वो अनजान मददगार – रश्मि प्रकाश

#जादुई_दुनिया

कभी कभी ज़िन्दगी में कुछ ऐसा हो जाता है कि हम सोच समझ पाने की स्थिति में नहीं रहते पर जब वो बात गुजर जाती तब जाकर सोचते हैं ऐसा क्यों हुआ… वो कौन अचानक मदद को आ गया…बस आज की कहानी उसी को इर्द-गिर्द घूमती हुई है ।जादुई दुनिया होती है और नहीं ये तो नहीं पता पर कभी कभी कुछ घटना जादुई ज़रूर हो जाती है….

बहुत दिनों के बाद आज सुकून से बैठ कर चाय पीने बैठी ही थी कि मेरे मोबाइल पर मेरी दोस्त नीलू का फ़ोन आ गया।

“हैलो नीलू “बोली ही थी उसने हड़बड़ाते हुए कहा ,”राशि तू प्लीज़ जल्दी से मेरे घर आ जा।”बोल कर फ़ोन काट दिया।

मैं जल्दी से अपने पति रितेश को बोली,”मुझे जल्दी से नीलू के घर ले चलो उसने बुलाया है।”

हम दोनों जब उसके घर पहुँचे तो देखा उसके पड़ोसी उसके घर के बाहर खड़े थे। किसी अनहोनी की आशंका से मेरा दिल घबराने लगा । रितेश मेरा हाथ पकड़कर घर के अंदर ले गए।उनकी पकड़ से थोड़ी सांत्वना तो मिली पर दिल डरा हुआ था। अंदर गये तो देखा सोफे पर पवन (नीलू के पति) सर पर पट्टी बांधकर बैठे हैं…..पूरे कपड़े पर यहाँ वहाँ ख़ून के धब्बे लगे थे।

नीलू मुझे देखते गले लग कर रोने लगी। रितेश पवन के पास जाकर बैठ गए। मेरी सवालिया निगाहों की ओर देखते हुए नीलू बोली ,“राशि आज फिर हमें किसी ने बचा लिया…..एक ट्रक ने कार को ऐसे टक्कर मारी कि बचना मुश्किल था पर पता नहीं कहाँ से फिर वो बाबा जी हमारी मदद करने पहुँच गए। बस पवन के सिर पर थोड़ी चोट लगी और मुझे देख बच गई। बस दिल घबरा रहा था इसलिए तुम्हें बुला लिया…..पता जिसने भी वो टक्कर देखी बस यही बोल रहे आपलोग बड़े भाग्यशाली हो जो बच गए नहीं तो इस टक्कर में किसी का बचना मुश्किल था।”

नीलू हमेशा मुझे एक बाबा के बारे में बताया करती थी। वो उसके गुरु जी थे उसकी शादी के बाद उसकी मम्मी ने गुरुजी से दीक्षा दिलवा दिया था…..और उन गुरुजी के जितने भी शिष्य होते उनको एक पत्रिका मिलती जिसमें गुरुजी के सानिध्य में रहकर अपने-अपने अनुभव लिखते। नीलू को भगवान और गुरुजी पर बहुत भरोसा था। उसने बताया था हम जहां भी जाते पत्रिका साथ रखते हैं, वो कहती ऐसा समझ ले वो हमारे लिए रक्षा कवच जैसा है।

एक बार वो अपने घर से मायके जा रही थी, अचानक पता चला नक्सलियों ने एक पुलिया उड़ा दिया अब आगे का रास्ता बन्द है। नीलू को जाना ज़रूरी था इसलिए उन्होंने आसपास के लोगों से पूछा कोई और रास्ता है क्या आगे जाने का?वो एक गाँव वाला इलाक़ा था ….लोगों ने बोला रास्ता है तो …पर बहुत लंबा हो जायेगा गाँव गाँव होकर आपको आगे जाना पड़ेगा। पवन और नीलू को जाना ही था वो निकल गए उस रास्ते। जून का महीना दोपहर का वक़्त गाँव की कच्ची सड़क पर अचानक उन्हें दो रास्ते नजर आये समझ नहीं आया किस रास्ते जाना है वो लोग इधर-उधर देख रहे थे कोई दिखाई दे तो उनसे पूछे पर इक्का दुक्का लोग दूर दराज़ दिख रहे थे। नीलू मन ही मन डर रही थी क्योंकि उस रास्ते में चोरी की वारदातें सुनती रहती थी।


तभी अचानक एक आईसक्रीम का ठेला लिए एक बुजुर्ग दिखाई दिए । पवन ने कार का शीशा नीचे किया और बोला ,“हमें मेन रोड तक जाना है कौन सा रास्ता जायेगा? “

आईसक्रीम वाले ने बोला ,“आप लोगों को आज नहीं निकलना चाहिए था,लगता कोई ज़रूरी काम होगा तभी जा रहे हैं…..ऐसा करो ये दायीं ओर से निकल जाओ फिर कुछ आगे जाकर एक टूटी हुई सड़क दिखेगी उस पर 2 किलोमीटर के बाद मुख्य सड़क आयेगी। बेटा आपलोग अब इधर से जल्दी निकल जाओ ….ये इलाक़ा सुरक्षित नहीं है ।,”

वो उनके बताए रास्ते पर निकल तो गये पर पता नहीं आगे जाकर उन्हें डर भी लगा कहीं गलत रास्ता तो नहीं बताया होगा?

अचानक से उनके मन में सवाल आया अभी इधर कोई दिख नहीं रहा ये आईसक्रीम वाला किनको आईसक्रीम दे रहा होगा,वो पीछे मुड़कर देखे तो उधर कोई भी दिखाई नहीं दिया। वो लोग फिर जल्दी जल्दी निकल गये। आईसक्रीम वाले ने उन्हें सही रास्ता बता दिया था। दूसरे दिन समाचार पत्र में पढ़ा नक्सलियों ने उस इलाक़े के आसपास भी गोली चलायी जिससे बहुत लोगों की जान गई। अब नीलू के समझ में आया वो परेशान थी और मन से गुरुजी को याद कर रही थी तभी वो आईसक्रीम वाले के रूप मे वो उनकी मदद को आये।तभी तो उन्हें दूर दूर तक वो दिखाई नहीं दिये थे।

आज भी बस उसके विश्वास ने उनकी रक्षा की नहीं तो आज पता नहीं क्या हो जाता।मेरा मन इन बातों पर विश्वास नहीं करता पर नीलू के विश्वास के आगे मैं भी ये सोचने पर मजबूर हो गई कि शायद कोई तो शक्ति होती है जो हमारे लिए रक्षा कवच का काम करती है। ये किसी जादुई दुनिया की कहानी नहीं है पर जादुई शक्ति की ज़रूर कह सकती हूँ…. आप इस बात से कितना इत्तफ़ाक़ रखते हैं ज़रूर बताएँ…. काश ऐसी जादुगरी हर उस इंसान के साथ हो जो कभी किसी बड़ी मुसीबत में पड़ जाते और आगे कुछ समझ नहीं आता… ऐसी जादुई दुनिया हो जाए तो कोई भी किसी को बीच मँझधार छोड़ कर ना जाए सब बच जाएँ।

कहानी पर अपने विचार ज़रूर व्यक्त करें।

# ये ज़रूरी नहीं है कि सभी इस बात से सहमत हो …. ये बस आस्था और विश्वास की बात होती है…।

धन्यवाद

रश्मि प्रकाश

 

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