ठोस कदम -अंजना ठाकुर Moral stories in hindi

रानी घर घर जा कर काम बर्तन मांजने का काम करती है ।दिखने मैं वो बहुत सुंदर थी लेकिन आत्मसम्मान उस मैं  कूट कूट कर भरा था वो अपना काम बहुत ईमानदारी से करती थी ।

आज बिल्डिंग में कोई नई फैमिली आई थी उनका बीस साल का बेटा है सूरज ।रानी उनके यहां भी काम करने लगी ।सूरज की मां तनु ने अपने बेटे को लाड़ प्यार मै बिगाड़ रखा था उन्हे लगता वो हमेशा सही है और उसकी साइड लेती ।

सूरज रानी को गंदी नजरो से देखता रहता एक दो बार रानी को छूने की कोशिश भी करी रानी की उम्र भी तीस के आसपास थी वो इरादे समझ रही थी उसने अपनी मालकिन से कहा भी की आप अपने बेटे को समझा लो ।ऐसी हरकत मुझे पसंद नही है तो तनु उल्टा उसको ही डांटने लगी तुम्हारी हिम्मत

कैसे हुई मेरे बेटे पर इल्ज़ाम लगाने की तुम्हारी औकात ही क्या है जो मेरे बेटे पर इल्ज़ाम लगा रही हो मैं अच्छे से जानती हूं मैं तुम जैसे लोगों को तुमने ही कोशिश करी होगी जिस से पैसे मिल जाए ।

रानी बोली मैडम मैं आपको सच्चाई बता रही थी और हम लोग मेहनत करके पेट भरते है हमारी भी इज्जत होती है पांचों उंगली बराबर नहीं होती फिर चाहे इंसान गरीब हो या अमीर।मै आपको आगाह कर रही आगे आपकी मर्जी मैं यहां काम नहीं करूंगी ।

तनु ने दूसरी मेड मालती को लगा लिया ।सूरज की हरकते बही रही मालती कुछ बोल नहीं पाई । एक दिन सूरज ने मौका पा कर उसके साथ जबरदस्ती करने की कोशिश करी उसने  जैसे तैसे खुद को बचाया और पुलिस मैं शिकायत कर दी

पुलिस सूरज को पकड़ कर ले गई ।

पैसों का लालच देकर भी मेड झुकने को तैयार नहीं थी और अब कोई तनु के घर मैं काम करने को भी तैयार नहीं थी ।

बदनामी और काम के बोझ से तनु को दिन मैं तारे दिखाई देने लगे

अब उसे लग रहा था वो रानी की बातों को गंभीरता से लेती हो सकता है सूरज पहले भी ऐसा करता हो किसी ने कहा नहीं हो ।अब महसूस हो रहा था की मैने ठोस कदम क्यों नहीं उठाया ।

स्वरचित

अंजना ठाकुर

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