उलझते रिश्ते – पुजा अरोरा

आज जैसे ही विराट दफ्तर से घर में घुसा, घर में मची शांति परंतु रसोई घर मे से आती बर्तनों की उठा पटक से साफ़ पता चल रहा था कि घर पर जरूर कुछ ना कुछ हुआ है |   सच लगभग प्रत्येक पुरुष को इस दौर से एक ना एक बार अवश्य गुजरना पड़ता है … Read more

वैवाहिक स्वर्णजयंती-नीरजा कृष्णा

आज उनकी पचासवीं वैवाहिक वर्षगांठ है…. उन दोनों को बड़ा अरमान था अपने जीवन के इस विशेष दिवस को धूमधाम से मनाने का। वो अपने दोनों बच्चों, बहू दामाद, नाती पोते… सबको इस दिवस के लिए याद दिलाती रहती थी…बहू ने तो बहुत उत्साह से कहा भी था,”आप देखिएगा ना, हमलोग कितने बढ़िया से सब … Read more

 “दोहन” – रीमा ठाकुर

प्रभु लाज रखो मेरी,  हाथ जोडे निरीह आंखे बंद आंसुओं की धार  एक अबला,   कृष्ण भक्ति में लीन,  विश्वास की परकाष्ठा,, पंचाली कृष्णा, कृष्ण है, न तुम्हारा सखा “ धीरे से नयन खोलकर देखती है, अद्भुत, सामने केशव खड़े, बस उन्माद, कुछ खबर नही “! हडबडा उठ बैठी नित्या, कुछ पल इधरउधर देखती रही, … Read more

आरव – कान्ता नागी

जब से आरव ने जन्म लिया वह घर में उपेक्षित ही था, क्योंकि बचपन से ही वह दूसरे बच्चों की तरह चल-फिर नहीं सकता था।मीनू और उसके पापा अजीत ने उसका बहुत उपचार करवाया।फीजीयोथेरोपी कराने से अब वह वैशाखियों के सहारे ही चल सकता था।जब से उसकी बहन नीलू का जन्म हुआ, माता-पिता का सारा … Read more

समझदारी – कान्ता नागी

गोविन्द और रेखा दोनों जुड़वां भाई -बहन थे।उनके पिता कर्नल विनोद फौजी थे,जबकि उनके जन्म के बाद ही मां गुंजा की मृत्यु हो गयी थी। कर्नल विनोद ने दोनों की परवरिश की। दोनों भाई बहन बचपन से ही होशियार और कुशाग्र बुद्धि होने के कारण अब अपनी मंजिल के करीब पहुंच चुके थे। रेखा का … Read more

पायल – निभा राजीव

शिप्रा माता-पिता के देहांत के बाद पहली बार रक्षाबंधन पर मायके जा रही थी। यूं तो भैया भाभी ने बहुत प्यार से बुलाया था। भाभी ने बड़े मनुहार से कहा था कि “सोच ले शिपू कि मां के पास आ रही है।”  पर फिर भी मन न जाने कितनी शंकाओं से घिरा हुआ था। कि … Read more

एहसान – सपना बबेले

मीना की शादी को चार साल ही हुए थे कि अचानक पति की तबीयत बिगड़ी और कुछ दिमागी हालत खराब हो गई। बहुत परेशान थी मीना क्या करें कुछ समझ में नहीं आ रहा था। ससुराल वालों ने भी किसी प्रकार की मदद करने से मना कर दिया। क्यों कि मानसिक रूप से बीमारी के … Read more

ऊंचाइयां – गोविन्द गुप्ता 

सुधीर एक राजनीतिक दल का समर्पित कार्यकर्ता था उसका पूरा परिवार वर्षों से उसी पार्टी का अनुयायी था, अभी पार्टी कभी भी सत्ता में नही आई थीं पर विचारधारा के कारण सुधीर और उसका परिवार हमेशा पार्टी के साथ खड़ा रहा, एक बात सत्ताधारी दल की बहुत बुराई बढ़ गई लोग अंदर ही अंदर बदलाव … Read more

और सपना टूट गया – प्रीती सक्सेना

पापा जबसे ऑफिस से लौटे हैं, मम्मी से पता नहीं क्या बातें किए जा रहे हैं, मुझे कुछ समझ भी नहीं आ रहा, कान लगा तो रही हूं, पर कुछ पल्ले नहीं पड़ा, थोड़ी देर बाद दोनो मेरे कमरे में आए और बोले, पापा के दोस्त हैं न श्याम अंकल, उन्होंने तुम्हारा हाथ मांगा है, … Read more

फितरत – अनुपमा

सुंगधा ने जब से अपना व्हाट्स ऐप ओपन किया है आज तब से ही बहुत परेशान सी है , कुछ भी अच्छा नहीं लग रहा था उसे , दोपहर का खाना भी नहीं खाया था और यूं ही कमरे मैं जा कर लेट गई थी पर नींद तो कोसो दूर थी उससे , समझ नही … Read more

error: Content is Copyright protected !!