विश्वासघात – के कामेश्वरी 

नारायण के ऑफिस से आते ही जानकी ने कहा कि सुनिए आज अजय के लिए एक रिश्ता आया है । मेरी बात तो वह नहीं सुनेगा आप ही उसे समझाइए। 

 नारायण ने कहा कि— जानकी तुम्हें मालूम है न कि अजय सिर्फ़ बी कॉम पास है और एक छोटी सी कंपनी में नौकरी करता है । तुमने उन लोगों को उसके बारे में सब कुछ बता दिया है ना । 

जानकी ने कहा- जी मैंने सब कुछ बता दिया है । लड़की ने पी एच डी किया है बॉयो टेक्नोलॉजी में । क्या? नारायण जी एक दम आश्चर्य चकित हो गए थे और कहा तुम्हारा दिमाग़ तो ख़राब नहीं हो गया है ना । इतनी पढ़ी लिखी लड़की हमारे अजय से शादी क्यों करेगी। मेरी बात मानकर उनसे एक बार फिर बात करो उन्हें कोई ग़लतफ़हमी हो गई होगी या तुमने उनसे झूठ तो नहीं कहा है ना?

आप भी हमेशा मेरे ऊपर संदेह करते रहते हैं । मैं भला ऐसा क्यों करूँगी । 

नारायण जी ने कहा कि—  ठीक है मैं मान गया । परंतु तुम उनसे पूरी जानकारी लेकर आओगी तो ही मैं अजय से बात करूँगा। 

जानकी को भी एक बार को लगा कि सही तो है मेरे मन में यह बात क्यों नहीं आई थी कि बच्ची उससे भी कम पढ़े लिखे लड़के से शादी करने के लिए क्यों तैयार हो गई है । माता-पिता कहीं लड़की को मजबूर तो नहीं कर रहे हैं । उसने सोचा पहले अच्छे से पता कर लेती हूँ कि आख़िर बात क्या है । 

जानकी और नारायण के पाँच बच्चे थे।  सभी बच्चे पढ़ाई कर रहे थे । जानकी खुद स्कूल में टीचर थी । उनका घर हमेशा मेहमानों से भरा रहता था।  जानकी सबकी ज़रूरतों को पूरा करके फिर स्कूल जाती थी फिर शाम को आकर सबके लिए खाना बनाती थी । उसके बच्चे उसकी बहुत मदद कर देते थे । अजय उनका बड़ा बेटा था इसलिए घर में सब लोगों ने उसे बहुत प्यार दिया और उस अत्यधिक लाड़ प्यार से वह थोड़ा सा बिगड़ गया था । शराब वग़ैरह जैसी बुरी आदतें तो नहीं थी पर दोस्त जल्दी बनाना और उन पर विश्वास करना उसकी आदत बन गई थी । दोस्तों के लिए कई बार वह श्योरटी भी दे चुका था । वे आकर मगरमच्छ के आँसू बहाते और यह पिघल जाता था । इसलिए उसके दोस्त उसका नाजायज फ़ायदा उठाते थे । 




कई बार पैसा वसूल करने के लिए साहूकार इनके घर आ जाते थे क्यों कि श्योरटी इसने दिया है । रात रात भर घर से बाहर ही रहता था । जानकी चाहती थी कि शादी करा दें तो शायद वह दोस्तों के साथ कम समय बिताएगा । ऐसा उसके सोचने से हो जाएगा क्या । आजकल की लड़कियों को पढ़ा लिखा नौकरी करने वाला लड़का चाहिए था । इसलिए अजय के लिए लड़कियाँ ढूँढने में ही समय बीता जा रहा था और वह छत्तीस साल का हो गया था । उसके बाद के लड़कों की शादी भी करनी है । 

 उन्होंने अपनी बड़ी बेटी लक्ष्मी का विवाह बहुत जल्दी कर दिया था। उसका ध्यान पढ़ाई में नहीं लगता था।  सब हँसते हुए कहते थे कि दीदी आपके घर में आए दिन शादी के लिए लड़के लड़कियों को दिखाने देखने का कार्यक्रम चलता रहता है ना इसलिए उसका ध्यान पढ़ाई पर कम और शादी पर ज़्यादा लगने लगा है । 

लक्ष्मी की शादी अठारह साल में ही हो गई थी । वह सिर्फ़ दसवीं पास थी । जमशेदपुर में उसका ससुराल था । नौ ननंदों के बीच यह एक भाभी थी । हम अजय के रिश्ते की बात करते हैं ।

जानकी ने अजय के लिए आए हुए रिश्ते की छानबीन की तो पता चला कि लड़की अजय से सिर्फ़ एक साल ही छोटी थी। अजय छत्तीस का हो गया है तो वह लड़की पैंतीस के आसपास की हो गई है । अपनी पढ़ाई पूरी करने के चक्कर में उसने शादी नहीं की थी । 

माता-पिता को लगा कि उनकी बेटी लक्ष्मी बड़ी हो गई है और उसके लायक़ पढ़ा लिखा लड़का ढूँढने लगे तो उन्हें कोई भी अच्छा लड़का नहीं मिल रहा था । उन्हें अब फ़िक्र होने लगी कि उसकी शादी होगी कि नहीं इसलिए उससे कम पढ़ा है तो क्या हुआ सरकारी नौकरी तो कर रहा है और ससुराल में लोग अच्छे हैं साथ ही सास ससुर दोनों ही नौकरी कर रहे हैं । इससे भी बड़ी बात कि वे लोग लक्ष्मी को पसंद कर रहे थे। जानकी ने उनसे झूठ बोला था कि अजय पोस्ट ग्रेजुएट है और सरकारी ऑफिस में नौकरी करता है । 




जानकी ने जब नारायण को यह पूरी बात बताई थी कि वह लड़की अजय से शादी के लिए क्यों तैयार हुई है तो उन्होंने कहा कि ठीक है मैं अजय से बात कर लूँगा । अजय ने और लक्ष्मी ने एक दूसरे को नहीं देखा दोनों ने अपने माता-पिता के कहने पर शादी के लिए हाँ कह दिया था । 

अजय की शादी लक्ष्मी के साथ धूमधाम से हो गई थी । शादी के बाद जब लक्ष्मी ससुराल पहुँची तो उसने देखा उनके घर में एक बिन ब्याही ननंद है और दो देवर हैं । बड़ी बेटी का लड़का भी यहीं पढ़ रहा था और बहुत सारे बिन बुलाए मेहमान भी थे जो आए दिन इनके घर में पड़े रहते थे । 

अजय मस्त मौला था।  उसे अपने दोस्तों के अलावा कोई नहीं दिखाई देता था । उन दोस्तों से छुटकारा दिलाने के लिए ही जानकी ने अपने बेटे की शादी कराई थी । लेकिन शादी के बाद भी उसमें कोई बदलाव नहीं आया था । वह पैसे कमाता था परंतु पैसा पूरा दोस्तों में ही खर्च कर देता था । 

लक्ष्मी ने आते ही समझ लिया था कि इस घर में सास की ही चलती है । ससुर भी उनकी बातों को ज़्यादा महत्व देते हैं । 

अब जानकी को लक्ष्मी पसंद नहीं आ रही थी। उसे लगता था कि वह पढ़ी लिखी तो है और उसके बेटे को उँगलियों पर नचाएगी पर ऐसा तो हुआ नहीं साथ ही वह घर के काम काजों में भी निपुण नहीं है ।

 जानकी अजय की शादी के पहले लक्ष्मी से बहुत सारी प्यार भरी बातें करती थी । शादी के बाद वे सब ख़त्म हो गई थी ।लक्ष्मी को लगता था कि ऐसे भी लोग होते हैं । 

जानकी ने कभी नहीं सोचा था कि उसके नालायक बेटे की शादी एक पढ़ी लिखी काबिल लड़की के साथ हो जाएगी। जानकी ने लक्ष्मी के माता-पिता को सोचने समझने का मौक़ा भी नहीं दिया था। प्रतिदिन उनके घर के चक्कर तब तक काटते रही थी जब तक उन्होंने हाँ नहीं कह दिया था । 

अब वह सबसे यही कहती फिरती है कि लक्ष्मी की शादी नहीं हो रही थी।  इसलिए हमारे बेटे के मत्थे उसे मढ़ दिया है। 




वह सोचने लगी थी कि जाने दो वैसे भी अब बड़े बेटे की शादी हो गई है तो मेरे दूसरे बेटों की शादी आराम से हो जाएगी ।

लक्ष्मी अगर होशियार है तो अपने पति को सुधार लेगी वरना अपनी क़िस्मत पर रोएगी ।

 हम जब तक हैं उन्हें खाने पीने की कोई तकलीफ़ तो नहीं होगी बाद में वह खुद पढ़ी लिखी है तो अपना जुगाड़ जरूर कर लेगी । 

लक्ष्मी हमेशा सास की इन बातों को सुनती थी । एक दिन बातों बातों में ही उसे यह भी पता चला कि उसका पति अजय पोस्ट ग्रेजुएट नहीं है और सरकारी नौकरी नहीं बल्कि एक प्राइवेट कंपनी में नौकरी करता है । लक्ष्मी टूट गई थी वह अपने माता-पिता को यह सब बताकर दुःखी नहीं करना चाहती थी । 

उसने सोच लिया था कि अब उसे अजय के साथ ही जीवन बिताना है । वह भी अस्पताल में नौकरी करने लगी थी। लक्ष्मी ने दो बच्चों को जन्म दिया था । एक लड़का और एक लड़की । 

अजय में सुधार तो नहीं आया था पर हाँ एक हादसे में उसकी मौत जरूर हो गई थी । जानकी बेटे की मृत्यु के बाद बहुत ही क्रोधित हो गई और उसने लक्ष्मी को ससुराल से बाहर निकाल दिया गया यह कहकर कि जब बेटा ही नहीं है तो तुम्हारे लिए भी हमारे घर में कोई जगह नहीं है । मैंने सोचा था कि तुम मेरे बेटे को सँभाल लोगी परंतु तुमने तो उसे हम से सदा के लिये दूर कर दिया है ।

 तुम एक काम करो अपने बेटे को यहाँ छोड़ दो।  वह हमारे घर का चिराग़ है और अपनी बेटी को अपने साथ ले जाओ। 

लक्ष्मी ने यहाँ स्टेंड लिया और उनके किसी भी बातों का जवाब नहीं दिया । अपने पिता की सहायता से बच्चों को लेकर अमेरिका चली गई थी वह अमेरिका में एम एस करके आई थी । उसने पी एच डी इंडिया में किया था । वहाँ पहुँच कर उसने ससुराल वालों से नाता तोड़ दिया और अपने बच्चों का पालन पोषण करने की ठान ली । एक अच्छी बहू नहीं पर एक अच्छी माँ बनना चाहती थी । 




दोस्तों कभी कभी अनचाहे ही हम लक्ष्मी के माता-पिता के समान भूल कर देते हैं।  हमारी छोटी सी लापरवाही के कारण हम अपने बच्चियों को अयोग्य हाथों में सौंपकर उन्हें ज़िंदगी भर का गम दे देते हैं । जानकी जैसे कई माँएँ ऐसी होती हैं जो अपनी गलती को किसी और के मत्थे मडकर सुकून पाना चाहती हैं और कहते हैं कि सौ झूठ बोलकर भी एक शादी करा दें तो पुण्य मिलता है इस बात पर विश्वास करके लड़कियों की ज़िंदगी बर्बाद कर देती है । 

#बहु 

स्वरचित

के कामेश्वरी

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