दिखावटी प्यार… – संगीता त्रिपाठी

रीना घर के कम खत्म कर बालकनी में मोबाइल ले कर बैठ गई, फेसबुक खोला तो पहली पोस्ट उसकी सहेली प्रिया के पति शिशिर की दिखी..,

अपनी और प्रिया की खूबसूरत पिक डाल कर उन्होंने कितनी शेर -शायरी लिख कर प्रेम का इजहार किया है ..कितना प्यार करते है शिशिर प्रिया से…. एक मेरे पति है,सिर्फ खाने और सोने के अलावा कुछ नहीं जानते…..मन ही मन रीना को सहेली से जलन भी हुई…।

जब भी वो रितेश को शिशिर या किसी और की पोस्ट दिखाती तो रितेश बोलते “ये सब दिखावटी प्यार है, प्यार तो महसूस करने वाली चीज है ना कि प्रदर्शन की….!!”रीना ने गहरी सांस ली, कैसे समझाये कभी कभी भावनाओं का इजहार करना भी जरुरी है…., तभी मोबाइल बजने लगा, देखा प्रिया का ही फोन था “सुन क्या कर रही है, अभी तक तूने मुझे विश भी नहीं किया…,”शिकायती स्वर में प्रिया बोली..।

     “बस अभी तेरा कोलाज बना कर पोस्ट करने वाली थी..”रीना बोली

   “तू बेस्ट फ्रेंड है, फिर भी सबसे बाद में पोस्ट करती है, पता है अभी तक सत्तर लोगों ने विश कर दिया ..”फेसबुक की दीवानी प्रिया गर्व से बोली।

    “फेसबुक पर तेरे इतने दोस्त है तो करेंगे ही, पर प्रिया अब भी संभल जा, जिनको नहीं जानती उनको फ्रेंड मत बना…”रीना ने समझाना चाहा…

       “ये सब छोड़, शाम को बड़े होटल में पार्टी रखी है हमने, तू भैया और बच्चों के साथ समय पर आ जाना…”दिखावे की शौक़ीन प्रिया ने बात समाप्त कर फोन काट दिया .।




       मोबाइल हाथ में ले रीना सोच में डूब गई, अपनी नादान सखी को कैसे समझाये, अनजान लोगों को दोस्त नहीं बनाना चाहिए, पर लाइक्स और कमैंट्स की दीवानी प्रिया उसकी बात पर कान ना देती,।

 प्रिया कोई भी पोस्ट डाले, या कैसी भी पिक डाले… सो ब्यूटीफुल,awsome.., वाओ.. के कमैंट्स उसे जरूर मिलते…। 

              अड़ोस -पड़ोस में भी प्रिया की दोस्ती बहुत लोगों से थी,ये देख कर कई बार रीना को लगता वो अनसोशल है तभी उसके दोस्तों की संख्या 4-5 ही है, फेसबुक पर भी उसके मुश्किल से सौ दोस्त होंगे …, कुछ पल भटक कर फिर रीना अपनी आदत के अनुसार घर और बच्चों पर ज्यादा ध्यान देती….,।

            शाम को रीना अपने हाथ की बनाई पेंटिंग्स ले,पति और बच्चों के संग प्रिया की पार्टी में गई…,होटल की सजावट देख सबकी ऑंखें फैल गई, कुछ की ईर्ष्या से, तो कुछ की हैरानी से….।

 सुन्दर सा केक लाया गया, जिसे प्रिया और उसके पति ने एक दूसरे का हाथ पकड़ कर काटा, प्रिया ने नजाकत से पति शिशिर को केक खिलाया…, शिशिर ने मखमली डिब्बे से डायमंड रिंग निकाल कर प्रिया को पहना दिया…।

    हॉल तालियों से गूंज उठा, रितेश के अतः में खाने की प्लेट देख, रीना विरक्ति से उठ कर हाल के बाहर गार्डन में आ गई, कुछ देर बाद पीछे कुछ फुसफुसाहट सुन रीना के कान खड़े हो गये,

      “शिशिर जी बैंक का लोन कब वापस करोगे…, कहीं ऐसा ना हो की आपके घर की नीलामी कराना पड़े….”कोई अनजान स्वर उभरा

       “मैनेजर साहब, जल्दी ही चुका दूंगा… अभी तो आप पार्टी एन्जॉय करिये, प्रिया को भेजता हूँ, आपका ध्यान रखेगी..” बोलता हुआ शिशिर वहाँ से चला गया… उसने रीना को नहीं देखा…।रीना सन्न रह गई…। वास्तविकता समझ में आ गई, अमीर बनने का दिखावा करने के लिये शिशिर ने बैंक से लोन ले रखा था.।।




         रीना को देखते ही रितेश उसके पास आ गया “तुमको इतनी देर से ढूढ़ रहा था, कहाँ चली गई थी, चलो खाना खा लो, फिर घर चलते है, मुझे नींद आ रही है…”

     रीना ने कुढ़ कर पति को देखा… रितेश ने दूसरी तरफ मुँह कर लिया…

       “तुझे इतनी देर से ढूढ़ रही थी,चल एक ग्रुप पिक हो जाये, सहेलियों की भी पिक होनी चाहिए..”

            सभी सहेलियों ने स्टेज पर जाकर पिक खिचवाई, फिर रीना रितेश के साथ घर लौट आई… रीना के कानों में गार्डन में हुऐ फुसफुसाहट बार -बार गूंजने लगे..।

        सुबह उठ कर जब रितेश के साथ चाय पी रही थी तो रीना ने गार्डन में सुनी बातचीत रितेश को बताया, रितेश सुन कर गंभीर हो गया..।

     . “अपनी सहेली को बोलो, शान -शौकत का दिखावा बंद कर दे, जितनी चादर हो उतना ही पैर फैलाना चाहिए .”

           रितेश के जाने के बाद रीना ने प्रिया को फोन लगा कर समझाना चाहा, प्रिया नाराज हो गई “तुमको कुछ वहम हो गया है, कोई लोन नहीं ले रखा है हमने…”

       उस दिन से प्रिया बात खुल जाने के डर से रीना से बातचीत करना बंद कर दी, रीना ने कई बार मनाने की कोशिश की, पर प्रिया नाराज रही….। धीरे -धीरे रीना भी प्रिया से दूर हो गई।

    प्रिया को कोई फर्क नहीं पड़ा, क्योंकि उसके घर की बैठकी में आने वाले लोगों की संख्या ज्यादा थी।

    . एक दिन प्रिया के घर के सामने पुलिस की गाड़ी आई और धोखाघड़ी के आरोप में शिशिर को उठा कर ले गई, प्रिया ने कई घरों में जा कर सहायता मांगी, पर उसके साथ पुलिस स्टेशन जाने को कोई तैयार ना हुआ, आज प्रिया को रीना की बात की सच्चाई दिखाई दे गई….।




     आँसू पोंछते घर लौटी तो रीना को दरवाजे पर खड़ा पाया, प्रिया दौड़ कर रीना के गले लग गई, फूट -फूट कर रोते हुये बोली “काश रीना मै तुम्हारी बात मान कर दिखावे से दूर रहती तो आज मेरे सामने ये परिस्थिति ना होती ..”

     .. “जो हो गया, सो हो गया, आगे की देख प्रिया “रीना ने सहेली को सांत्वना देते कहा।

           पुलिस स्टेशन, कोर्ट, बैंक हर जगह रीना प्रिया के साथ थी, किश्तों में लिया सामान किश्त ना चुका पाने से बैंक ने नीलाम कर दिया.. शिशिर की नौकरी भी चली गई…,, जो सहेलियां दिन भर प्रिया के घर चाय -नाश्ता करती थी, अब वे प्रिया को पहचानती भी नहीं…. ये देख कर प्रिया बोली “रीना सब दिखावे की दोस्त थी, भगवान का शुक्र है की उसने मेरी झोली में तेरे जैसा सच्चा दोस्त भी डाला…”

   रीना ही नहीं रितेश ने शिशिर को अपना बिजनेस करने को प्रोत्साहित किया और एक छोटा अमाउंट भी बिजनेस के लिये दिया…। 

      रीना को अब अपने पति रितेश पर बहुत प्यार आता,क्योंकि उसने शिशिर और प्रिया को थाने में एक दूसरे पर आरोप लगाते देखा था,…फेसबुकिया प्यार और इजहार गायब था .., इससे अच्छा तो रितेश है जो भावनाओं को समझता है, इज्जत देता है …,सच है प्यार कोई दिखाने की वस्तु नहीं है। एक दूसरे का सम्मान और आदर प्यार का ही रूप होता है..।

        प्रिया को समझ आ गई” दिखावा ” जिंदगी की खुशियाँ नहीं है,एक सच्ची दोस्त सौ दिखावटी दोस्तों से ज्यादा मूल्यवान होती होती है…

     . दोस्तों दिखावा, किसी भी चीज की अच्छी नहीं है, चाहे वस्तु की हो या ज्ञान की हो या भावनाओं की हो … क्योंकि इसमें अहंकार होता है, जो आपको सहज नहीं होने देता….। दिखावे से दूर सरल रहिये तभी जिंदगी खुशनुमा बीतेगी….।

                                     —संगीता त्रिपाठी

                                .#स्वरचित और मौलिक

     #दिखावा

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