दुलारी सिम्मी – डा उर्मिला सिन्हा

 आज क‌ई वर्षों के पश्चात् मायके की सीढ़ियां चढ़ती सिम्मी की आंखें भर आईं। यह वही घर है जहां उसका जन्म हुआ, घुटनों चली बड़ी हुई।पढ़ाई पूरी की।व्याही गई। दादा दादी, माता-पिता, चाचा चाची के आंखों की पुतली सिम्मी। भाई-बहनों के दिल की धड़कन दुलारी सिम्मी।   न‌ आज दादा दादी हैं और न माता-पिता । … Read more

रिश्तों का मोल  – मीनाक्षी सिंह

मेरे ससुर जी का देहांत 2017 में अचानक  ही हो गया था ! वो हष्ट – पुष्ट शरीर के स्वस्थ इंसान थे ! हम में से कोई उनके ऐसे चले जाने पर विश्वास नहीं कर पाया ! उनके दो विवाह हुए थे ! हमारी बड़ी मम्मी  कैंसर से लड़ते हुए अपने फूल से तीन बच्चों … Read more

औरत त्याग की मूरत  – मीनाक्षी सिंह 

माँ शब्द ही अपने आप में त्याग का सम्पूर्ण रुप हैं ! माहेश्वरी जी के पति फौज में सूबेदार थे ! अब माहेश्वरी जी की उम्र 45 साल हो गई थी ! पति बनवारी भी 48 के हो गए थे ! जब माहेश्वरी जी बनवारी जी के घर में ब्याह के आयी थी तो सोचा … Read more

चुनरी – अंजू खरबंदा

रेशमी घने कमर तक लहराते बाल… सफेद सलवार सूट पर ओढी खूबसूरत आसमानी चुनरी… चुनरी के दोनों किनारों पर लगा रेशमी गोटा… पैरों में छन छन बजती पायल…झील सी गहरी आंखे…. किसी को भी मदहोश करने के लिये काफी है । पढ़ा था सुना था और आज देख भी लिया – कश्मीर की कली! धीरे … Read more

एक रात ऐसी भी – श्रद्धा निगम

आस्था हड़बड़ा कर तेज़ कदमो से रेलवे प्लेटफॉर्म की तरफ भागी। ट्रैन आ चुकी थी,राजीव पर मन ही मन गुस्सा हो रही थी।हमेशा ही ऐसा होता है, लेटलतीफी..आज तो उसे केवल जाना था,गाड़ी भी कम समय के लिए रुकती थी।बहरहाल किसी तरह अपने कूपे में चढ़ी, राजीव ने सामान रखा, और ट्रेन चल दी।रात के … Read more

रणभेदी – रीमा ठाकुर

बड़े बड़े    सरकंडे ‘घनी घास उसपर दलदल “ जाने कितनी  देर और चलना होगाः ” इनके बीच “ नरकुल के पेड हल्की हवा के साथ ” झूम रहे थे!  चांदनी रात चांद अपने सौदर्य से ” तारों के बीच मुस्कुरा रहा था!  पूस का महिना ” पर आकाश बिना परवाह किये ”  अपनी मंजिल … Read more

मदरहुड के रिच लुक  –  कुमुद मोहन  

रमा जी फूली नहीं समा रहीं थी जब उन्हें पता चला कि उनकी बहू शीना मां बनने वाली है! पोता-पोती खिलाने का चाव उनके सिर चढ़कर बोल रहा था। जो आशीर्वाद उन्होंने बहू के गृहप्रवेश पर दिया था उसके फलने-फूलने का टाइम आ गया था। रमा जी ने अपने इकलौते बेटे पवन की परवरिश अकेले … Read more

प्रयासों का इंद्रधनुष – लतिका श्रीवास्तव 

..” अरे अरे ठीक से मुंह खोल कर बोलो !जोर से बोलो..!हल्ला तो बहुत जोर से करते हो अभी आवाज़ ही नहीं निकल रही है….”..आस्था कक्षा 9 के छात्र सोहन से पूछ रही थी जो प्रश्न का जवाब नहीं दे पा रहा था …मुंह बंद करके खड़ा था…! मैडमजी मुंह में तो गुटखा है इसके … Read more

सास ने पेश की त्याग की नई मिसाल – संगीता अग्रवाल

 बहू क्या हुआ है तुम्हे जो अब तक बिस्तर पर लेटी हो काम नही करने क्या राघव भी ऑफिस जायेगा !” शकुंतला जी अपनी बहू सिया के कमरे मे आकर बोली। ” मम्मी जी मेरी तबियत ठीक नही है आप उनसे बोल दो वो बाहर खा लेंगे आज !” अपनी आँखों मे कोरों पर आये … Read more

मां कभी सौतेली नहीं होती – संगीता अग्रवाल 

सविता जी  की नजर बार बार घड़ी की और जाती वो बेचैनी से दरवाजे तक जाती फिर वापिस सोफे पर आ  बैठ जाती। बेटी रिया को कॉलेज से आने में देर जो हो गई थी तो एक मां का बैचैन होना स्वभाविक था। तभी रिया आती  दिखी और उसकी जान में जान आई… ” बेटी … Read more

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