दुलारी सिम्मी – डा उर्मिला सिन्हा
आज कई वर्षों के पश्चात् मायके की सीढ़ियां चढ़ती सिम्मी की आंखें भर आईं। यह वही घर है जहां उसका जन्म हुआ, घुटनों चली बड़ी हुई।पढ़ाई पूरी की।व्याही गई। दादा दादी, माता-पिता, चाचा चाची के आंखों की पुतली सिम्मी। भाई-बहनों के दिल की धड़कन दुलारी सिम्मी। न आज दादा दादी हैं और न माता-पिता । … Read more