विश्वास का कत्ल हमेशा अपने ही करते हैं – बीना शर्मा  : Moral stories in hindi

“पापा जी बीड़ी के बंडल के पैसे तो देकर जाओ”श्रीकांत जैसे ही दुकान से बीड़ी का बंडल लेकर बाहर निकले तभी उनका बेटा पवन जो उस वक्त दुकान के अंदर ही बैठा था अपने पापा से बोला तो श्रीकांत आश्चर्य चकित होते हुए पवन से बोले” बेटा यह तुम्हारी ही तो दुकान है फिर मैं पैसे किस बात के दूं मैंने तो अपना समझ कर ही एक बीड़ी का बंडल ले लिया भला कोई अपनों से भी पैसे लेता है?”पापा जी हिसाब तो हिसाब है यदि मैं ऐसे ही मुफ्त में सबको सामान देता रहा फिर मैं पैसे कैसे जमा करूंगा?”

यह दुकान मैंने पैसे जोड़ने के लिए ही खोली है इसलिए पैसे तो आपको देने ही होंगे चाहे अपने हो या पराये मैं मुफ्त में समान किसी को नहीं दूंगा “पापा की बात सुनकर पवन ने कहा तो उस वक्त उसकी मम्मी सरोजिनी भी वहीं पर थी पवन उनका इकलौता बेटा था जिसकी परवरिश उन्होंने बड़े ही प्यार से की थी एक  सरकारी कंपनी में  जॉब करने वाले श्रीकांत अपने  बेटे की हर ख्वाहिश पूरी करने के लिए हर पल तैयार रहते थे वह जिस चीज पर  हाथ रख देता था श्रीकांत महंगी होने के बावजूद भी पवन को तुरंत दिला देते थे 

उसकी इच्छा के अनुसार उन्होंने पवन को शहर के नामी विद्यालय में शिक्षा यह सोचकर दिलवाई थी कि अच्छा पढ़ लिख  जाएगा तो अपने पैरों पर खड़ा हो जाएगा परंतु, अपनी कॉलेज शिक्षा पूर्ण करने के पश्चात जब कई जगह कंपनियों में चक्कर काटने के बाद भी पवन को कहीं नौकरी नहीं मिली तब एक दिन परेशान होकर वह श्रीकांत से बोला”पापा मैं नौकरी के लिए इंटरव्यू देते देते थक गया मैंने सोच लिया है अब मैं नौकरी नहीं करूंगा आप तो नौकरी से रिटायर हो ही गए हैं यदि आप अपने मिले कुछ पैसों में से कुछ पैसे देकर मेरी मदद कर दो तो मैं एक दुकान खोल लूंगा जब दुकान की कमाई में से  पैसों की बचत होगी तब मैं आपको पैसे वापस कर दूंगा।”

पवन की बात सुनकर श्रीकांत बिना कुछ सोचे समझे अलमारी में से पैसे निकाल कर जब पवन को देने लगे तब सरोजिनी उन्हें समझाते हुए बोली” इनमें से कुछ पैसे अपनी भविष्य के लिए भी बचा लो यदि हमें अपने खर्चे के लिए कभी पैसे की जरूरत पड़ी तो हम किसके सामने हाथ फैलाएंगे?”

    तब श्रीकांत मुस्कुराते हुए बोले”मुझे पैसे बचाने की क्या जरूरत है जब मुझे पैसों की जरूरत पड़ेगी तो पवन से ले लूंगा वैसे भी पवन की  दुकान में मेरी जरूरत का सारा समान होगा जब भी मुझे किसी सामान की जरूरत होगी तब मैं उसकी दुकान से ले लूंगा।”

    ,”फिर भी एक बार सारे पैसे देने से पहले सोच लो कहीं ऐसा ना हो बाद में आपको पछताना पड़े”सरोजिनी ने कहा तो श्रीकांत ने ऐसा कुछ नहीं होगा मुझे अपने बेटे पर पूरा विश्वास है ऐसा कहते हुए बेटे की शादी के लायक  पैसे बचा कर सारे पैसे पवन को दे दिए थे। पापा से पैसे मिलने के बाद पवन ने घरेलू सामान की एक दुकान खोल ली थी जिसमें से उसे काफी आमदनी हो जाती थी अपनी होने वाली आमदनी का का पैसा देखकर उसे लालच आ गया था अपने पापा से मिला पैसा वापस करने की बजाय वह अपने भविष्य के लिए पैसे जोड़ने लगा था।

     उसी दौरान विवाह योग्य उम्र हो जाने पर श्रीकांत ने एक पढ़ी-लिखी लड़की पूनम के साथ पवन का विवाह  यह सोचकर कर दिया था कि बेटे की शादी के बाद पति-पत्नी दोनों आराम से बैठकर खाना खाएंगे परंतु ,शादी के कुछ दिनों बाद ही पूनम ने सास ससुर के साथ यह कहकर रहने से इनकार कर दिया कि मेरे बस की किसी का खाना बनाना नहीं है तब बहू की खुशी के लिए सरोजिनी अपने पति के साथ अलग रहने लगी थी उन्हें जो पेंशन मिलती थी उसी में से वह अपना खर्चा चला लेती थी।

      एक बार श्रीकांत को कई दिनों तक बुखार आ गया तो उनके इलाज में पेंशन में मिले पैसे खर्च हो गए थे श्रीकांत के वैसे तो कोई शौक नहीं थे परंतु, कभी-कभी उनके पेट में गैस बन जाती थी जिसे दूर करने के लिए वो  अक्सर अपने पैसों से खरीद कर बीड़ी पी लेते थे एक दिन पेट में गैस बनने पर जब उन्हें बीड़ी पीने की तलब लगी तो उस वक्त उनके पास पैसे ना होने के कारण वे पवन की दुकान से एक बीड़ी का बंडल ले आए थे जिसे देख कर पवन ने उनसे बंडल के पैसे मांग लिए थे।

          एक बीड़ी के बंडल के लिए पैसे मांगने पर सरोजिनी गुस्से में पवन से बोली”तुझे शर्म नहीं आई अपने पापा से पैसे मांगते हुए जिन्होंने अपने खून पसीने से कमाई सारी रकम तुझे सौंप दी आज  तू उनसे एक जरा से बंडल के भी पैसे मांग रहा है धिक्कार है तुम्हारी ऐसी सोच पर यदि ये भी तुमसे अपने पैसे  वापस मांग ले तो क्या तुम वापस कर पाओगे? बचपन से लेकर आज तक इन्होंने तेरी हर इच्छा पूरी की यहां तक की तेरे अलग पर इन्होंने तुझसे कभी अपने खर्चे के लिए एक पैसा नहीं मांगा और आज तुमने एक बंडल के भी पैसे मांग लिए मुझे शर्म आती है तुम्हें अपना बेटा कहते हुए।”

           मम्मी की बात सुनकर पवन का सिर नीचे झुक गया था अपनी शर्मिंदगी मिटाने के लिए अपने पापा से हाथ जोड़कर माफी मांगते हुए बोला* पापा मुझसे गलती हो गई पैसा जमा करने के लालच ने मुझे अंधा कर दिया था लेकिन मम्मी के जवाब में मेरी आंखें खोल दी मैं आज के बाद ऐसी गलती कभी नहीं करूंगा मुझे माफ कर दो”बेटे की बात सुनकर श्रीकांत ने उसे माफ तो कर दिया था परंतु, इस घटना के बाद उन्हें पैसे बचाने के लिए पत्नी के द्वारा दी राय ने मानने पर काफी पश्चाताप हुआ था।

    इस रचना के माध्यम से मैं यही कहना चाहती हूं कि कभी भी अपनी संतान को अपनी पूरी संपत्ति ना दे अपनी वृद्धावस्था में जरूरत के लिए अपने पास पैसे जरुर बचा कर रखें क्योंकि विश्वास का कत्ल हमेशा अपने ही करते हैं।

बीना शर्मा

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