दूसरी शादी और दोहरा मापदंड – मुक्ता सक्सेना

नोट – आज की कहानी में सिर्फ एक ही व्यक्ति के परिपेक्ष्य में ही लिख रही हूं। बहुत सारी घंटनाक्रमों का समीकरण है जिसे आप लोग समझ सकते है। नाटकीय रूप देने का मन नहीं है क्युकी जो सच्ची बातें है, उनका क्या नाटकीय रूप देना।

किसी के व्यवहार से मेल खाए और उसे बुरा लगे तो माफ कीजिएगा लेकिन जो सच है वो सच हो रहेगा।

तो कुछ यूं ये बात शुरू हुई!!!

एक नंबर मेट्रीमोनियल में देखा, किसी पढ़े लिखे संस्कारवान परिवार के बड़े बेटे के लिए दूसरी पत्नी की आवश्यकता थी, जिनके 2 बेटे थे 4 साल और 7 साल के।

        तो एक परिचिता का ध्यान आया जिसकी एक 3 साल की बेटी है। 41 साल उम्र थी । उसके पति की मृत्यु 2 साल हुए कोरोना की दूसरी लहर में बहुत ही दर्दनाक तरीके से हो गई। बेटी भी करीब पहली संतान के रूप में 10 साल बाद हुई थी। हजारों सपने लिए वो पिता नर्स के सामने गिड़गिड़ाते हुए अंततः इस संसार से चले गए। बच्ची अब जब किसी को पिता कहने वाली हुई तो पिता ही नहीं।

फिर उसके दादा दादी ने भी अपना दिल और छोटा कर लिया, जिस घर में वो पति पत्नी और बच्ची रहते थे, न्यूक्लियर फैमिली के रूप में। Us घर से बहु को निकालने में तेहरवी तक ही इंतजार किया, मारा पीटा और घर से निकाल दिया। जबकि अथाह पैसा है। बच्ची छीन लेते लेकिन कुछ कानून के जानकार बीच में पड़े और उनके और बच्ची की मां के लीगल राइट्स के बारे में जानकर वो पीछे हट गए। वो परिचिता अपनी बेटी के साथ अपने पिता के यहां आ गई। पढ़ी लिखी थी, शादी से पहले 4 साल का डिग्री कॉलेज अनुभव भी, लेकिन क्युकी पति को ये भान भी नही होगा कि एक दिन वो यूं ही बीच में से गायब हो जाएंगे। तो उन्होंने उसे कभी काम करने ही नहीं दिया। पैसा अच्छा कमाते थे, और ध्यान भी बहुत रखते थे तो जरूरत इस परिचिता ने भी नहीं समझी। घर में रम गई।

अब देखिए, मजाक ।




जिनका नंबर देखा, उनके बारे में पता करने के लिए कॉल किया गया। बात हुई उनकी बहन से। बहन को पूरी स्थिति बता दी। उसने कहां भाई से इस बारे में बात करूंगी। आप कल फोन कीजिएगा।

अगले दिन उनको फोन किया, लड़के से बात हुई। जिसमें बहुत सारी बात हुई। जो मुख्य बात थी , वो ये थी – उसके अपने बच्चों के लिए मां तो चाहिए, वो भी पढ़ी लिखी ताकि कल को कोई ऐसी परेशानी आए तो वो अपने पैरो पर खड़े हो पाएंगी। और बच्चों को ट्यूशन etc की भी दिक्कत नहीं आएगी। लेकिन बेटी को या तो नाना के यहां या बाबा के यहां छोड़ना होगा। इस शर्त का कारण जानना चाहा तो बताते है – कि उनके बच्चो को मिलने वाला प्यार और देखभाल बंट जायेगी।

तो प्रश्न किया कि उसकी बेटी का क्या होगा। उत्तर मिला – क्या पता क्या होगा। पूछा अगर आगे आप लोग की अपनी संतान बेटा या बेटी हुई तो क्या आप उसे पालेंगे या नहीं? तो कहा क्यों नहीं, वो मेरी औलाद होगी। मतलब आपको पत्नी अपने लिए भी चाहिए।

उनको समझाने की कोशिश की कि बेटी बहुत छोटी है, उसको एक पिता की ज़रूरत है। मेरी बहन को पति की इतनी आवश्यकता नहीं है। एक बच्ची जिसके पिता गुजर गए और जिनको वह पहचानती नहीं थी। अगर आप उसे अपना लेंगे तो वो आपको ही अपना पापा समझेगी। और आपको भी पता नहीं चलेगा कि वो आप की बेटी नहीं है। लेकिन वो संस्कारवान इंसान नहीं माना। ऐसे ऐसे तर्क दिए कि लगा कि उस व्यक्ति के मुंह पर एक झापड़ रसीद कर दूं। फिर फोन काट दिया।

तो दोस्तो ये तो एक रिश्ते की बात थी, ऐसे 10 – 15 रिश्ते देखे क्युकी उसकी बेटी जितनी जल्दी किसी परिवार में चली जाती, उसे ही अपना सब कुछ समझती एक दम असली।

लेकिन समाज का दोहरा चेहरा सामने आया। और किसी भी परिवार ने बच्ची को रखने में इंटरेस्ट नही दिखाया।

फिर इस परिचिता ने भी दूसरी शादी का विचार अब त्याग दिया है। अपने पैरो पर खड़े होने की कोशिश कर रही है। मगर अभी मौका नहीं मिला है।




खैर अब तो वो जानती है कि उसके पापा नही है, मर गए। क्योंकि घर में कोई बताए या ना बताए, घर से एक कदम बाहर पैर रखते ही, जो समाज शुरू होता है, वो दूसरों के घाव को कुरेदता है, और जब सामने वाले की आंखों से खून रिसता है, तो उनको संतुष्टि होती है। ऐसा ही कुछ उस बच्ची के साथ भी हुआ। जब उसने ये पूछा भी नहीं था कि मेरे पापा कब आयेंगे, कैसे दिखते है, कहां गए है। उससे पहले ही उस के कोमल मन को निचोड़ दिया गया । और ये सब उम्र दराज औरतों का काम था। तीन दिन में ही बच्ची बरसो की बीमार लगने लगी। जो रोज रात को यूट्यूब चैनल खोल कर अपने पापा की शक्ल उनमें ढूंढती थी, उसने बहुत दिनो तक खाना खाना छोड़ दिया था।

फिर नाना ने उसके सामने खुद को पापा के तौर पर पेश किया उसकी हर फरमाइश पूरी की। यहां वहां घूमने ले जाते हैं। अब कुछ हद तक मानसिक तौर पर ठीक है। लेकिन उसका इंतजार खत्म हो गया कि कहीं उसके पापा है, जो काम से बाहर गए है, जब वापस आयेंगे तो ऐसा वैसा फलां खिलौना उनके साथ ही लेकर आयेंगे।

बस अब इससे ज्यादा और नहीं लिख सकती।🙏🙏

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मेरे कुछ प्रश्न है जिनके जवाब आप के पास हो या न हों।देना चाहे या ना देना चाहे। लेकिन सोचिएगा जरूर.. कि ऐसे लोग क्या है?  इंसान तो हरगिज नही हैं।

1) किसी मां से उसकी बेटी या बेटे को छुड़ाकर अपने बच्चों की मां बनाने का ख्याल भी किसी के दिमाग में कैसे आता है?

ऐसे में क्या वो लड़की आपके बच्चों के साथ तो होगी, लेकिन उसका मन तो अपने बच्चे में ही लगा रहेगा। तब वो क्या आपके साथ पूरे मन से रह पाएगी।

2) कई लोग ये शर्त रखते हैं कि अपने बच्चे नहीं करेंगे? क्यों?  बटवारा करना होगा, दूसरी पत्नी के बच्चों के साथ। है ना?

3) किसी मासूम बच्चे से उसकी मां का या पिता का साया जबरदस्ती क्यों छीनना? वो भी इतनी छोटी सी उम्र में। जब कि बच्चों से जरा सा प्यार से क्या बोल दो , बच्चे उन्ही के हो जाते हैं।

4) एक औरत से तो ये उम्मीद की जाती है कि भले ही वो अपने बच्चे को छोड़ के आए, लेकिन उनके बच्चों को पूरा प्यार मिले। और आपसे क्या उम्मीद की जाए? इतना बड़ा दिल भी नहीं कि एक बच्ची को नाममात्र ही सही , पिता का प्यार मिल जाए।

ईश्वर जानता ही है और हम सब भी, बेटियां शादी तक और शादी के बाद भी अपने पिता से कितना प्यार करती है?




5) और मैं अब उन सास ससुर से भी पूछना चाहती हूं, जिन्हे जवान बेटे के जाने के बाद प्रॉपर्टी का लालच इतना हावी हो जाता है, कि वो अपनी बहु जिसे पुरे समाज के सामने ब्याह के लाए, उसे निकलने में देर नही करते है। न जाए, तो उसको चारित्रिक आरोप लगा कर नीचता पर उतर आते हैं। अच्छा आप कितने और दिन जिंदा रहा चाहते है क्या कीड़े पड़ने तक?

सोचिए, जो पैसा धन आपके जवान बेटे को नही बचा पाया, वो आपके के भी शायद ही काम आए।

6) इस मासूम सी बच्ची के दिल।पर क्या बीती होगी, ये un दादी नानी की उम्र वाली औरतों ने सोचा। क्योंकि अपनी बहु के लिए भी ऐसी ही सोच रखती होंगी, दिन भर जली कटी सुना सुना कर के उनका दिल अब इस लायक ही नहीं रह गया होगा कि वो ये सोच पाए कि उस बच्चे के दिल के कितने टुकड़े हुए होंगे।

7) क्या बच्चे के साथ किसी औरत को अपनाना इतना मुश्किल है?

ऐसे लोगों को दूसरी शादी करने का #दिखावा करने की जरूरत क्या है। बच्चे और घर की देखभाल तो पैसे लेकर कोई भी एजेंसी से आई मेड कर देगी।

ऐसे सभी लोगों के जीवन पर धिक्कार है।

बहुत प्रश्न है लेकिन क्या क्या लिखूं।

अपने विचार और सुझाव जरूर दीजियेगा। ये किसी की आप बीती है। कृपया मजाक में न लें। और उसके लिए रिश्ता न भेजे।

धन्यवाद

बातें और प्रश्न बहुत सारे है क्या क्या लिखूं?

#दिखावा

स्वलिखित

मुक्ता सक्सेना

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