तुम पर विश्वास करना मेरी सबसे बड़ी गलती थी  : Moral stories in hindi

Moral stories in hindi : वैभव और राधिका दोनों ही सरकारी डॉक्टर हैं उनका बेटा सार्थक 8th क्लास में पढ़ता है वैभव अपने माता-पिता की इकलौती संतान है वह भी उसी के साथ लखनऊ में रहते हैं वैभव को देखकर कॉलोनी में भी सभी यही कहते हैं बेटा हो तो ऐसा सच में धनीराम जी अपने नाम के अनुसार ही धनी है बेटे के साथ-साथ बहू भी इतनी अच्छी जो मिली है

लेकिन धनीराम जी और सावित्रीजी ना जाने क्यों बुझे  से रहते हैं जैसे कोई दर्द अंदर ही अंदर सता रहा हो उनका बेटा वैभव उन्हें बहुत समझाता है लेकिन अब तक पुरानी यादों ने उनका पीछा नहीं छोड़ा है उन्हें अपने भाई से अलग हुए 2 साल हो गए हैं लेकिन अब तक उनकी यादों को मिटा नहीं पाए हैं ।कितना अच्छा परिवार था हमारा ।

लोग मिसाल देते थे दोनों भाइयों की उनकी आंखों के सामने सभी बातें चलचित्र की तरह आज भी चलती हैं । धनीराम जी के छोटे भाई दीनानाथजी की  बेटी दीपाली की शादी क्या हुई जैसे हंसते खेलते घर को नजर ही लग गईथी। दीपाली वैभव को अपने सगे भाई से ज्यादा मानती थी और वह भी अपनी बहन पर जान छिड़कता था।

दीपाली का पति वरुण कुछ लालची किस्म का था उसे लगता था कि वैभव उनके हिस्से की जायदाद हड़पने के लिए ही अपनी बहन से प्यार का दिखावा करता है। कहते हैं “सीख पत्थर को भी फोड़ देती है।” न जाने कब और कैसे  औलाद के कारण धीरे-धीरे उनमें अलगाव पैदा होता चला गया उनके कपड़े का शोरूम था जिस पर दोनों भाइयों का बराबर का हिस्सा था।

उनका छोटा भाई कीमत से भी बहुत कम पैसे देकर उसे अपने नाम करना चाहता था यह जानकर धनीराम जी को गुस्से से भी ज्यादा दुख हुआ क्योंकि उम्र के इस मोड़  पर केवल दामाद के कहने में आकर उन्होंने अपने भाई को धोखा दिया था आंखों में आंसू लेकर वेअपने भाई से इतना ही कह पाए थे ”

तुम पर  विश्वास करना मेरी सबसे बड़ी गलती थी।” यह सब जानकर वैभव  अपना हिस्सा भी उनको ही देकर अपने माता-पिता को अपने साथ ले आया था क्योंकि वह अपने परिवार की इज्जत मिट्टी में नहीं मिलाना चाहता था ना ही उसे पैसे की जरूरत थी क्योंकि पति-पत्नी खुद ही डॉक्टर थे उनके पास किसी चीज की कमी नहीं थी। अचानक डोर बेल बजती है राधिका जैसे ही दरवाजा खोलती है सामने दीनानाथ जी को देखकर सब चौंक जाते हैं।

वे अपने बड़े भाई के पैरों में बैठ जाते हैं और उनसे रोते हुए क्षमा मांगते  हुए कहते हैं आपके जाने के बाद एक दिन भी मैं चैन से नहीं सोया हूं  वह घर मुझे काटने को आता है। दीपाली भी साथ आई थी और वह भी अपने भाई से  अपने पति की गलती की माफी मांगती है। क्योंकि उसकी सच्चाई भी उनके सामने आ चुकी थी वो दीपाली पर भी अपने पिता से सारी जायदाद अपने नाम कराने का दबाव बना रहा था।

दीनानाथ जी ने सारी दुकान के कागज अपने भाई को दे दिए कि मुझे कुछ नहीं चाहिए मुझे केवल आपका प्यार चाहिए अपने बड़े भाई के बिना मेरा कोई अस्तित्व नहीं है। सब बहुत खुश थे क्योंकि आंसुओं में सारे गिले शिकवे बह गए थे,  एक बार फिर सारा परिवार एक साथ था कभी दूर न जाने के लिए। लेकिन एक सीख और मिल गई थी कि हमें रिश्तो में हमेशा संपत्ति की पारदर्शिता जरूर रखनी चाहिए विश्वास होना चाहिए ना कि अंधविश्वास ताकि भविष्य में मधुर संबंध खराब ना हो

पूजा शर्मा 

Leave a Comment

error: Content is Copyright protected !!