अंतर्मन की लक्ष्मी ( भाग – 21) – आरती झा आद्या : Moral Stories in Hindi

“कुछ समझ में नहीं आ रहा है कि मनीष और पापा जी को सच्चाई से कैसे अवगत कराया जाए। मनीष तो बुआ की बात आते ही पूर्ण रूप से हृदय हीन हो जाते हैं। दोनों बुआ ऐसा कौन सा नशा करा दी हैं कि अपनी माॅं भी नजर नहीं आती हैं। घर के हर निर्णय … Read more

अंतर्मन की लक्ष्मी ( भाग – 20) – आरती झा आद्या : Moral Stories in Hindi

“माॅं मैं कुछ दिनों के लिए मम्मी के पास जाना चाहती हूॅं।” रात में डिनर के समय विनया अंजना से कहती है। अब विनया लंच और डिनर जबरदस्ती ही सही अंजना के साथ ही करती है और धीरे धीरे संपदा भी दोनों का साथ देने लगी थी।  “मनीष से पूछ लेना।” अंजना संक्षिप्त उत्तर देकर … Read more

अंतर्मन की लक्ष्मी ( भाग – 19) – आरती झा आद्या : Moral Stories in Hindi

“ये सुबह सुबह क्या मनहूसियत फैला रखी है तुमने बहू और संपदा तुम क्या इसे गले लगाए खड़ी हो। घर ना हुआ अजायबघर हो गया है।” अपने कमरे से बाहर आकर बड़ी बुआ कुर्सी खींच कर बैठती विनया और संपदा की ओर देखती हुई कहती है। “फिर से वही सब ड्रामा शुरू हो गया। हमारी … Read more

अंतर्मन की लक्ष्मी ( भाग – 18) – आरती झा आद्या : Moral Stories in Hindi

“नमस्ते मामाजी”…. संपदा ट्रे रखती हुई अखबार वाले अंकल से कहती है। संपदा के नमस्ते कहने पर अंजना और अखबार वाले अंकल हड़बड़ा जाते हैं और अखबार वाले अंकल खड़े हो गए क्योंकि इन दो तीन सालों में इस घर में अंजना के अलावा किसी ने भी बात करने की आवश्यकता नहीं समझी थी और … Read more

अनजाने रास्ते (भाग-11) – अंशु श्री सक्सेना : Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi : बीतते समय के साथ वैदेही की प्रेगनेन्सी को लेकर यूनिवर्सिटी कैम्पस में तरह तरह की चर्चाएँ होने लगीं। साथी लेक्चरार और रीडर्स की तिरस्कार भरी बींधती निगाहें और व्यंग्यात्मक परिहास वैदेही का कलेजा छलनी कर जाते । छात्र छात्राएँ उसे मुड़ मुड़ कर देखते और मुँह फेर कर हँसते। परन्तु … Read more

अनजाने रास्ते (भाग-10) – अंशु श्री सक्सेना : Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi : अयान के जाने के बाद वैदेही बिलकुल टूट गई। बार बार उसकी आँखों के सामने वही दृश्य घूम जाता, अस्तव्यस्त हालत में अयान और नजमा…नजमा का बेशर्मी से हँसना, उसकी अलमारी के बिखरे कपड़े…। वह डिपार्टमेंट क्लास लेने जाती और घर वापस आकर चुपचाप बिना खाये पिये पड़ जाती। डिपार्टमेंट … Read more

अनजाने रास्ते (भाग-9) – अंशु श्री सक्सेना : Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi : फिर उसका ध्यान वैदेही पर गया। वह नीलिमा जी से पूछ रही थी, “आपने वसु की कोई तस्वीर बाहर क्यों नहीं रखी है? दराज़ में, अल्बम में क्यों ?” “बेटा, कुहू की वजह से…वह इतनी छोटी है कि वह अपनी माँ को देखने और मिलने के लिए ज़िद करेगी…अभी उसको … Read more

अनजाने रास्ते (भाग-8) – अंशु श्री सक्सेना : Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi : घर की बालकनी में सूरज रोज़ हाज़िरी बजा रहा था और चाँद भी गाहे बगाहे वैदेही का हाल चाल लेने आ जाया करता था। ख़ाला की बेटी नजमा ने दिल्ली यूनिवर्सिटी के एम.ए. पॉलिटिकल साइंस में प्रवेश ले लिया और वह अक्सर सप्ताहांत पर अयान और वैदेही के घर आ … Read more

अनजाने रास्ते (भाग-7) – अंशु श्री सक्सेना : Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi : लगभग दस बाद अयान वह ख़ुशख़बरी लेकर आया जिसका वैदेही को बेसब्री से इंतज़ार था। ख़ाला के देवर ने दिल्ली से बुलावा भेजा था। वैदेही दिल्ली जाने की तैयारियों में जी जान से जुट गई। अयान की अम्मी इस बात से दुखी थीं कि वैदेही के कारण अयान को भी … Read more

अनजाने रास्ते (भाग-6) – अंशु श्री सक्सेना : Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi : वैदेही ने जब घर का दरवाज़ा खटखटाया तो एक बूढ़े व्यक्ति ने दरवाज़ा खोला और काँपती सी रूखी आवाज़ में पूछा, “कहो, किससे मिलना है ?” “जी, वो….वो अयान यहीं रहते हैं क्या…अयान मलिक” “हाँ, यहीं रहत हैं…तनिक ठहरो हम बुलात हैं” बूढ़े ने कहा और भीतर चला गया। पलक … Read more

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