुई है… देखिए पुल वेडिंग… कितना ऑसम है ना..! पापा..! आप मेरी भी ऐसी ही शादी करवाएंगे ना..?

अनोखी ने अपने पापा मुकुंद जी से कहा…

मुकुंद जी: बेटा..! शीना के पापा खानदानी रईस लोग हैं… उनके लिए यह सब आम है… पर हम इतना अफॉर्ड नहीं कर सकते… बेटा..! शादी में जरूरी है रस्मों रिवाज, परिवार वालों का साथ… तो फिर इन सब दिखावे की क्या ज़रूरत है..? और खासकर तब, जब उसकी हैसियत ना हो…

अनोखी: नहीं पापा..! मैं तो ऐसे ही शादी करूंगी… क्या आप नहीं चाहते आपकी बेटी भी इसी तरह की फोटो डाले फेसबुक पर..? वह भी इतराए अपनी शादी पर..?

मुकुंद जी: पर बेटा..?

अनोखी: पर वर… कुछ नहीं… मुझे ऐसी ही शादी करनी है… आप चाहे तो रिश्तेदारों में कटौती कर दीजिए… क्या ज़रूरत है इतने लोगों को बुलाने की..?

मुकुंद जी: बेटा..! शादी में हजारों रस्में होती है… जो की रिश्तेदारों के साथ ही संपन्न होती है…. शादी भले ही सादगी से हो, पर रिश्तेदार उसमें चार चांद लगा देते हैं… इतने तामझाम का क्या फायदा, जब उसमें कोई रिश्तेदारी शामिल ना हो..?

अनोखी: ऑफ हो पापा..! रिश्तेदार आंए ना आंए, पर शादी तो मेरी पुल वेडिंग ही होगी… अब आप देख लीजिए, आप दोनों कैसे मैनेज करेंगे..? यह कहकर अनोखी वहां से चली जाती है और इधर मुकुंद जी परेशान होकर सोचने लगते हैं, अब इतने सब का इंतजाम वह भी सिर्फ 3 महीनों में वह कैसे कर पाएंगे..?

इसी बीच उन्होंने अनोखी को समझाने की भी बहुत कोशिश की, पर अनोखी अपने फैसले से टस से मस ना हुई…




यही सब सोचते सोचते मुकुंद जी को दिल का दौरा पड़ जाता है और उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया जाता है…

अस्पताल में इलाज के दौरान काफी पैसों की ज़रूरत आन पड़ी तो, अनोखी की मां FD तुड़वाने की बात कर रही थी… पर उन्हें तभी पता चलता है कि, मुकुंद जी तो वह FD अनोखी की शादी के लिए पहले ही तुड़वा चुके हैं… तो अब..? अब कैसे होगा इलाज मुकुंद जी का..?

अनोखी भी आज अपने पापा को इस हालत में देख, अपनी पुल वेडिंग की बात बिल्कुल ही भूल गई थी और वह लगातार अपने रवैया के लिए उनसे माफी भी मांगी जा रही थी…

बहुत कोशिशों और भागा दौड़ी के बाद मुकुंद जी स्वस्थ होकर घर लौट आते हैं और आते के साथ ही, अपनी पत्नी रेखा जी से पूछते हैं… अच्छा..! मेरे इलाज का खर्च कैसे किया तुम लोगों ने..? अस्पताल में भी पूछना चाहता था, पर हालत वैसी नहीं थी कि कुछ पूछ पाता…

रेखा जी: अभी आप आराम कीजिए… इन सब के बारे में बाद में बात करेंगे…

मुकुंद जी: मैं अभी ठीक हूं और मुझे अभी सब कुछ जानना है…

रेखा जी तो शांत ही खड़ी रही, पर अनोखी ने कहा… आपने जो गहने मेरे शादी के लिए बनवाए थे… उन्हीं में से कुछ..?

अनोखी का इतना कहना हुआ नहीं, कि मुकुंद जी बोल उठे… किसने कहा था उन गहनो को हाथ लगाने..? अब क्या मेरी बेटी को ऐसे ही विदा करूंगा..? लोग क्या कहेंगे..? उसके ससुराल वाले क्या सोचेंगे..?

अनोखी: पापा..! जब उस दिन मैंने पुल वेडिंग की जिद्द पकड़ी थी और कहा था कि रिश्तेदारों को ना भी बुलाए तो चलेगा… तब आपने कहा था, हमारी जितनी हैसियत उतना ही करना चाहिए…

दिखावे में जाकर, हम शानो शौकत दिखाकर खुश नहीं हो सकते… अगर उसमें शामिल होने वाला कोई ना होगा… तो फिर अगर इन गहनों को पहनकर मैं शादी में बैठ भी गई, तो क्या मैं खुश हो पाऊंगी..? जो मेरे पापा ही मेरे साथ नहीं होंगे… अगर पुल वेडिंग दिखावा है तो, यह गहने भी तो दिखावा ही है… हम अपनी बेटी को अपनी मर्जी से जो भी दे.. जरूरी नहीं कि वह लोग क्या सोचेंगे यह सोचकर दे…. पापा..! सच में हम दिखावे के चक्कर में 2000 में निपटने वाले छोटे-छोटे अनुष्ठान, में भी दो लाख खर्च कर देते हैं…




हम जितना खर्च अपने बच्चों की पढ़ाई में नहीं करते, उससे कहीं ज्यादा उसकी शादी में कर देते हैं… अगर हमारे पास नहीं है, तो भी कर्ज लेकर करते हैं… मुझे समझ आ गया है, जिसको दिखाने के लिए हम इतना तामझाम करते हैं… वही उसका नुक्स निकालेगा और जब हम मुसीबत में होंगे, तो वही हमारे इस इर्द गिर्द भी नहीं भटकेगा… तो क्यों करें हम यह फालतू के दिखावे..? शादी ही तो करनी है, जो सादगी से भी किया जा सकता है… जिसकी जितनी हैसियत उतना दिखावा… कर्ज लेकर दिखावा करना, मतलब अपने सुखी जीवन में अशांति लाना…

मुकुंद जी अनोखी की बातों को सुनकर कहते हैं… अगर मुझे पता होता कि, मेरे बीमार पड़ने से मेरी बेटी में इतनी अक्ल आ जाएगी… कसम से, मैं कब का बीमार पड़ गया होता…

फिर अनोखी अपने पापा को गले लगाकर हंसने लगती है…

धन्यवाद
मौलिक/स्वरचित/अप्रकाशित
#दिखावा

रोनिता कुंडू

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