ज़िंदगी गुलज़ार है – बरखा  शुक्ला

मै आज बड़ी खुश थी ,क्योंकि दीदी ने बेटे अवि के लिए दो तीन रिश्ते सुझायें थे । बेटी की शादी को तीन साल हो चुके है , वो अपने सास ससुर के साथ दिल्ली में रहती है , दामाद जी मल्टीनेशनल कम्पनी में जॉब करते है । बी .टेक .करने के बाद बेटे को भी दिल्ली की ही कम्पनी में जॉब मिल गया ।मेरी तो ख़ुशी का कोई ठिकाना ही न था । बेटे ने बेटी की बिल्डिंग में ही फ़्लैट के लिया था ।बस अब मुझे बेटे के शादी की जल्दी थी ।

मैंने आज दोपहर को बेटी को फ़ोन लगाया ,बेटी नेहा ने फ़ोन उठा कर कहा “हाँ माँ बोलो । “

“हाँ बेटा कैसी हो ,बिट्टू सो गया (बिट्टू मेरा १ साल का नाती )। “

“हाँ अभी सुलाया । “

“बेटा चल तू भी आराम कर ले बाद में बात कर लूँगी । “

“न माँ बोलो न मैं भी आपको कॉल करने वाली थी ,ये सोया रहता है ,तभी तो आराम से बात कर पाती हूँ ।”

“देख इसे ही तो टेलीपैथी कहते है ।आज ही दीदी ने अवि के लिए दो तीन रिश्ते बताए है ,तू बात कर न ,कैसी लड़की पसंद है उसे । “

“माँ मैं आपको बताने ही वाली थी ,आप कही भी बात न करे उसे उसी के साथ काम करने वाली एक लड़की पसंद है ।”

“और तू मुझे अब बता रही है ,जब मैंने बात छेड़ी ।”न चाहते हुए भी मेरा स्वर तल्ख़ हो गया था ।

“ओह माँ उसने अभी दो तीन दिन पहले ही तो बताया ,रिनी सचमुच बड़ी प्यारी लड़की है ।”

“तू मिली है उससे ।”मैंने आश्चर्य से पूछा ।

“और क्या यही तो रहती है ,हमारी बिल्डिंग में ।”नेहा ने बताया ।

“चलो आज मैंने बात की तो पता चल गया ,नही तो न जाने कब पता चलता ।”मै बोली ।


“अवि ने कहा था मुझे आपको बताने का ,मैं मौका तलाश रही थी ,आज आपने ही बात शुरू की तो आसानी हो गयी ।”नेहा बोली ।

“चल ठीक है ,बाद में बात करती  हूँ ।”कह कर मैंने बात ख़त्म करनी चाही ।

“अरे माँ सुनो तो मैं उसकी फ़ोटो सेंड कर रही हूँ ,ओके बाय माँ ।”नेहा बोली ।

ख़ुशख़बरी थी ,ओर पता नही क्यों मैं ख़ुश नही हो पा रही थी ।

बेटी ने पिक सेंड कर दी थी ,सच में रिनी बहुत प्यारी लग रही है,और हाँ वैसी ही तो है ,जैसी बहू मैं चाहती हूँ ।पर मन फिर भी रूठा रहा ।शायद बहू बेटे ने चुन ली थी ,मेरे बहू पसंद करने का अरमान टूट गया था ,ऐसा ही कुछ था शायद ।

शाम को जब ये ऑफ़िस से आए इन्हें चाय पीते हुए सारी बातें बताई ,ये तो खूब ख़ुश हो गए ,फ़ोटो भी दिखाई ,तो बोले” बेटे की पसंद ही हमारी पसंद है ।”

मैं बोली “नेहा से अभी रिनी  के परिवार के बारे में कोई बात नही हुई है ।”

“अरे भई रमा अच्छा ही होगा सब ,चलो लड़की खोजने का काम तो हल्का हो गया ,और भई रहना तो दोनो को है ,उनकी पसंद ज़रूरी है ।”ये बोले ।

चाय के कप उठाते मै सोच रही थी ,ये हर बात को कितने सहज भाव से लेते है ।

रात में अवि का फ़ोन आ गया ,उसकीआवाज़ से ही लगा बहुत ख़ुश है ,छूटते ही बोला “माँ रिनी कैसी लगी ।”

“तुझे पसंद है न ।”

“हाँ है न ।”

“तो मुझे बहुत पसंद है ।”

“और पापा को ।”

“वो तो सदा तुम लोगों की ख़ुशी में ही ख़ुश रहते है ।”

“थैंक यू माँ लव यू ।”

सच ही बेटे से बात कर दिन की उदासी कही तिरोहित हो गयी ।

दो दिन बाद नेहा का फ़ोन आया , “माँ ख़ुश तो हो न ।”

“हाँ रे उस दिन एकदम से तूने बताया तो थोड़ा अलग सा लगा ,सोचा भी था न कि अवि खुद लड़की पसंद कर लेगा ,पर अब सब ठीक है ।”

“हाँ माँ वो रिनी की मम्मी आ रही है ,तो पापा और आप भी आ जाते ,आगे की बात करने ।”

“हाँ मैं वो ही जानना चाह रही थी ,कि क्या करते है उसके मम्मी पापा।”मैंने पूछा ।


“वो उसकी मम्मी प्रोफ़ेसर है कॉलेज में।”नेहा ने बताया ।

“और पापा ।”

“वो नही है , मतलब तलाक़ हो गया है ।”अब जब मैं बच्चों की ख़ुशी में ख़ुश थी ,तो ये नई बात ।

“वो बेटा मेरे पुराने विचार कह लो या कुछ और , ऐसे टूटे परिवार की बेटी हमारे घर घुल मिल पाएगी ।”मैंने शंका प्रकट की ।

“माँ रिनी से एक बार मिल लो ,सब चिंता दूर हो जाएगी ।और हाँ उसकी एक शादीशुदा बड़ी बहन है ,चलो मैं रखती हूँ ।”ये कह नेहा ने फ़ोन रख दिया ।

पर अब ये नई चिंता मुझे बेचैन किए थी ।

शाम को इनके पूछने पर कि बच्चों से बात हुई , मेरे बताने पर कि हमें बुलाया है ,तो ये बोले कब चलना है ,मैं छुट्टी के लेता हूँ ।

मेरे बताने पर कि रिनी की मम्मी आ रही है ,तभी हम भी चल देते है ।

ये ठीक है बोल कर फ़ोन चेक करने लगे ।

जब इन्होंने पापा के बारे में नही पूछा तो मैंने ही बता दिया था ।

मुझे पता था इन्हें कुछ फ़र्क़ नही पड़ने वाला है ।

“ओह ,देखो अकेले ही बेटी को इतना क़ाबिल बनाया ।”इन्होंने ऐसा बोल कर बात ख़त्म कर दी ।

मुझे भी लगा मैं कुछ ज़्यादा ही सोचने लगती हूँ ।

अगले हफ़्ते जाने का तय हुआ ।इतने दिन तैयारी व ख़रीददारी में ही बीत गए ।

एयरपोर्ट पर दामाद जी व बेटा लेने आए थे ,दामाद जी वही से दफ़्तर निकल गए , अवि ने छुट्टी ली थी ।

नेहा अवि के फ़्लैट पर ही बिट्टू के साथ इंतज़ार कर रही थी , उससे गले मिल आँखे भीग गयी ।मेड के साथ मिल कर उसने सारा खाना तैयार कर रखा था ।

नेहा बोली “माँ मैं दो चार दिन आप लोगों के साथ ही रहूँगी ,मम्मीजी ने अनुमती दे दी है ।”

“अरे वाह ये अच्छा किया ,पर उन्हें कोई दिक़्क़त तो नही होगी ।”मैंने पूछा ।

“नही माँ मेड है ही काम के लिए ,और मैं भी एक चक्कर लगा लिया करूँगी ,और खाने का कुछ तो यही से भेज दूँगी ।”नेहा बोली ।

“ठीक है “कह मैं नहाने चली गयी ।नहा कर खाना खा व दोनो बच्चों से बातें कर हम लोग आराम करने चले गए ।

शाम को नेहा के सास ससुर से मिल आए ।

रिनी की मम्मी को अगले दिन घर पर ही बुला लिया था ,उस दिन शनिवार होने से दामाद जी व रिनी की भी छुट्टी थी ।

नेहा के सास ससुर भी आ गए थे ।

सच रिनी को देख मेरी तो आँखे जुड़ गयी ,गुलाबी साड़ी में बहुत खूबसूरत लग रही थी ,बाद में चाहे जो पहने ,पर अभी उसका साड़ी पहनना मन को भा गया ।

उसकी मम्मी भी बड़ी ही शालीन लगी ।

कुछ देर बात करने के बाद इन्होंने मुझे इशारा किया तो मैं बोली” भई हमें तो सब पसंद है , अब आप बताए मैंने रिनी की मम्मी से पूछा ।”


“बहनजी हमारी भी हाँ है ,इतना अच्छा दामाद क़िस्मत से मिलता है ।”रिनी की मम्मी बोली ।

“हमें भी इतनी प्यारी बहू क़िस्मत से मिली है ,आप कहे तो छोटा सा शगुन कर दे ।”मैं बोली ।

“हाँ हाँ क्यों नही ।”रिनी की मम्मी बोली ।

मै व नेहा झट अंदर से साड़ी व मिठाई मेवे ले आए ,उसे रिनी को दे मैं उसे कंगन पहना कर बोली “लीजिए आपकी बिटिया हमारी बहू बन गई ।”

रिनी की मम्मी बोली “हम भी अवि को कुछ शगुन दे देते है ।”उन्होंने भी अवि को अंगूठी पहना दी।

अवि व रिनी को ख़ुश देख हम लोग भी ख़ुश थे ।

लंच के लिए दामाद जी ने पहले ही होटल में बुंकिंग कर रखी थी ।दिन भर हँसी ख़ुशी का माहौल रहा ।

ये दो चार दिन रुक कर चले गए , मैं कुछ दिन रुकने वाली थी ,नेहा भी अपने घर चली हुई थी । रिनी की मम्मी भी अभी रुकी हुई थी ,हम दोनो साथ ही वॉक पर जाते थे ,मुझे वो बड़ी सुलझी हुई महिला लगी ।

एक दिन वो बोली ,कल संडे है ,अवि व रिनी लंच के लिए बाहर जा रहे है ,तो क्यों न आप हमारे घर लंच पर आ जाए ।

“हाँ अवि बता रहा था ,पर आप परेशान न हो ।”मैं बोली ।

“नही बस आप आ रही है ।”वो बोली ।

फिर न करने का कोई कारण ही न था ।

दूसरे दिन अवि व रिनी के जाने के बाद मैं उनके घर पहुँच गई ।

खाना काफ़ी स्वादिष्ट था ,जो रिनी की मम्मी ने ही बनाया था ।

खाने के बाद वो खीर ले आयी ,मैं बोली “खाना बहुत अच्छा बनाया आपने . खीर भी लाजवाब है ।”

“आपको अच्छा लगा धन्यवाद ।”वो बोली ।


फिर थोड़ा रुक बोली ,”बड़ी बेटी की शादी के समय मेरे तलाकशुदा होने पर काफ़ी प्रश्न किए थे उन लोगों ने ,पर आप लोगों ने कुछ जानना ही नही चाहा ।”

“अरे उसमें क्या जानना । “मुझे अपने पति व बच्चों की सोच पर गर्व हो आया ।

“पर मैं आपको बताना चाहूँगी ।”वो बोली ।

“वैसे मैं कुछ जानना नही चाहती ।” मैं बोली ।

“पर आप जान ले तो सही रहेगा ।मैं जब पढ़ ही रही थी तभी एक काफ़ी अमीर परिवार से मेरे लिए रिश्ता आया ,लड़का घर सब अच्छा था ,इसलिए जल्द ही मेरी शादी हो गई ।

शादी के बाद जब मेरी बड़ी बेटी होने वाली थी ,तो मैं इतना जान गई कि सब लोग बेटा होने की उम्मीद लगाए बैठे है ।बेटी होने पर किसी  ने ख़ुशी ज़ाहिर नही की । उसके दो साल के होते ही सब बोलने लगे अब इसके लिए भाई हो जाए तो अच्छा हो ।फिर जब रिनी होने वाली थी ,तो वो लोग अपनी पहचान की डॉक्टर से भ्रूण परीक्षण पर ज़ोर देने लगे , मुझे भी लगा कि यदि इस बार भी बेटी हुई तो ये लोग उसे जन्म न लेने देगें ,इसलिए मैंने सबकी हाँ में हाँ मिलाई ,फ़िर बहाने से मायके पहुँच गयी ,सब जान के पापा व भैया तो मेरे साथ थे , पर माँ डर रही थी । फिर ये एक दिन आकर बोले  “चलो डॉक्टर ने आज का समय दिया है सोनोग्राफ़ी के लिए ।”

मेरे पूछने पर “कि यदि बेटी हुई तो ?”

तो बोले “तो हम उसे नही रखेंगे , अभी ज़्यादा समय भी नही हुआ है ,कोई ख़तरा भी नही है ।”

मेरा सर्वांग काँप गया ।मेरे पापा ने मुझ में और मेरे भाई में कभी कोई भेद नही किया था , ज़्यादा अमीर तो नही थे वो पर बड़े प्यार से पाला था मुझे । मैंने इनसे कहा लपहली बात तो मैं परीक्षण ही नही करवायूँगी ।जो भी बच्चा ,हो मुझे मंज़ूर है ।”

पापा ने भी साफ़ मना कर दिया ।

जब तो ये चले गए ,उसके बाद सास ससुर सबने आकर बहुत समझाया ,सास बोली हो सकता है ,लड़का हो ,फिर तो कोई दिक़्क़त ही नही है । पर मैं नही मानी ।

ये बोले “लड़की होने पर मैं तुम्हें तलाक़ दे दूँगा ।”

मैंने भी कह दिया कि “अब अगर बेटा भी हुआ तो भी मैं तुम्हारे जैसे इंसान के साथ नही रहूँगी ।”

और सच में रिनी के जन्म पर कोई भी नही आया ,फ़िर हमने आपसी सहमती से तलाक़ ले लिया ।मैंने उनसे एक पैसे की मदद भी नही स्वीकारी व आगे पढ़ाई कर नौकरी की ।दोनो बेटियों को पढ़ाया ।भैया व पिताजी ने मेरा पूरा साथ दिया ,माँ ने दोनो बेटियों को सम्भाला ।भाभी ने भी काफ़ी ध्यान रखा ।

“आप तो बहुत बहादुर निकली ।”मैंने कहा

“मैंने सही किया न।”वे बोली ।

“बिल्कुल ,वरना रिनी जैसी इतनी प्यारी बहू हमें कैसे मिलती “,ये कह मैं रिनी की मम्मी के गले लग गई ।मैं अभिभूत थी ,ऐसी समधन पाकर ।

और फिर ,फ़िर क्या अवि नेहा की शादी के बाद जुड़वा पोता पोती के साथ ज़िंदगी गुलज़ार है ।

#बेटियाँ_हमारा_स्वाभिमान 

बरखा  शुक्ला

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