वाह बहु!बहुत पढ़ी तुम तो। – पूजा मिश्रा’धरा : Moral Stories in Hindi

नेहा के एलएलबी पूरी होते होते उसकी शादी गाँव के एक छोटे से घर में सुमित्रा देवी के बड़े बेटे अरुण से हो गई। अब घर में अरुण, उनका छोटा भाई रवि, बहन ज्योति, सुमित्रा जी और बहू नेहा रहती। सुमित्रा देवी को अपनी परंपराओं पर गर्व था, और वे अक्सर नेहा को ताने मारतीं, … Read more

बदलाव – डाॅ उर्मिला सिन्हा : Moral Stories in Hindi

धीरे-धीरे लीना के रंग-ढंग  मैं बदलाव आने लगा है…इस बात को मौसी समझने लगी थी। ” लीना जरा मेरे पैरों में मालिश कर दो… गठिया का् दर्द बढ़ गया है… ठंड में तकलीफ़ बढ़ ही जाती है…बेटी “। ” मेरे पास समय नहीं है… अभी आफिस का काम निपटाना है “।      लीना ने दोनों कंधे … Read more

अपमान बना वरदान – दमयंती पाठक : Moral Stories in Hindi

मेरी बुआ का बेटा पिंटू बचपन से ही बहुत बदमाश था जब भी वो हमारे घर आता सभी डर जाते थे कि कब क्या कर देगा। गर्मी की छुट्टी में जब हम सब गांव जाते हैं वाहा बुआ, चाचा अपने-अपने परिवार के साथ आते हैं। हम सब से मिलने गांव के लोग आते थे। जो … Read more

अपमान बना वरदान: धरा की कहानी – पूजा गर्ग : Moral Stories in Hindi

हवेली रोशनी से जगमगा रही थी। पेड़-पौधों पर जुगनुओं की तरह टिमटिमाती झालरों ने मानो सपनों की दुनिया बसा दी थी। संगीतमय फव्वारे, शाही व्यंजनों की महक, ढोलक की थाप, और लोकगीतों पर थिरकती स्त्रियों की खिलखिलाहट ने माहौल को और भी भव्य बना दिया। बीचों-बीच फूलों से सजा चांदी का झूला रखा था, जिस … Read more

बूढ़ी अम्मा – कुमार किशन कीर्ति : Moral Stories in Hindi

आज बूढ़ी अम्मा उदास है।निराश है। कहने को तो चार बेटे हैं,मगर किसी भी बेटे को इतनी फुरसत कहां की बूढ़ी अम्मा के पास वक्त निकालकर बैठे। हालचाल पूछे। बहुएं भी कुछ कम नहीं हैं।वे सब तो बेटों से कई कदम आगे हैं। बूढ़ी अम्मा को कभी आदर_भाव नहीं देती,और खाना तो हमेशा बिना किचकिच … Read more

न भी न ! मैं ‘मैं’ ही ठीक हूं ! – उमा महाजन : Moral Stories in Hindi

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  ‘अमिता, मेरी नीली कमीज प्रेस नहीं की? कल सुबह तुम्हें बोलकर घर से निकला था। आज मेरी प्रेजेन्टेशन है।मुझे वही कमीज पहननी थी।पता नहीं तुम्हारा ध्यान कहाँ रहता है?’    ओह सॉरी,भुवन! दरअसल कल कपड़े प्रेस करने के लिए समय ही नहीं मिल पाया। मैं अभी प्रेस कर देती हूँ।    ‘समय नहीं मिल पाया ?? बाई- … Read more

बेटी के मोह में पढ़ कर सही गलत का फर्क करना भूल गई थी। – दीपा माथुर : Moral Stories in Hindi

कल शाम से चुलबुली नंदिता ने घर  को अधर कर रखा था। भाग भाग कर काम कर रही थी ।उसकी ननद शेली अपने पति  और बच्चो के साथ नंदिता की शादी के बाद पहली बार आ रही थी। हालाकि शादी को साल भर हो गया था पर लोकेडाउन की वजह से किसी का आना जाना … Read more

पंचायत – परमा दत्त झा : Moral Stories in Hindi

आज रमेश झा और गीता देवी के ऊपर पंचायत बैठी थी। क्यों मैंने क्या किया है –रमेश जी बोले। पापी ,बहू का दूध तक पी लिया,जबकि मैथिल ब्राह्मण में भावहु की परछाई तक से–पंच रघुवीर बोले। अरे मैं बीमार था, मुझे कुछ पता नहीं -वह बोले । इधर बहू भी चिल्लाते बोली-बुलाओ जो बुलानी है। … Read more

मोहताज – उषा शीशीर भेरून्दा : Moral Stories in Hindi

नन्हे राघव को इस तरह बिलख बिलख कर रोता देख सरिता जी का हृदय भर आया शायद बच्चे का कान दुख रहा होगा मैं गर्म तेल करके डाल दूं या पेट दुख रहा होगा पेट में गैस बन रही होगी पेट पर हींग का पानी लगा दु या सिकाई कर दु नमक अजवाइन खिलादु मगर … Read more

अकेलापन – बालेश्वर गुप्ता : Moral Stories in Hindi

 अचानक पटाखों की तेज आवाजों से जानकी की आंखे खुल गयी।बड़ी मुश्किल से झपकी लगी थी,अचानक इत्ती रात को पटाखे?भला कोई ऐसा क्यों कर रहा है?इस उम्र में वैसे ही बड़ी मुश्किल से नींद आती है,अब आयी थी तो पटाखों ने तोड़ दी।बड़बड़ाती हुए जानकी उठ कर बॉलकोनी में आकर नीचे झांकने लगी तो देखा  … Read more

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