वो घुंघरूं की छुन…छुन.. – लतिका श्रीवास्तव

 #जादुई_दुनिया

 

… छुनन…. छूनन…. छुन….. छुन की धीमी आवाज क्रमश: तेज होने  लग  गई थी…..और उसके साथ ही मेरे दिल की धड़कनें भी……!अब तो मैं थोड़ा डरी कही सही में तो कोई चुड़ैल नही है !!!!आज तो मेरी खैर नहीं थी …..मैने फिर हिम्मत करके कदम आगे बढ़ाए आवाज और तेज हो गई…प्रतीत हुआ मानो किसी नृत्य रत  पैरो में बंधे घुंघरू उस रात के सन्नाटे को चीरते हुए मुखरित हो उठे हों…..

…….मतलब सब सही कह रहे थे कोई चुड़ैल ही है!!पर चुड़ैल ही क्यों !!कोई भूत भी हो सकता है!!!भूत भी तो नृत्य कर सकते हैं !!भयभीत मन भी तर्क कर सकता है तभी पता चला था मुझे!अरे ये गर्ल्स हॉस्टल है इसलिए चुड़ैल को ही परमिशन मिल सकती है!!दूसरा तर्क उठा ….ये वजनदार था!

 

भुतहा हॉस्टल …..!!जब पता था कि भुतहा है ये हॉस्टल तो फिर क्यों आए यहां??प्रश्न उठना स्वाभाविक है !!क्या करते …..आगे की पढ़ाई के लिए यही एकमात्र गर्ल्स हॉस्टल था !पढ़ना हो तो रहो या फिर भूतों से डरो…!….

…..पूरे हॉस्टल में चर्चा थी(रूबरू कोई नही हुआ अभी तक !!)कि डाइनिंग हॉल के साथ जो मेस है उसके बगल में लगे पीपल के पेड़ पर कोई चुड़ैल है जो रात में 2 बजे से सुबह 3 बजे तक पूरे हॉस्टल में घूमती है,डांस करती है,उसके घुंघरूओं की आवाज़ (कभी किसी ने सुनने की हिम्मत ही नही की )सबको सुनाई देती है…इसीलिए नियम था ….2बजे के पहले ही सभी के रूम्स की लाइट ऑफ हो जाती है और सब लोग फटाफट सो जाते हैं,बाहर तो कोई निकलता ही नहीं ना ही उस दरमियान रूम का दरवाजा ही खोलता है….. कहीं चुड़ैल हुई तो!!मेरे रूम मेट्स मुझे बता रहे थे……….

हुंह!!ये सब बकवास है भूत चुड़ैल कोई नही होते। किसी ने अफवाह फैलाई होगी…. मैने बड़ी बहादुरी से अपनी निडरता की डींग हांकी। मुझे ऐसी बातों पर बिल्कुल विश्वास नहीं है…नम्रता मेरी रूम मेट ने मेस की तरफ खुलने वाली खिड़की जोर से बंद करते हुए कहा,” अरे नही डर तो लगता है”…मुझे नहीं लगता मैने फिर कहा ….तो फिर चुड़ैल से मुलाकात कर ही लो…सबने चुनौती दी…!…

 


“हां दीदी ठीक से देख कर पता करिएगा चुड़ैल है या भूत है…?रीता मेरी जूनियर को तो यही गुत्थी सुलझानी थी शायद!….”ये कैसे पता चलेगा आखिर आत्माएं तो एक जैसे कपड़े पहनती होंगी और आवाज भी एक जैसी होती होगी!!मैने अपने सीनियर होने का ज्ञान परोसा उसको…..””very simple दीदी आप तो जैसे ही मुलाकात हो तुरंत उसके पैरों की तरफ देखिएगा…..पैर सीधे हुए तो भूत और पैर उल्टे हुए तो चुड़ैल….रीता ने भी लगता है काफी रिसर्च की थी इस क्षेत्र में!!…अब तो मुलाकात करनी ही पड़ेगी इस घुंघरूं वाली/ वाले से …..मुझे महसूस हुआ।

मेरी तो आदत थी रात में देर तक पढ़ने की ….जब आधे से अधिक हॉस्टल के सोने का समय होता था तभी मेरे पढ़ने का समय होता था…पता नही सुबह जल्दी उठना वो भी पढ़ाई करने के लिए !!!!!मेरे लिए असंभव सा था ….देर रात शांति से बढ़िया पढ़ाई होती थी मेरी….।हॉस्टल में सेकंड फ्लोर पर रूम  था……..पढ़ते पढ़ते कल होने वाले टेस्ट के नोट्स याद करने और नींद भगाने के लिए मैंने रूम्स के बीच फैले लंबे बरामदे में टहलना शुरू कर दिया….पढ़ाई में इतनी तल्लीन हो गई कि समय का ध्यान ही नही रहा….

अचानक घुंघुरुओ की आवाज से मेरी तल्लीनता भंग हो गई….

मेरे कदम रुक से गए!भगवान तो नहीं पर चुड़ैल जरूर याद आ गई….मैने ध्यान से सुना…. छुन … छुन…..हां ये तो घुंघरू जैसी ही आवाज है!बरामदे के पहले छोर पर स्थित अपने कमरे से आगे बढ़ते हुए दूसरे छोर की ओर मैने धीरे धीरे पढ़ना शुरू किया!!पढ़ना ?? अरे ऐसे समय में कौन पढ़ता है ….. !!पढ़ना नहीं…. बढ़ना शुरू किया ….आधे रास्ते में आकर लगा यहीं से आवाज की गति बढ़ रही है और एक कमरे के सामने तो एकदम तेज हो गई…. ध्यान दिया अरे इसी कमरे के सामने नीचे मेस का पीपल का पेड़ भी तो है…मतलब!!!!सही में!!!

मैंने डरते हुए उस कमरे का दरवाजा खटखटाया…..दो बार …..तीन बार…..सन्नाटा और भी गहरा हो गया था रूम के अंदर….मुझे लगा दरवाजा खुल जाता तो डांस का लाइव टेलीकास्ट दृष्टव्य हो जाता …और भूत या चुड़ैल से यादगार मुलाकात भी हो जाती………पर!!शायद( रूम वाले इसे मेरी नही उस चुड़ैल की खटखटाहट समझ रहे होंगे दरवाजा कैसे खोल देते!!!!)

और तभी मुझे अचानक एहसास हुआ… ये दूर तक फैला लंबा बरामदा…..रात का सन्नाटा……सारे बंद दरवाजे  …….आस पास कोई नहीं….सिर्फ मैं अकेली…! मुझे  लगा कहीं चुड़ैल मुझे डांस पार्टनर ना बना ले उसका क्या भरोसा!!! पर मुझे तो  डांस करना ही नहीं आता  है?…. कहीं मेरी इसी अक्षमता पर नाराज़ ना  हो जाए …!अरे उसके जैसा चुड़ैल डांस तो मैं कर ही लूंगी मुझे लगा!!

कहीं मेरा डांस उसे ज्यादा पसंद आ गया तो?!तो…. फिदा होकर मुझे अपने साथ ही ना ले जाए!!! ओह..!

 


जल्दी से मैं अपने रूम के पास आई ताला खोला….ताला!! हां भई….मेरे रूम मेट्स ने मेरी इस रहस्य खोज यात्रा में मेरा साथ देने से साफ इन्कार ही नही किया  था  बल्कि चुड़ैल को विश्वास दिलाने के लिए कि वो मेरे साथ नहीं है(चुड़ैल के साथ है!) रूम में ताला लगवाकर अपने डर और चुड़ैल के विश्वास को जीतने की चाभी तैयार कर ली थी ….!

शीघ्रता से मैंने ताला खोला और कोई जोखिम ….. हां जोखिम !!मेरे मम्मी पापा ने मुझे यहां पढ़ने भेजा था ….चुड़ैल का पता लगाने नहीं….!तो कोई जोखिम ना उठाते हुए मैने भी चुपचाप शयानाधीन होने में ही अपनी भलाई समझी।

दूसरे दिन मेरे उठने के पहले पूरा हॉस्टल मेरे दाएं बाएं इकठ्ठा था……”चुड़ैल और मैं.”….विषय पर मेरे साहसिक अनुभवों को सुनने की उत्कंठा लिए।

किसी सेलिब्रिटी वाली फीलिंग लिए मैने बिना मांगे किसी के द्वारा पकड़ाई गई दुर्लभ इलायची वाली चाय रूपी गोल्ड मेडल को पकड़ने में क्षणिक भी देरी ना करते हुए मौके का पूरा लाभ उठाया ….और बहुत चटखारे लेते हुए अपना साहसिक वृत्तांत सबके खुले मुंह और फटी आंखों को सुनाया।

जिनके रूम के सामने सबसे तेज आवाज आई…. ये जानने के बाद वो बिचारे सबसे ज्यादा खौफ में थे …मुझे तांत्रिक की भांति जबरदस्ती पकड़ के अपने रूम में ले गए … कि अब तुम ही कुछ करो चुड़ैल के प्रकोप से बचाओ!रूम चेंज करने की सोचने लगे…..कोई नया शिगूफा मेरा दिमाग बना ही रहा था कि……..

 

…..तभी किसी ने उस रूम का सीलिंग फैन ऑन किया ….. फैन ने जैसे ही धीरे धीरे चलना शुरू किया…अरे बिलकुल वैसी ही आवाज !!….घुंघरू वाली…… फैन की स्पीड के साथ आवाज भी बढ़ती गई….!!

 

अब चुड़ैल पकड़ में आई!!

 

उसी शाम उस रूम का सीलिंग फैन बदल कर नया फैन लगा दिया गया …..और तब से वो हॉस्टल …”चुड़ैल मुक्त” हॉस्टल हो गया…..और मुझे एम ए की उपाधि के साथ साथ तांत्रिक की उपाधि से भी विभूषित कर दिया गया।।

 

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