वक़्त के मोहरे – अभिलाषा कक्कड़

अरे भई अपर्णा कहाँ हो !! बाहर से आते ही अमन पत्नी को बार बार आवाज़ देने लगा । छत पर कपड़े सुखाती अपर्णा पति कीं आवाज़ सुनकर जल्दी से नीचे दौड़कर आई । आप आ गये.. चाय बना कर लाऊँ ?? तौलिए से हाथ पोछते हुए बोली । चाय नहीं पीनी , मैं भैया भाभी को मिलने जा रहा हूँ । तुम्हें चलना है क्या मेरे साथ ? पत्नी की तरफ़ प्रश्न भरी निगाहों से देखते हुए अमन बोला ।

नहीं आप ही जाइये मुझे नहीं जाना । आजकल तो आपके भाई भाभी के ही जिधर देखो चर्चे हैं । दिन क्या बदले मिज़ाज भी दोनों के खूब बदल गये । कल ही मुझे भाभी की पड़ोसन उनकी प्यारी सहेली चन्दा मिली थी । बस भाभी की ही बातें किये जा रही थी । रास्ते में पकड़ कर बोली अपर्णा तेरी जेठानी के तो बिलकुल रंग ढंग बदल गये हैं । कल मैं दही जामुन लेने पता नहीं कैसे पहुँच गई सुशीला के घर… उसे तो अच्छा ही नहीं लगा मेरा आना । चाय पानी तो दूर ठीक ढंग से बैठने को भी नहीं कहा । नौकरानी को जामुन बोलकर ख़ुद फ़ोन में ही घुसी रही । घर का तो पुरा नक़्शा ही बदल गया । एक से एक क़ीमती सामान भरा पड़ा है । यक़ीन नहीं आ रहा कि ये वही मेरी सहेली जो गली में बैठकर मेरे साथ मटर मैथी साफ़ करती थी । मेरे घर की एक कटोरी साग दाल सब्ज़ी भी उसके लिए एक वक़्त का काम निकाल देती थी और आज रसोईघर भरा पड़ा है मगर एक कप चाय नहीं पूछा दिल छोटा हो गया । वक़्त वक़्त की बात है ..  ना जाने ओर भी क्या क्या बता रही थी !! पति के नज़दीक बैठते हुए अपर्णा बोली ।

वैसे आप मिलने ही जा रहे हैं या कोई काम भी है ?? तुमने सही सुना अपर्णा थोड़ा गंभीर सूर में अमन बोला ! कल काशी चाचा मिले थे वो भी बता रहे थे कि अब तुम्हारा भाई मदन अब पहले जैसा मदन नहीं रहा । भैया के साथ ही उनकी दुकान है इसलिए उनसे ही पता चला कि भैया ने अपने मनियारी का सारा सामान तक़रीबन बेच दिया है । अब दुकान बेचने का भी सोच रहे हैं । मैं सोच रहा था कि क्यूँ ना उस दुकान को मैं हमारे बेटे पीयूष के लिए ख़रीद लूँ । बड़ा भाई भतीजे के लिए बहुत मोल भाव तो नहीं करेंगे । जब भैया को अंकुश के लिए पैसों की ज़रूरत थी तो मुझसे जितना बन पाया था मैंने दिया । भले ही उन्होंने वो सारा लौटा दिया लेकिन वक़्त पर मदद तो की .ऐसे ही धीरे-धीरे मैं भी लौटा दूँगा । बस इसी सिलसिले में बात करने जा रहा था । ठीक है फिर मैं निकलता हूँ ।

अभी अमन ने अपनी सकूटी चलानी शुरू ही की थी कि अपर्णा भाग कर अन्दर से आई .. रूकिए मैं भी चलती हूँ । अब क्यूँ ?? पति ने पूछा तो हंसकर बोली.. मैं भी तो देखूँ क्या क्या तबदीलियाँ आई है उस घर में  , बस पाँच मिनट में तैयार होकर आ रही हूँ ।

घंटे भर की दूरी पर ही बड़े भाई का घर था । पति के पीछे बैठी अपर्णा देखते देखते पुराने दिनों में चली गई । महीना से उपर मिले समय हो जाता था तो भैया भाभी ख़ुद मिलने चले आते थे । अंकुश भैया भाभी की इकलौती औलाद, पढ़ाई ही में नहीं संस्कारों में भी हीरा , बहुत ही होनहार और समझदार बच्चा, माँ बाप की हर उम्मीद पर खरा उतरा । डाक्टर बनने की उसकी तमन्ना भैया भाभी ने अपना सब कुछ लूटा कर पुरा की । जैसे ही उसका कालेज शुरू हुआ भैया का मनियारी की दुकान का व्यापार मंदी में जाने लगा । भाभी ने अपने गहने बेच कर उधारों पर पैसा उठाकर बेटे को पढ़ाया । पढ़ाई पुरी करते ही अमेरिका चला गया । वहाँ कमाने लगा और माँ बाप के सब पैसे के संकट दूर कर दिए । सुना है खूब पैसा भेजता है । वो माता-पिता जिन्होंने उसे एक अच्छी परवरिश देकर इस काबिल बनाया आज ख़ुद चार पैसे हाथ में आते ही दुनिया को उसकी औक़ात दिखाने लग गये हैं । एक झटके में स्कूटी घर के सामने रूकी तो अपर्णा ख़यालों से बाहर निकल आई ।



अमन ने जैसे ही दरवाज़ा खटखटाया तो पत्नी ने हाथ पकड़कर डोरबेल पर रख दिया । देख नहीं रहे कितनी आधुनिक तकनीक की घंटी लगी है!! अमन पत्नी की ओर देख कर मुसकुराने लगा । घंटी बजते ही भाभी की आवाज़ साफ़ सुनाई दी …. अरी केसर कहाँ हो ज़रा देख तो कौन आया है ??

दरवाज़े खोलते ही केसर के चेहरे पर बड़ी सी मुस्कान आई ..अरे ये तो चाचा चाची है !! कितने दिनों में आई हो चाची । कैसी है केसर ?? अपर्णा ने प्यार से उसके चेहरे को छूते हुए कहा  । मैं अच्छी हूँ चाची केसर हंसते हुए बोली ।

दोनों ने सामने बैठी भाभी के चरण स्पर्श किये और वहीं पास में ही बैठ गये । अपर्णा नज़रें घुमाकर सारा घर देखने लगी । उसकी आँखें शान शौक़त देख कर चकाचौंध हो रही थी । जिस घर में गिनती का सामान था वहाँ क़ीमती वस्तुओं की भरमार थी । बढ़िया फ़र्नीचर, दीवार पर टंगा स्मार्ट टी वी , लम्बा सा फ्रिज, सब तरफ़ मार्बल का काम, हाथ में महँगे स्मार्ट फ़ोन अपर्णा के लिए सब कुछ बहुत हैरान करने वाला था । क्या देख रही हो छोटी ?? भाभी आँखें मटका कर पुछने लगी ।

वाह भाभी अंकुश ने तो घर की काया ही पलट दी । बहुत ख़ुशी हुई देख कर, भगवान ऐसा बेटा सबको दे !! अपर्णा ने जैसे सच्चे मन से दुआयें दी । अच्छा क्या लोगी भाभी फ्रिज खोलकर पुछने लगी । फ्रिज तरह-तरह के पेय पदार्थों फलों से भरा पड़ा था ।अपर्णा सोचने लगी भाभी के छोटे से पुराने फ्रिज में पानी की बोतलों के अलावा कभी कुछ ओर नज़र आया ही नहीं और आज….. वाह!!!

अपर्णा – भाभी आप कब से ये सब ठंडे पीने लगी ?

सुशीला – मुझे ना जमते ये सब  । अंकुश ने जब से हमारा क्लब शुरू करवाया है । तब से बड़े बड़े लोगों से उठना बैठना हो गया है। आना जाना लगा रहता है । रखना पड़ता हैं यह सब घर में ..

अपर्णा – अच्छा तो ये बात है । नहीं भाभी ठंडे वडें रहने दो चाय ही पी लेंगे ।

तभी मदन भैया भी आ गये । महँगे वाले फ़ोन से किसी से बात करते हुए । उनकी बात ख़त्म होते ही दोनों ने बढ़कर भैया को प्रणाम किया  । कैसे हैं भैया ?? पूछकर अमन ने भैया की तरफ़ अपनी कुर्सी खींच ली ।

भैया – कैसे दिख रहे हैं हम , मज़े से है । जिसका बेटा अंकुश जैसा हो वहाँ तो किसी बात की कमीं हो भी नहीं सकती ।



अमन – हाँ भैया सही कह रहे हैं आप , सच में ये सब सुख सुविधा आराम देखकर बहुत अच्छा लगा ।

भैया – तुम सुनाओ  , पीयूष कुछ कर रहा है या नहीं ??या यूँ ही दोस्तों की मटर गश्ती में वक़्त बर्बाद कर रहा है । उसे कहो सीखे कुछ अंकुश भाई से.. अब उसे भी पैरों पर खड़ा हो जाना चाहिए ।

अमन – नहीं भैया पीयूष का भले ही पढ़ने में दिमाग़ नहीं चला मगर संस्कारों में वो अमन से कम नहीं । उसी के सिलसिले में आपसे बात करने आया था । मैंने सुना आप दुकान का सौदा कर रहे हैं । मैं सोच रहा था पीयूष के लिए उसे ख़रीद लूँ । वो गिफ़्ट शाप खोलना चाहता है ।

भैया – हाँ भई बिलकुल बेचना चाहते हैं । पैसे है तो ख़रीद लो ,चालीस लाख दाम है । भैया अभी तो मेरे पास दस लाख है । धीरे-धीरे करके चुका दूँगा , अमन थोड़े दबे लहजे में बोला ।

भैया – देखो भई तुम्हारे लिए पाँच लाख कम कर दूँगा । लेकिन पैसे एक साथ चाहिए । अंकुश के घर ख़रीदते ही हम अमेरिका चले जायेगे फिर मैं कहाँ तुम्हारे पीछे भागता फिरूँगा । पैसों का इन्तज़ाम हो तो आ जाना । ये मेरा आख़िरी फ़ैसला है ।

भैया के खुश्की भरे बर्ताव ने पति पत्नी को वहाँ से उठने के लिए विवश कर दिया । वो तुरंत वहाँ से उठकर चल दिए । बाहर अभी वो स्कूटी पर निकलने ही वाले थे कि किसी ने ज़ोर से अपर्णा को आवाज़ दी । अपर्णा ने घूम कर देखा तो चंदा हाथ के इशारे से बुला रही थी । अपर्णा वहाँ गई तो देखो गली की सभी महिलाओं का समूह बैठा था । तभी चंदा बोली मिल आई अपनी घमंडी जेठानी से देखे उसके तेवर .. दूसरी बोली कल मेरे ससुर की तबियत ख़राब हुई तो गाड़ी की मदद माँगी तो अपना ड्राइवर यह कह कर भगा दिया कि गाड़ी में तकनीकी ख़राबी है । तीसरी बोली .. पिछले हफ़्ते शर्मा जी की बेटी की शादी में जा रहे थे । हमने कहा हमें भी ले जाओ साथ तो बोली नहीं तुम्हारे साथ हम भी वहाँ लटक जायेगें। सामने से ही इनकार करके चली गई । एक के बाद एक भाभी की शिकायत करती गई ।यक़ीन नहीं आता यह वही सुशीला जो कभी घुल मिल कर हमारे साथ बैठती थी । सच में पैसे में बडा नशा है कहकर सारी हंसने लगी ।

उदास मन से अमन और अपर्णा बिना चाय पीये घर वापिस आ गये । फिर दो महीने के बाद भैया का फ़ोन आया । अमन अंकुश ने घर ले लिया है और वो हमें अमेरिका बुला रहा है । हम लोग वीज़ा एंबेसी के काम से तीन चार दिन के लिए मुम्बई जा रहे हैं । तुम आकर चाबी ले जाओ ।सुनते ही अमन बोला भैया वहीं पड़ोस में ही किसी को दे जाइये । हम तो वैसे भी बहुत दूर है घर से ।नहीं पहले ओर बात थी अब घर में बहुत क़ीमती सामान है । तुम शाम को आकर चाबी ले जाओ .. भैया ने हुक्म जारी किया ।

चार दिन के बाद भैया का मुम्बई से फ़ोन आया । स्वर में बहुत दर्द और उदासी थी । गला रूँधा हुआ था .. अमन सब ख़त्म हो गया मेरे भाई कहकर भैया ज़ोर ज़ोर से रो पड़े ।अमन भी घबरा गया और हैरानी चिंता में पूछने लगा क्या हुआ भैया ??



डाक्टरी जाँच के दौरान पता चला है कि तुम्हारी भाभी को बहुत बड़ी बीमारी है ब्रेस्ट का कैंसर है । कैंसर आख़िरी चरण का है । ज़्यादा समय नहीं है उसके पास , ईलाज के लिए एक महीना दिल्ली में रहेंगे । अंकुश ने सब बंदोबस्त कर दिये हैं । चल फिर तुझे बाद में फ़ोन करूँगा । ख़बर सुनते ही दोनों पति पत्नी ग़म में डूब गए ।

एक महीने बाद भाई का फ़ोन आया घर साफ़ करवा देना हम कल आ रहे हैं ।अपर्णा ने केसर को बुलाया और घर साफ़ करने में जूट गई । सब तरफ़ धूल धक्कड था । फ़्रिज मे भयंकर बदबू थी । भाभी ने दूध दही तक भी केसर को देना ज़रूरी नहीं समझा । बेडरूम में अमेरिका जाने की अटैचियाँ तैयार थी जिसे देखकर अपर्णा भाव विह्वल हो गई । अगले दिन भैया भाभी आ गये । भाभी के सब बाल जा चुके थे इलाज के दौरान , भैया ने जब बताया कि सुशीला के पास चार महीने से ज़्यादा का समय नहीं है । यह सुनते ही अपर्णा रो पड़ी । भाभी को बड़े बिस्तर पर लिटाया तो भाभी ने अपर्णा का हाथ पकड़ लिया । आँखों में दर्द सामने ज़िन्दगी का कड़वा सच था । हाथ पकड़ते ही भाभी बोली .. ये क्या हो गया छोटी , हम तो अमेरिका जाने की तैयारी में गये थे ।सोचा था बेटे के पास जायेंगें, दुनिया घूमेंगे  ये वक़्त ने हमें कहाँ लाकर पटक दिया ।ज़िंदगी के सुखों में मैं डूबी देख ही नहीं पाई कि मौत आकर मेरे इतने क़रीब खड़ी है । धन के नशे ने मेरे दिमाग़ को सातवें आसमान पर बिठा दिया । जिन अपनों ने सदा साथ निभाया उन्हें ही तुचछ समझने लगी । बात करने का सलीका अदबी सब भूल गई । झूठी शान के पीछे भागने लगी । लेकिन वक़्त ने ऐसा तमाचा मारा सब अन्दर से ढह गया ।वक़्त के आगे किसी की नहीं चलती जो क़िस्मत में लिखा कर आये हैं होता वहीं है ।हम सब वक़्त के हाथ के मोहरे है वो चालें चलता है और हम बेबस बुत बने देखते रह जाते हैं । सही कहते हैं लोग वक़्त से डरकर रहना चाहिए । बेटे को अच्छे संस्कार दिये और ख़ुद धन्यवाद प्रभु का करने की बजाय अहंकारी बन गये , कहकर भाभी ज़ोर ज़ोर से रोने लगी । अपर्णा मेरी बहना मेरा एक काम करेगी ??

बोलो भाभी अपर्णा भाभी के सिर पर हाथ फेरते हुए बोली ।



तू कल मेरी गली की सब सहेलियों को यहाँ बुलाकर ला । मुझे उन सबसे अपने व्यवहार की माफ़ी माँगनी है । अग़ले दिन अपर्णा सभी को बुला लाई । सुशीला ने केसर की मदद से अच्छा खाने पीने का बंदोबस्त किया । सभी आई चेहरे पर सबके उदासी थी । भीतर का प्रेम फिर से उमड़ आया था । गिले शिकवे कभी थे यह भी जैसे किसी को याद नहीं था । भाभी सबसे प्यार से मिली । जैसे ही क्षमा माँगने के लिए हाथ जोड़े सभी सखियों ने उन्हें गले लगा लिया और हर रोज़ उनसे मिलने का वादा करके चली गई ।

जब चार माह के बाद डाक्टर ने बताया कि अब ज़्यादा समय नहीं है उनके पास, अगले ही दिन अंकुश भी तीन हफ़्ते की छुट्टी लेकर आ गया । माँ तो जैसे बेटे का ही इन्तज़ार कर रही थी ।उसने जैसे ही माँ का सिर अपनी गोद में रखा उसी वक़्त उसने अपनी आख़िरी साँस ली और दुनिया से विदा हो गई । सबने भारी मन अश्रु भरी आँखों से सुशीला को विदाई दी ।

उठाले के बाद जब दोनों परिवार साथ बैठे थे तो अंकुश हाथ में काग़ज़ और चाबी लेकर आया और पीयूष के हाथ में देकर बोला ये लें यह दुकान आज से तेरी हुई । जमकर अपना व्यापार जमा और पैसा वैसा सब भूल जा । फिर चाचा की तरफ़ देखकर बोला मैं पापा को साथ लेकर जा रहा हूँ । घर का एक हिस्सा किराए पर दे दिया है । पापा का जहां मन करेगा वहीं रहेंगे । यहाँ आयेंगे तो आप लोगों ने उनका ख़याल रखना है । अमन हैरानी से भाई की तरफ़ देखने लगा । अंकुश ठीक कह रहा है अमन … मेरा असली धन तो तुम सब हो जैसे अंकुश है वैसे ही पीयूष भी मेरा बेटा है । मैं ही ग़लत था यह वक़्त ने मुझे सिखा दिया है । तुम सब लोग ख़ुश रहो आबाद रहो बस अब तो यही ईश्वर से प्रार्थना है भाई ने यह कहकर अमन को गले लगा लिया

#वक्त 

स्वरचित कहानी

अभिलाषा कक्कड़

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