आस्तीन का साँप : Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi :

” ये क्या कर रहे है आप मकान बेच सारा पैसा अपने भाई को दे रहे है जबकि आपको पता है ये मकान हमने लेकर ही इसलिए छोड़ा था कि कल को बच्चो की पढ़ाई मे कोई अड़चन ना आये !” स्वाति पति रौनक से बोली।

” स्वाति बच्चो की उच्च शिक्षा के लिए अभी दो साल का वक्त है हमारे पास अभी छोटे का व्यापार डूब रहा है तो उसे संभालना ज्यादा जरूरी है। फिर छोटा भी तो बच्चो का चाचा है वो खुद उनकी पढ़ाई मे रूकावट नही आने देगा खुद ही पैसा दे देगा वक्त से पहले !” रौनक बोला।

वक़्त बीतता गया और रौनक के बेटे ने बारहवीं पास कर ली अब उससे बी टेक करनी थी इधर रौनक के भाई का व्यापार बहुत अच्छा चल निकला था इसलिए रौनक को कोई फ़िक्र ही नही थी उसे पता था समय पर भाई पैसे लौटा देगा इसलिए वो भाई के पास गये।

” छोटे ऋषभ का बीटेक मे दाखिला करवाना है तो वो मेरे पैसे लौटा दे तू !” रौनक भाई से बोला।

” भैया अभी व्यापार मे थोड़ा घाटा चल रहा है मैं जल्द पैसे दे दूंगा आप फ़िक्र मत कीजिये !” भाई बोला।

वक़्त बीता और ऋषभ के दाखिले की अंतिम तिथि नजदीक थी पर रौनक का भाई पैसे देने को तैयार नही था। जबकि रौनक बार बर तकादे कर रहा था।

फिर एक दिन पता लगा उसके भाई ने तो पोश इलाके मे एक कोठी खरीदी है तब रौनक को एहसास हुआ उसका भाई भाई नही आस्तीन का वो साँप है जो अपने भाई के विश्वास के साथ साथ अपने भतीजे के भविष्य को भी डस गया। उसने किसी तरह अपना मौजूदा घर बेच बेटे को पढ़ने भेजा और खुद किराये का घर तलाशा । अब अपने पैसे गंवा कर रौनक किराये के घर मे रह रहा है और दूसरों के पैसे हड़प छोटा भाई परिवार सहित कोठी मे बसने की तैयारी मे लगा है ।

धन्यवाद

संगीता अग्रवाल ( स्वरचित )

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