एहसान – सपना बबेले

मीना की शादी को चार साल ही हुए थे कि अचानक पति की तबीयत बिगड़ी और कुछ दिमागी हालत खराब हो गई।

बहुत परेशान थी मीना क्या करें कुछ समझ में नहीं आ रहा था।

ससुराल वालों ने भी किसी प्रकार की मदद करने से मना कर दिया। क्यों कि मानसिक रूप से बीमारी के कारण मीना के पति ने परिवार वालों को बहुत परेशान किया। मीना का एक बच्चा भी था। बेचारी परिस्थितियों से जूझ रही थी।दो माह तक तो किसी तरह समय निकाला लेकिन कुछ जमा पैसा खत्म होने पर वह भाई के साथ अपने पति और बच्चे को लेकर मायके चली गई।

मायके वालों की भी आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी। फिर भी दामाद को  मनोचिकित्सक को दिखाया और इलाज कराने में कसर नहीं छोड़ी। धीरे धीरे मीना के पति की तबीयत ठीक होने लगी।



अब मीना को थोड़ी राहत मिली।

लेकिन मीना मायके वालों पर बोझ नहीं बनना चाहती थी,वह कुछ करना चाहती थी।

ईश्वर की कृपा से कर्म शीलता यदि हो तो काम मिल ही जाता है। किसी ने बताया कि फलों के बहुत बड़े बाग के मालिक को बाग में सुरक्षा करने लिए कोई ऐसा व्यक्ति चाहिए जो परिवार सहित यहीं रहे। रहने को दो कमरे सब सुविधाएं और तनख्वाह भी दी जाएगी।

फिर क्या था मीना और उसके पति ने वह नौकरी करली।बाग में रहने लगी रहने को घर भी मिल गया।और आजीविका का साधन भी।एक दिन मालिक से मीना के पति ने कहा  आपने हमारा जीवन बना दिया,हम आपका एहसान कभी नहीं भूलेंगे। जिंदगी भर दुआएं देंगे।तो मालिक ने कहा मैंने कुछ नहीं किया तुम हमारे बाग की रखवाली करते हो हम तुम्हें तनख्वाह देते हैं।

दोस्तों एहसान  जताना बहुत ग़लत है, लेकिन उपकार करने वाले के प्रति हमेशा कृतज्ञता का भाव होना चाहिए।

और सबसे बड़ी बात कि मीना के मायके वालों ने पूरी तरह से मीना का दुख के समय में साथ दिया।जोकि बहुत ही जरूरी था।

#सपना_बबेले झांसी उत्तर प्रदेश

 

Leave a Comment

error: Content is Copyright protected !!