अजन्मे बेटी का दर्द – रीता मिश्रा तिवारी

मेरा सिर थोड़ा भारी सा लग रहा है। थोड़ा आराम कर लेती हूं कह सुषमा बिस्तर पर लेट गई , लेटते ही उसे नींद आ गई।

मां, पापा!

मैं जन्म ले कर इस दुनियां में आना चाहती हूं। देखना चाहती हूं प्राकृतिक सुंदरता को। महसूस करना चाहती हूं तुम्हारे स्पर्श को। तुम्हारी गोद में सुकून भरी नींद पुरी करनी है।

मैं पापा की उंगली पकड़ कर चलना चाहती हूं । पापा मेरे लिए घोड़ा बनकर मुझे अपनी पीठ पर बैठाए।

बाबा_दादी, दोनों के बीच में सोकर राजा रानी, जंगल के जानवरों और परियों की कहानी सुनना है।

मां ! पापा , दादी से कहो न मुझे आने दें संसार में।

मां ! मैं जरा सा भी परेशान नहीं करूंगी ।

बाबा_दादी जैसा कहेंगे वैसा ही करूंगी । मैं घर के सारे काम करूंगी।

खूब पढ़ लिख कर आप सब का नाम रौशन करूंगी…मैं कलक्टर बनकर सारे भ्रष्टाचार और कुरीतियों को खत्म कर दुंगी तुम अगर कहोगी तो डॉक्टर इंजीनियर वकिल कुछ भी बन जाएंगे।

इंदिरा गांधी,किरण बेदी,पीटी ऊषा,सानिया मिर्जा, ना जाने कितनी हैं सभी बेटियां ही तो है न…

मां ! फिर मेरी क्या गलती है , जो मुझे नहीं आने दे रही हो। मां! मैं अबला नहीं सबला नारी बनूंगी ।

मेरी दीदी भी तो है… फिर मैं  ही क्यूं मां.. दीदी के साथ खेलना है दीदी का बार्बी डॉल कितना प्यारा है…

तुम दीदी को गले लगाकर कहती हो की तू मेरी बार्बी डॉल है…. मैं भी तो बार्बी डॉल ही जैसी हूं न ।

मां ! मुझे बाहर आने दो मैं बहुत कष्ट में हूं .. मुझे जन्म लेने दो मां ।

बाबा,दादी,पापा से कहो न मुझे ना मारे।

मुझे इस गर्भ रूपी नर्क से बाहर आने दो…

मां का गोद तो जन्नत है न… मुझे उस जन्नत के सुख का आनंद लेने से मत रोको।

गर्भ में आने से पहले भगवानजी ने कहा था , कि पृथ्वी पर मैं ही मां के रुप में हूं ।वो मां रूपी भगवान तुम्हारे बिन कहे सब समझ लेगी और किसी भी तरह का कोई कष्ट नहीं होने देगी… तो तुम क्यूं नहीं समझ रही हो।

मां! मुझे जन्म लेने दो… मां  मां  मां मुझे बचा लो मां मां मां



मेरा बच्चा…. वो नींद से डरकर जाग जाती है अपना पेट पकड़ कर कहती है….. लाडो! तू जरूर आएगी,तूझे आने से कोई नहीं रोक सकता, मैं हूं ना तेरी मां, तूझे कुछ नहीं होगा।

सुषमा क्या हुआ? शांत हो जाओ_ शांत हो जावे कोई बूरा सपना देखी ?

हां…आप माजी से कह दीजिए , हम एबॉर्सन नहीं कराएंगे , हम ये पाप नहीं कर सकते हम अपनी बेटी को जन्म देंगे… हम ये पाप हरगिज नहीं करेंगें ।

हां सुषमा ठीक है… हम कल ही मां बाबा से कहेंगे अगर नहीं माने तो, किसी को बिना कुछ बताए यहां से कहीं दूर चले जायेंगे ।

लक्ष्मी तो है ही.. सरस्वती को लेकर ही वापस लौटेंगे ।

बेटे के समझाने पर वो लोग भी मान जाते हैं ये कहते हुए कि हम तो तुमलोगों के लिए ही बोल रहे थे । तुमलोग राजी हो तो हमें क्या… बेटा हो चाहे बेटी सब बराबर है।

सुषमा की नजरें पति से मिली दोनों की आंखों में खुशी और सुकून के मोती झिलमिला रहे थे साथ में अजन्मे बेटी की खुशी भी दिख रहा था ।

मौलिक स्वरचित

रीता मिश्रा तिवारी

Leave a Comment

error: Content is Copyright protected !!