हस्तरेखा – आरती मिश्रा : Moral Stories in Hindi

” मुलाकात हुई, पाण्डेय जी से !” कनक खाने की थाली मेज पर परोसती अपने पति विनय से पूछ बैठी। हां ,हुई तो ! क्या कहा उन्होने? “उन्होंने कहा है कि केस मुकदमा करने की कोई जरूरत नहीं है बस समय का इंतजार करो !” मेरा कहा तो माना नहीं, तो कम से रिश्ते तोड़ने … Read more

एक कप चाय – विमला गुगलानी : Moral Stories in Hindi

प्रीतो एक गिलास चाय लाना अभी लाती हूँ माँजी  बिंबोली एक घंटे से चाय का इंतजार कर रही थी. लेकिन प्रीतो के पास भी वही रटा रटाया उत्तर था.वो भी क्या करे. सुबह का समय किसी को स्कूल जाना तो किसी को आफिस. किसी का रूमाल ग़ायब तो किसी को टाई नहीं मिल रही. एक … Read more

सचमुच शुभ – गीता वाधवानी : Moral Stories in Hindi

 आज पायल के घर में सब बहुत खुश थे।उसकी बेटी प्रिया,पति अजय और बेटा नितिन। 18 वर्षीय प्रिया तो खुशी से चहक रही थी।भैया,भाभी कितनी सुंदर और प्यारी है ना, अपने भाई नितिन से कह रही थी।        नितिन ने मुस्कुराते हुए कहा-” ओ हेलो! सिस्टर   अभी सिर्फ हम नंदिनी को देखकर आए हैं और तुम … Read more

दादी अम्मा – प्रतिमा श्रीवास्तव : Moral Stories in Hindi

सरला जी सत्तर साल की हो गई थी। उम्र के साथ – साथ शरीर भी कमजोर होने लगा था। घुटने में दर्द बना रहता था। किसी तरह धीरे-धीरे अपने काम करती और जा कर बैठ जाती थीं। बेटे – बहू नौकरी करते थे।घर में सारी सुख-सुविधाएं थीं। बेटा रंजीत और बहू सुरीली का एक बेटा … Read more

माफ़ी ही सबसे बड़ी सज़ा है – लतिका पल्लवी : Moral Stories in Hindi

 सुबह के सात बज रहे थे। विभा जी रसोई घर मे अभी चाय बनाने ही जा रही थी कि उनका मोबाईल बजा।इतनी सुबह सुबह किसने फोन किया होगा,यह सोचते हुए उन्होंने मोबाईल उठाया। स्क्रीन पर अपनी ननद निशा का नाम देखकर थोड़ा चिंतित हुई। पता नहीं इतनी सुबह उसने क्यों फोन किया है। उन्होंने जैसे … Read more

इज्जत इंसान की नहीं पैसे की होती है। – पूनम सारस्वत : Moral Stories in Hindi

आयूष ओ आयूष देखो तो दरवाजे पर कौन है?? रमा ने रसोई से ही आवाज लगाई। आयूष हाथ में मोबाइल पर वीडियो गेम खेलते हुए ही दरवाजे तक आया और बोला जी कहिए किससे मिलना है? मैं राजेंद्र खत्री, पापा हैं घर पर ? नहीं पापा तो नहीं है मम्मी हैं । अयूष यह कह … Read more

सात फेरे – पूरन लाल चौधरी : Moral Stories in Hindi

शहनाई की मीठी धुनों से पूरा आँगन गूंज रहा था। घर का कोना-कोना चटख रंगों से सजा था, जैसे हर दीवार ने उत्सव का घाघरा पहन लिया हो। आकाश में झूलती झालरों और पत्तों से सजे द्वार पर आमंत्रण की हवा थिरक रही थी। यह केवल विवाह का अवसर नहीं था, यह दो परिवारों के … Read more

बदलते रिश्ते (भाग-20) अंतिम भाग – अंबिका सहगल : Moral stories in hindi

” तापसी  तुम्हे आज देख कर तोह मुझे अपनी किस्मत पर ही रंज होने लगा है, किसी अप्सरा सी लग रही हो तुम। और इन सब को देखो कैसे घूर रहे हैं हम दोनों को, अरे पहले हमें तोह एक दूसरे को देख लेने देते”। मैंने धीरे से कहा, ” निलेश अभी बिलकुल चुप रहिये … Read more

बदलते रिश्ते (भाग-19) – अंबिका सहगल : Moral stories in hindi

थोड़ी देर में हम निलेश के घर के पास थे, वहां से हमने आंटी जी को लिया, मैं आंटी जी को देख कर कार से नीचे उतरी और उनके पैर छुए, मैं पिछली सीट पर बैठने लगी तोह आंटी जी ने प्यार से कहा,  “तापसी बेटा आप आगे बैठो, मुझे वैसे भी पिछली सीट पर … Read more

बदलते रिश्ते (भाग-18) – अंबिका सहगल : Moral stories in hindi

खुशी तोह पापा के चेहरे पर भी नजर आ रही थी, लेकिन उनकी हमसे नाराजगी इतनी ज्यादा थी, कि उसके सामने वोह अपने जीवन की इतनी बड़ी खुशी का इजहार भी नहीं कर पा रहे थे । मैंने कई बार कोशिश कि की उनसे बात हो पाए लेकिन सब प्रयास विफल ही रहे । शादी … Read more

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