बेटे का निर्णय -माधुरी गुप्ता : Moral Stories in Hindi

तीन साल का विनय जैसे ही सोकर उठा,बाहर के रूम से चीखने चिल्लाने की आवाजें आ रही थीं।

डरा सहमा विनय अपनी मां सरला के पीछे चुपचाप खड़ा हो गया।बैसे घर में इस तरह का ड्रामा रोज ही होता था।विनय को समझ ही नहीं आता था कि उसके पेरेंट्स के बीच आखिर रोज झगड़ा होता क्यों है।

उसका बालमन कुछ समझ पाता कुछ नही,लेकिन उसके मन में अपने पिता के लिए नफरत घर करने लगी। वह जब भी झगड़े के बाद मां को रोते हुए देखता अपनी नन्ही नन्ही हथेलियों से मां के आंसू पौंछ देता। कभी कभी मां के साथ खुद भी रोने लगता।

धीरे धीरे समय बीतता रहा,विनय का रिजल्ट आया था,उसने हाईस्कूल की परीक्षा में टॉप किया था।

इस खुशी को सेलीब्रेट करनेके लिए,सरला जी ने अपने घर में एक छोटी सी पूजा का आयोजन रखा था,और विनय के पापा से हाथ जोड़ कर विनती की थी कि प्लीज़ आज के दिन आप शराब का सेवन न करके जल्दी घर वापस आजए और अपने बेटे की खुशियों में शामिल होकर उसे आगे बढ़ने के लिए अपना आशीर्वाद दें, विनय को भी यह बहुत अच्छा लगेगा।आखिर तो उसे भी तो अपने पापा के प्यार की जरूरत है।

पूरी बात सुन कर विनय के पापा ने आद्तानुसार चिल्ला कर कहा,बेटा। किसका बेटा? मेरा कोई बेटा नहीं है, न जाने किसका पाप मेरे सिर मढ कर उसको मेरा बेटा बता रही हो।ये कैसी बाते कर रहे हैं आप,धीरे बोलिए,विनय सुनेगा तो उसे बहुत दुख पहुंचेगा।आज उसके लिए बहुत खुशी का दिन है।

आप शायद नशे में है इसलिए ऐसी-ऐसी बातें कर रहे हैं।हमारी विधिवत शादी हुई थी,औरजब विनय का जन्म हुआ था तो आप कितने खुश थे,न जाने हमारी खुशियों को किसकी नजर लग गई।विनय के जन्म के बाद आप ऑफिस से समय से घर आजमाते और विनय के साथ खूब खेलते,साथ ही यह भी कहते ,देखना सरला अपने बेटे को मैं खूब बड़ा आदमीबनाऊगा।

पूजा कीसारी तैयारियां करके सरला अपने पति का

इन्तजार करती रही,लेकिन उनके पति को न आना था ,वे नहीं आए। सरला जी की आंखें दरबाजे की तरफ लगी हुई थी।पूजा समाप्त होने पर जब पंडित जी ने कहा कि अब पति पत्नी आकर एकसाथ आरती करें तो सरला जी को झूठ बोलना पड़ा कि पंडित जी विनय के पापा को आज सुबह ही ऑफिस का जरूरी कामआजाने से बाहर जाना पड़ा,वे तो कल तक ही लौट पाएंगे।आरती मैं व विनय कर लेंगे।

पूजा खत्म होने के बाद जव सब लोग चले गए तो विनय के पापा ने घर में प्रवेश किया,मना ली न खुशियां अपने लाड़ले की।सरला ने कोई जबाव नही दिया, साथ ही उसने विनय को भी चुप रहने का इशारा किया।आज के दिन वह अपना व बेटे का मूड खराब नहीं करना चाहती थी।

विनय ने समय की गति के अनुसार इन्टरमीडिएट की परीक्षा भी पास करली थी,साथ ही कोचिंग भी जॉइन कर ली थी कम्प्यूटर की।

कईएक कम्पनियों में उसने अपना रिज्यूम डालदिया था।एक बड़ी मल्टीनेशनल कम्पनी में इन्टरव्यू देने के बाद उसको नौकरी मिल गई, साथ ही पैकेज भी बहुत अच्छा था।

नौकरी लगते ही उसने अपने लिए एक फ्लैट की बुकिंग करली थी। पहली तनख्वाह मिलते ही उसको अपने फ्लैट की मिलने की सूचना भी मिली।आज विनय बहुत खुश था, मन्दिर जाकर मिठाई लेकर जब घर पहुंचा तो देखा कि आदतानुसार उसके पापा सरला जी पर हाथ उठाने को तैयार थे, विनय नेकिसी तरह अपने # क्रोध को पीयाऔर अपने पिता का हाथ पकड़ कर छटक दिया और बोला खबरदार जो सीता जैसी मेरी मां पर हांथ उठाया तो इसका अंजाम अच्छा नही होगा।बैसे भी हम लोग इस नरक से बहुत जल्द ही अपने नए फ्लैट में शिफ्ट करने वाले हैं ,फिर आप रहना अकेले।

विनय व उसकी मां के घर छोड़ कर जाने की बात सुन कर उसके पापा का सारा नशा उड़नछू हो गया वे बस विनय का चेहरा ताकते रहे। लेकिन अव पछताने से कोई फायदा नहीं होने बाला था।

समय की गति को कोई कहां पहचान पाता है जिस दिन विनय व उसकी मां घर छोड़कर जाने वाले थे उ सी दिन उसके पापा को हार्ट अटैक आ गया।विनय ने मां के कहने पर उनको हॉस्पिटल पहुंचाया,एक सप्ताह हॉस्पिटल में रहने के बाद वे जब घर वापस आए तो पूरी तरह बदले हुए लगे।सरला से माफी मांगी और कहा प्लीज़ मुझे अकेला छोड़ कर मत जाओ मेरा तुम दोनों के सिवाय और कौन है। सरला जी ने विनय से कहा बेटा पिछली बातें भूल कर नया जिन्दगी शुरू करते है। अभी को हम दोनो को तेरी शादी करनी है और अपने पोते पोतियों के साथ खेलना भी तो है।

स्वरचित व मौलिक

माधुरी गुप्ता

#क्रोध पीना मुहाबरे पर आधारित कहानी

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