शो ऑफ – कुमुद मोहन : Moral Stories in Hindi

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“ओफ हो!मुकेश तुम्हें तो पता है ना इस हफ्ते मेरी किट्टी पार्टी है और आज तुम मुझे खबर दे रहे हो अम्मा पिताजी महीने भर के लिए गांव से आ रहे हैं!उनका पहनावा और रहन-सहन,बोल चाल गंवारों जैसा है! मेरी सहेलियों के सामने मेरी क्या इज्ज़त रह जाएगी,क्या सोचेंगी वे मेरे बारे में कि इतनी … Read more

खुशियां पैसों की मोहताज तो नही !! – संगीता अग्रवाल : Moral Stories in Hindi

” सुनो सौरभ मिट्ठू का पहला जन्मदिन है सब पूछ रहे है कहाँ मना रहे है हम अपनी बेटी का पहला जन्मदिन !” खाने के बाद जब सौरभ टीवी खोलकर बैठा तो उसकी पत्नी मानसी रसोई का काम निपटा उसके पास आकर बोली।  ” मानसी तुम्हे तो सब हालात पता है तो तुम सबसे बोल … Read more

नया रूप – शुभ्रा बैनर्जी : Moral Stories in Hindi

आज लगभग दो वर्षों के बाद अपने घर में सभी भाई -बहन इकट्ठा हुए थे।शादी के बाद ऐसा कम ही होता था कि,तीनों बहनें एक साथ मायके आ पाएं।साल में एक बार आते तो जरूर थे,पर अपनी और बच्चों की सुविधा अनुसार।सुमन पांच भाई-बहनों में सबसे बड़ी थी।लगभग बत्तीस साल हो गए थे शादी को। … Read more

दिखावे की जिंदगी – मधु वशिष्ठ : Moral Stories in Hindi

 भले ही वह दो कमरों का हमारे जैसा ही सरकारी फ्लैट था परंतु ए.सी से ठंडा हुआ कमरा , गुदगुदा सोफा, इतने सुंदर टी.सैट में लाई हुई चाय, बाथरूम में गीजर, आर ओ, प्रत्येक आधुनिक सामान से सजी हुई रसोई, खाने के लिए शानदार काजू की नमकीन, महंगे बिस्किट और भी जाने क्या-क्या? यह सब … Read more

पछतावा – डॉक्टर संगीता अग्रवाल : Moral Stories in Hindi

श्रेया!कहां हो तुम,तैयार नहीं हुई अभी?पुलकित कमरे में आता बोला। पुलकित ने देखा कि उसकी पत्नी श्रेया अभी भी मोबाइल में लगी हुई थी…घर के ही कपड़े पहने थे अभी उसने..उसका पारा चढ़ गया… मैं बेवकूफ हूं क्या जो तुम मेरी बात को सुनती ही नहीं कभी?जब देखो मोबाइल में घुसी रहती हो…अब क्या कर … Read more

ये दिखावा है या प्यार …? – रश्मि प्रकाश : Moral Stories in Hindi

कभी कभी ज़िंदगी ऐसे मोड़ पर लाकर खड़ा कर देती है कि सामने  मनपसंद दृश्य देख कर भी दिल भयभीत हो उठता है… मन घबराने लगता है ऐसा लगता है मानो ना जाने अब कौन सी गलती हो जाएगी और ……राशि सामने का दृश्य देख कर यही सब सोच रही थी कि उसके पति निकुंज … Read more

झूठ का बोझ… – रश्मि झा मिश्रा : Moral Stories in Hindi

“…और कितनी देर लगाओगी… जल्दी करो ना… मां पापा के आने का समय हो गया है…!” ” बस हो गया… दो मिनट और…!” क्रिस्टीना फिर से एक बार आईने में अपने को ऊपर से नीचे तक देखते हुए बोली…” सब तो सही है…!” साड़ी के प्लेट पर हाथ फेर कर… एक बार अपने गालों को … Read more

लल्लो-चप्पो करना(खुशामद करना) – डाॅ संजु झा : Moral Stories in Hindi

बचपन से ही महेश का मन पढ़ाई में नहीं लगता था। स्कूल के दिनों से ही उसे अपने शिक्षक और दोस्तों की लल्लो-चप्पो करने की आदत लग चुकी थी। दोस्तों की नोट्स की नकल और खुशामद करते -करते उसने किसी तरह ग्रेजुएशन पूरी कर ली। महेश के पिता सुरेन्द्र जी सरकारी अधिकारी थे। उन्होंने भी … Read more

“आराधना सिर्फ एक दिन की नहीं” – लक्ष्मी कनोडिया : Moral Stories in Hindi

दिल्ली के पॉश इलाके में रहने वाली अनामिका शर्मा एक शिक्षित और आधुनिक सोच रखने वाली महिला थीं। बड़ी कंपनी में मैनेजर, पति डॉक्टर, और एक प्यारी सी सात साल की बेटी — आरुषि। सब कुछ व्यवस्थित, लेकिन ज़िंदगी बहुत व्यस्त। हर साल नवरात्रि आते ही अनामिका अपनी मां की सिखाई परंपरा निभातीं — घर … Read more

दोगलापन – चंचल जैन : Moral Stories in Hindi

दोनों की जोडी जंच रही थी। एक दुसरे से मेल खाते परिधान, हाथों में हाथ डाल, साथ-साथ घुमते, मुस्कुराते रमा और रोमेश। पार्टी की रौनक बढ़ा रहे थे। रमा सी अनुपम रमणी रोमेश की जीवन संगिनी थी। रोमेश भी लंबा चौड़ा गबरू जवान था। वे दोनों सबके आकर्षण का केंद्र थे। धीरे-धीरे समां बंधने लगा। … Read more

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