आज फिर बही बूढ़ी औरत को देख कर सुमित गुस्से मै बोला तुमसे कितनी बार कहा है यहां मत खड़ी रहा करो जब ग्राहक हो तुमने रोज की आदत बना ली है
वो औरत एक तरफ हो गई तब सुमित के पिताजी ने नौकर से कहा पहले उसे कुछ मिठाई दे दो।
नौकर ग्राहकी छोड़ कर मिठाई देने लगा तो सुमित बोला पापा आप क्यों लपका लेते हो फालतू लोगों को ।
वो औरत हजारों आशीर्वाद दे कर चली गई ।
राजेंद्र जी बोले बेटा जरा से मैं हमारा कुछ नही जाता पर वो इतना आशीर्वाद दे कर जाती है ये क्या कम है पता नहीं किसका आशीर्वाद कब काम आ जाए।
सुमित चिढ़ कर बोला ऐसे नहीं लगते आशीर्वाद
ऐसे ही देते रहे तो एक दिन दुकान जरूर बंद हो जायेगी राजेंद्र जी बोले ऐसा नहीं कहते एक दिन तुम्हें समझ आएगा ।
राजेंद्र जी की बाजार के बीच मैं मिठाई की बड़ी सी दुकान थी पहले उनके पिताजी की छोटी सी दुकान थी फिर वो भी घर की जिम्मेदारी मैं दुकान मैं हाथ बंटाने लगे जब छोटे थे तब से पिताजी को देख रहे थे जो भी मांगने आता पिताजी उनको जरूर कुछ न कुछ देते तब वो भी यही कहते थे तो पिताजी समझाते अच्छे कर्म का फल अच्छा ही होता है
एक दिन दुकान मै राजेंद्र अकेला था दुकान भरभरा कर गिर गई सबने जल्दी जल्दी पत्थर हटाए जो मांगने आते थे उन्होंने भी मदद करी घर पर खबर पहुंची सब अनहोनी की सोच कर डर गए भागे भागे दुकान आए तभी एक वृद्ध आदमी जिसको वो रोज नाश्ता कराते थे बोला कुछ नहीं होगा तुम्हारे बेटे को उसकी बला मुझे लग जाए और ईश्वर से दुआ करने लगे सबके आशीर्वाद से राजेंद्र सही सलामत बच गया तब से उसको भी विश्वास हो गया कि सबका आशीर्वाद लेते रहना किसी का दिल नहीं दुखाना चाहिए
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सुमित को पसंद नही था उसका कहना भी सही था की इन लोगों को बढ़ावा नहीं देना चाहिए राजेंद्र जी भी कुछ नहीं कहते थे पर वो माताजी को जाने क्यों मना नही कर पाते थे कुछ न कुछ उसे जरूर देते थे ।
इसी बात पर दोनों की अन -बन होती रहती
दिन गुजर गए सुमित का लड़का तीन साल का हो गया आज दुकान से चुपचाप निकल गया तभी सामने से आवाज आई अरे कौन टकरा गया गाड़ी से देखा तो बही औरत घायल पड़ी थी सामने सुमित का बेटा गिरा हुआ था घबरा कर सब वहां पहुंचे सुमित की जान तो हलक मैं आ गई की बेटा यहां कैसे आ गया फिर पता चला गाड़ी से टकराने वाला था बही औरत ने उसे देखकर बचाने के चक्कर मैं खुद टकरा गई ।
सुमित ने जल्दी से उन्हें अस्पताल पहुंचाया और पिताजी से माफी मांगी आज उसे समझ आ गया
की आशीर्वाद क्यों जरूरी है जाने किस रूप मै उसका फल तुमको मिलता है ।।
इस कहानी के माध्यम से मेरा मकसद किसी बेकार को बढ़ावा देना नही बल्कि मजबूर की मदद करना है कभी कभी हमारी छोटी सी मदद
से हमें कई गुणा फल मिल जाता है जो हमें बाद मैं महसूस होता है।
स्वरचित
अंजना ठाकुर