वो बहू है ..कोई जादूगर नहीं!! : Moral stories in hindi

Moral stories in hindi : आज निधि की ताई सास आई हुई थी कुछ परेशानी थी तो डॉक्टर के दिखाना था कुछ दिन अपने देवरानी के घर रुकने वाली थी ।

निधि को घबराहट हो रही थी उसे पता था ताइजी  बहुत कड़क स्वभाव की है जरा सी बात का बतंगड़ बना देती है ।शादी के समय दो दिन रुकी थी तब देखा था जब तो उसने कुछ काम भी नही किया था सिर्फ उसके चलने ,बैठने , बात करने मैं ही हजार बाते बना दी थी।

निधि की शादी को अभी तीन महीने हुए थे नए माहौल मैं खुद को एडजेस्ट कर रही थी पूरी कोशिश करती की घर मैं सबका ख्याल रख पाए ससुराल मैं सब लोग अच्छे थे ननद ,सास ,ससुर सब कोशिश करते की निधि अच्छे से घुल मिल जाए ।सास बड़े प्यार से उसे ससुराल की पसंद ना पसंद बताती फिर भी कभी गलती हो जाती तो कहती कोई बात नहीं धीरे धीरे आदत हो जायेगी।

ताइजी के आते ही निधि ने पैर छुए तो बोली बहू अच्छे से छुओ क्या नाम कर रही हो निधि ने दोबारा छू लिए

तब से ताईजी  हर काम मै मीन मेख निकाल रही निधि की घबराहट बढ़ती जा रही दिन मैं सास के साथ मिलकर खाना बनाया सब खाना खा रहे थे निधि रोटी सेंक रही थी तभी ताइजी की आवाज सुनाई दी तेरी बहू को अभी तक ससुराल के तौर तरीके समझ नही आए खाना भी कैसा बनाया है उसके मायके मैं ऐसा ही खाते होंगे कोई स्वाद ही नही आ रहा तू कुछ कहती नहीं क्या अब तक तो सब आ जाना चाहिए था।

देख मीना तुझे कह रही हूं बहू को ज्यादा छूट देने की जरूरत नही है हाथ से निकल गई तो फिर हाथ मै नही आयेगी ।

निधि और धयान से सुनने लगी की मांजी क्या कहती है मांजी को आवाज आई बोली जीजी वो बहू है जादूगरनी नही की एकदम सब सीख ले

इतने साल अपने मायके की आदत तीन महीने मैं कैसे बदल जाएगी फिर भी वो कोशिश कर रही है और रही छूट देने की बात तो वो परिवार का हिस्सा है कोई कैदी नही की भाग जायेगी हम प्यार देंगे तो हमें भी प्यार और सम्मान मिलेगा

सुनकर निधि की आंख मैं आंसू आ गए उसकी घबराहट खत्म हो गई क्योंकि उसकी सास उसके साथ थी

ताइजी बोली देख ले मेरा फर्ज था कहीं ऐसा न हो तू अकेली रह जाए।

मांजी बोली – माफ करना जीजी पर आपने बंदिश लगा कर देख लिया ना आपकी बहू फिर भी साथ नहीं रही  अब ताइजी की कोई आवाज नहीं आई

निधि रोटी देने गई तो बोली – खाना अच्छा बना है बहू निधि ने मना करने पर भी प्यार से एक रोटी और दे दी ताईजी  भावुक हो  मांजी से बोली में यहां से सबक सीख कर जा रही हूं की बहु जादूगर नही इंसान ही होती है कोशिश करूंगी मेरी बहु भी वापस आ जाए

मां और निधि बहुत खुश हुई निधि चिंता छोड़ कर ताइजी का ध्यान रखने लगी ।

स्वरचित

अंजना ठाकुर

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