तू भी तो अभी वही कर रही थी – रोनिता कुंडु  : Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi : मम्मी..! यह कैसे घर में रिश्ता कर लिया..? इन्हें ना तो हमारे स्टैंडर्ड का ख्याल है और ना ही हमारी इज्जत का… बारात से लौटी प्रिया ने अपनी मां ममता जी से कहा…

ममता जी:   प्रिया..! यह सब बाद में सुनूंगी, अभी अपनी भाभी को लेकर अंदर जा… इसके फ्रेश होने पर इसे तैयार करके ले आ… कुछ रस्में होनी है… 

प्रिया:   इन्हें क्या जरूरत तैयार होने की और मैं तो कहती हूं कोई रस्मो की जरूरत भी नहीं… ऐसी भी किसी महारानी को नहीं लाए हैं हम, जो इतना ताम झाम कर सबको दिखाना है… 

प्रिया के इन बातों से अभी-अभी ब्याह कराई पारुल बड़ी असहज महसूस करने लगी… कहां तो उसने सोचा था कि नए परिवार में नए रिश्ते मिलेंगे और कहां यह सब..?

ममता जी:   प्रिया..! तुम्हें जितना कहा है बस उतना ही करो.. ले जा अपनी भाभी को… 

प्रिया गुस्से में वहां से चली जाती है… फिर पारुल तैयार होकर रस्मो के लिए आ जाती है… वहां मौजूद कई सारी महिलाएं ममता जी से कह रही थी की बहू तो बड़ी सुंदर है… तो इस पर भी प्रिया चिढ़ जाती है और कहती है… सिर्फ शक्ल ही है, शायद इसी वजह से मम्मी को यह भा गई… वरना ना तो यह हमारे स्टैंडर्ड की है और ना ही ऐसी कोई खास गुणो वाली..

प्रिया के इस बात पर ममता जी उठ खड़ी हुई और कहा.. बिल्कुल सच कह रही है प्रिया.. इसकी सुंदरता देख ही मैंने इसे अपने मोहित के लिए चुना… पर प्रिया इसके टाइम तो यह भी ना हुआ कि कम से कम इसकी शक्ल देखकर ही इसे कोई चुन ले… इसलिए तो इतना दहेज देना पड़ा… तब जाकर कहीं इसकी शादी हो पाई.. इसकी तो ना शक्ल ही थी और ना ही अक्ल  

ममता जी के इस बात पर प्रिया बौखलाती हुई बोली.. यह क्या मम्मी..? सबके सामने अपनी बेटी को यूं बदसूरत बोलकर जलील कर रही हो..? कोई मां अपने बच्चों को बदसूरत कहती है भला..? भाभी के आते ही बेटी बदसूरत लगने लगी..? 

ममता जी:   क्यों बुरा लगा ना यूं जलील होते हुए..? तू भी तो अभी वही कर रही थी… तेरे तो सब यहां अपने ही है, फिर भी तुझे मेरी बातों का बुरा लगा… जरा सोच, यह तो अभी-अभी इस घर में आई है और तू तब से इसे जलील कर रही है… तो इसे कैसा लग रहा होगा..? बेटा, शादी ब्याह में हर माता-पिता अपनी बेटी के लिए अपने औकात से ज्यादा ही करते हैं… पर फिर भी वह कभी बारातियों को खुश नहीं कर पाते… तूने आते के साथ अपनी भाभी के दिल में जो छाप छोड़ी है, वह यह हमेशा याद रखेगी और आगे कभी भी दिल से तेरा स्वागत नहीं कर पाएगी… याद रखना प्रिया, मैं और तेरे पापा हमेशा नहीं रहेंगे और तब तेरे भैया भाभी ही तेरा मायका होंगे… फिर जब यह तेरा तिरस्कार करेगी, जैसे तू अभी कर रही है, तब तू ही सबको यह कहती फिरेगी कि तेरी भाभी बुरी है… पर वह बुराई के बीज तो तेरा ही बोया हुआ होगा ना..?  

प्रिया:   मम्मी, मुझे तो यह समझ नहीं आ रहा है, के आप भाभी की इतनी तरफदारी क्यों कर रही है..? 

ममता जी:   क्योंकि तेरी भाभी की जगह कभी मैं थी और तेरे सामने तेरी बुआंए भी खड़ी है, उनसे पूछ…

प्रिया की बड़ी बुआ:   हां बेटा, हमने हमेशा भाभी को जलील किया, तेरी दादी के कान भरती रही.. 

प्रिया की छोटी बुआ:   पर फिर भी भाभी ने हमारा मायका सलामत रखा.. उन्होंने हमारे नफरत का जवाब हमेशा प्यार से दिया और आज तेरे दादा दादी नहीं है, पर फिर भी उनकी कमी कभी महसूस नहीं होती.. माता-पिता के जिंदा रहते तो मायका सबको अपना सा लगता है.. पर माता-पिता के बाद भी अगर मायका अपना लगे तो उसके लिए दोनों तरफ से बराबर पहल होनी चाहिए… हमारी भाभी का दिल बहुत बड़ा था, जो उन्होंने हमारे नफरत को भुला दिया… पर हर कोई ऐसा हो जरूरी नहीं 

सब की बातें सुनकर प्रिया को अपनी गलती का एहसास हो गया… और वह पारुल से कहती है… माफ कर दो भाभी… मुझे लगा ननद का काम होता ही है भाभी को जलील करना.. जैसे मेरी ननद करती है, इसलिए उसका सारा भड़ास में आप पर निकलना चाहती थी… पर मैं शायद यह भूल गई कि अगर हम कांटे बाटेंगे तो हमें भी कांटे चुभेंगे… भाभी, आप यह मत सोचना कि मैं अपना मायका सलामत रखने के लिए, आपसे यह सब बोल रही हूं… मैं तो अब अपनी ननद को यह दिखाना चाहती हूं कि असल में ननद भाभी का रिश्ता सिर्फ एक दूसरे को जलील करने का नहीं, बल्कि दोस्ती वाली भी हो सकती है… 

पारुल यह सारी बातें सुनकर भावुक को जाती है और इतना अच्छा परिवार देने के लिए मन ही मन भगवान को शुक्रिया करती है..

दोस्तों तो आपको क्या लगता है ननद भाभी का रिश्ता कैसा होना चाहिए..? मुझे अपने विचार जरूर बताएं… और मैं प्रार्थना करती हूं, इस दशहरा सभी ननदे भाभी अपने अंदर के द्वेष, जलन को मिटाकर, एक दूसरे की दोस्त बन जाए… 

धन्यवाद 🙏🏻

आपकी लेखिका दोस्त 😊

रोनिता कुंडु

#ज़लील

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