कभी सुख कभी दुख – गीता वाधवानी

बारिश का मौसम होने के कारण भारत में कई शहरों में नदी नाले उफान पर थे। भोपाल की बेतवा नदी भी खतरे के निशान से ऊपर बह रही थी। इस समय उसका रूप इतना विकराल हो चुका था कि किसी की भी रूह कांप जाए।  ऐसे माहौल में बेतवा के किनारे पर खड़ी सुरभि क्या … Read more

मन की बातें मन में ही नहीं रखिए – के कामेश्वरी 

रात के नौ बजे थे किरण सुबह से ऑफिस और घर का काम करके थक गई थी वैसे भी उसका सातवाँमहीना चल रहा था । इसलिए अब सोना चाह रही थी तभी फ़ोन की घंटी बजी उसने फ़ोन उठाकर हेलोकहा दूसरी तरफ़ से प्रशांति आंटी थी । हेलो आंटी !! इतनी रात गए आपने फ़ोन … Read more

जीवन धूप और छांव का नाम है – मीनाक्षी सिंह

विक्रम -अरे ये क्या शिल्पी ,तुम अभी तक तैयार नहीं हुई ! तुम्हे  कल ही बता दिया था कि आज माँ ,बाऊजी आ रहे हैँ गांव से ! तुम साड़ी पहन लेना ,,घर का हाल ठीक कर लेना ! मैं सारा सामान ले आया हूँ मार्केट से ! जल्दी से सब्जी बना लो ,,जब वो … Read more

“एक रुपये का सिक्का” – सेतु कुमार 

सात फेरों के बाद अब रंजीता की विदाई की रस्म भी सम्पन्न हो गयी थी.विवाह भवन अगले तीन चार घण्टो में खाली करना था.इसलिए लड़की पक्ष के मेहमान अब अपने अपने कमरों में अस्त व्यस्त पड़े कपड़ो और दूसरे सामानों को पैक करने में लगे थे. रंजीता के पिता गोविंद बाबू और माँ चन्दना देवी … Read more

बड़ा भाई – अंतरा 

प्रिया और अमन अपने जीवन में बहुत ख़ुश थे! प्रिया घर संभालती और अमन अपना बिज़नेस,  दो बेटे थे – रोहन 15 साल का और रोहित 10 साल का.. भगवान् का दिया सब कुछ था,  समाज में अच्छा स्टेटस और खुशहाल जीवन,  इससे ज्यादा किसी को क्या चाहिए ! बस प्रिया को एक  बेटी कि … Read more

जीवन चलने का नाम – उमा वर्मा

 ” बच्चे बड़े हो रहे थे ।उनकी शिक्षा अपनी गति से चल रहा था कि मैं बीमार रहने लगी ।अम्मा चिंता करती ।कैसे चलेगा घर? तभी निराशा के क्षण में एक आशा की किरण नजर आई।एक गरीब माँ अपने चार बच्चों को लेकर द्वार पर खड़ी हो गई ।उसने कहा ” हम गरीब लोग हैं, … Read more

धूप और छांव – आरती झा आद्या

आपने इतनी तकलीफें कैसे झेल ली मां.. नीना अपनी सासू मां सुपर्णा की गोद में सिर रखे पूछ रही थी और बाहर बैठा सुवास अतीत के गलियारों में विचरण करने लगा था। अरे करमजली अपने पति को तो खा गई, अब क्या मेरे बच्चों को भी खाएगी… सुवास की मामी शोभा चिल्ला रही थी। और … Read more

जोगिनी – कल्पना मिश्रा

न जाने कितनी देर से वह अपनी अलमारी खोलकर एकटक निहारे जा रही थी। हैंगर पर करीने से लटकी हुई एक से बढ़कर एक सुंदर और कीमती साड़ियां भी आज उसे लालायित नही कर पा रही थीं। लाल,पीली, नारंगी, गुलाबी ,,,ज़्यादातर साड़ियां रवि की ही पसंद की तो थीं क्योंकि उनको यही सब रंग भाते … Read more

आखिर मायके का मान फूहड़ भाभी ने ही दिया – सुल्ताना खातून

“बड़ी भाभी डॉक्टर ने मुझे बेड रेस्ट बता दिया है, जबकि डिलीवरी में अभी दो महीने बाकी हैं आप तो जानती हैं यहाँ बेड रेस्ट कर पाना कितना मुश्किल है” – सिया ने फोन पर बात करते हुए बड़ी भाभी तनुजा से कहा। हाँ तो क्या हुआ सिया भगवान ने इतने वर्षों बाद तुम्हें यह … Read more

शिव समा रहे हैं मुझमें और मैं शून्य हो रहा हूँ – कमलेश राणा

  जीवन में एक वक्त ऐसा भी था जब मैं रात दिन दो रोटी की जुगाड़ के लिए संघर्षरत था तब हर कोई मेरा हमदर्द था, सहानुभूति के बोल मेरे लिए लोगों के मुख से सुनना जीवन की दिनचर्या का हिस्सा बन चुके थे। न जाने सच में यह मेरे लिए उनके दिल में उपजी … Read more

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