सास ने पेश की त्याग की नई मिसाल – संगीता अग्रवाल

 बहू क्या हुआ है तुम्हे जो अब तक बिस्तर पर लेटी हो काम नही करने क्या राघव भी ऑफिस जायेगा !” शकुंतला जी अपनी बहू सिया के कमरे मे आकर बोली।

” मम्मी जी मेरी तबियत ठीक नही है आप उनसे बोल दो वो बाहर खा लेंगे आज !” अपनी आँखों मे कोरों पर आये आंसू पोंछती हुई सिया बोली।

शकुंतला जी समझ गई की बात तबियत खराब होने की नही कुछ ओर ही है पर अभी घर ही शकुंतला जी का छोटा बेटा भी   मौजूद था इसलिए उन्होंने कुछ बोलना उचित नही समझा और वहाँ से चली गई।

” क्या बात है बेटा सच सच बता मुझे ?” दोनो बेटों को भेज कर शकुंतला जी बहू के पास आ बोली।

” कुछ नही मम्मी जी बताया तो मैने! ” सिया बोली।

” हाँ बताया पर तूने कुछ बताया तेरी आंखे कुछ बयान कर रही है …मैं राघव के साथ साथ तेरी भी माँ हूँ तू मुझे अपनी परेशानी बता सकती है !” शकुंतला जी प्यार से बोली।

” मम्मी जी दरअसल राघव का किसी के साथ अफेयर चल रहा है मैने इन्हे बहुत समझाने की कोशिश की पर …!” सिया झिझकते हुए बोली।

” क्या…. तूने ये बात मुझे क्यो नही बताई मैं अच्छे से उसकी खबर लेती !” शकुंतला जी हैरान हो बोली।

” मम्मी जी मुझे लगा मेरे समझाने से समझ जाएंगे ये पर बार बार ये मुझसे वादा करते है उस औरत को छोड़ देने का पर बार बार मुझपर इनकी पोल खुल जाती है …रात तो हद ही हो गई उसके साथ फोन पर बात कर रहे थे मेरी नींद खुली और मुझे पता लग गया तो बोलते है मैं नही छोड़ सकता उसे मेरे घर मे रहना है तो उसे स्वीकार करना होगा वरना तुम जा सकती हो !” सिया रोते हुए बोली।

” ओह्ह …!” उनके मुंह से केवल इतना निकला और वो राघव को फोन करने लगी । उसे छुट्टी का मेल भेज तुरंत घर वापिस आने का आदेश दिया उन्होंने । राघव समझ गया था कि सिया ने आज माँ को सब बता दिया है …। इधर शकुंतला जी सोच रही थी पति की मृत्यु के बाद दोनो बेटों की अच्छे से परवरिश की थी फिर उनसे कहाँ चूक हो गई ! इधर सिया सोच रही थी माँ बाप बचपन से नही है ताऊ ताई ने पाल पोस कर शादी कर दी इतना काफी है अब उनपर फिर से कैसे बोझ बन जाऊं ।



” क्या है माँ बीच रास्ते से क्यो बुलाया मुझे ?” घर आकर राघव बोला ।

” तड़ाक… मेरे ये संस्कार है कि तू घर मे पत्नी के होते दूसरी औरत से सम्बन्ध बनाये इसलिए तुझे पाला पोसा पढ़ाया !” शकुंतला जी बेटे को थप्पड़ मारती हुई बोली।

” किसी से बाहर हंस बोल लेना गलत नही होता माँ आपकी बहू तो एक् नंबर की शक्की है !” राघव पत्नी को देख दाँत पीसता हुआ बोला।

” हंसना बोलना गलत नही पर देर रात किसी से फोन पर प्यार की बाते करना उससे मिलने जाना ये सब तो गलत है ना !” सिया चिल्लाई।

” हाँ ठीक है करता हूँ मैं प्यार उससे तो …तुझे छोड़ा तो नही …उसे घर मे तो नही ले आया …अरे औरत का दिल तो इतना बड़ा होता है उसमे तो त्याग की भावना कूट कूट कर भरी होती है सब सहन कर जाती है वो अपनी ग्रहस्थी बसाने को तो तू क्या इतना सा बर्दाश्त नही कर सकती अपने पति की खुशी के लिए।” राघव ने आँखे तरेरी।

” तड़ाक …शर्म नही आती तुझे …पत्नी है वो तेरी विधिवत ब्याह किया है उसने तुझसे कैसे वो ये सब बर्दाश्त करेगी ..

और क्यो करेगी ? तू करता अगर इसका किसी और से सम्बन्ध होता तो ? ” शकुंतला जी उसके एक और थप्पड़ मारती हुई बोली।

” और कर भी क्या सकती है ये इस घर के सिवा इसका कोई ठिकाना नही तो जाएगी कहाँ ? और माँ ये समाज औरत को ये अधिकार नही देता कि वो कही बाहर चक्कर चलाये ” राघव व्यंग्य से बोला। 

शकुंतला जी के लिए अब ये सब बर्दाश्त से बाहर हो रहा था जिस बेटे को पालने के लिए इतने त्याग किये उन्होंने वो बेटा ऐसा निकलेगा उन्होंने सोचा ना था आज बड़े का ये हाल है कल छोटा इससे सीख ले क्या करेगा ….नही एक औरत अपने बच्चों के लिए त्याग कर सकती है तो वक़्त आने पर उनके खिलाफ कड़े फैसले भी कर सकती है !



” अच्छा …माना उसका इस घर के सिवा कोई ठिकाना नही पर तेरा कौन सा है ये बता दे ? और किस समाज कि बात कर रहा तू जो तुम्हारे जैसे पुरषो का बनाया हुआ जो एक औरत के बाहर रहने पर उसकी अग्निपरीक्षा लेता है और पुरुष को माफ़ कर दिया जाता है। …पर मत भूल जैसे हर राघव भगवान राम सा मर्यादा पुरुषोत्तम नही होता वैसे ही हर सिया माँ सीता सी नही होती।  ” शकुंतला जी गुस्से मे बोली।।

” माँ मुझे दूसरे ठिकाने की क्या जरूरत ये मेरा ही तो घर है !” माँ की घर वाली बात सुन राघव हैरानी से बोला।

“तुम भूल रहे हो ये घर मेरा है !” शकुंतला जी सपाट लहजे मे बोली।

” हाँ तो मैं आपका बेटा हूँ और आप इस पराई लड़की के लिए क्यो अपने बेटे से इतने सवाल जवाब कर रही हो माँ !” राघव शंकित नज़रों से माँ को देख बोला।

” वो इसलिए कि तू मेरा बेटा है तो ये भी बहू है और सबसे बड़ी बात ये सही है …तो आज मैं अपनी बहू के लिए अपने बेटे का त्याग करती हूँ …चला जा यहाँ से …उस औरत से तुझे सम्बन्ध रखने है तो इस घर मे तेरी कोई जगह नही ..

अपना सामान उठा और निकल …!”  शकुंतला जी गुस्से मे चिल्लाई।

” नही मम्मीजी ये क्या कह रही हो आप ये सही नही है !” इतनी देर से चुपचाप् आंसू बहा रही सिया सास से बोली।

” बेटा एक औरत होकर एक औरत का साथ ना दूँ तो लानत है मेरे औरत होने पर वो भी तब जब पता हो गलत मेरा बेटा है बहू नही !” शकुंतला जी बोली।

” माँ अपने बेटे को निकल जाने को बोल रही हो आप वो भी इसके लिए !” राघव बोला।

” इसके लिए नही सही के लिए ..सिया बेटा ये घर तुम्हारा है तुम यहाँ से कही नही जाओगी मैं शाम को चिराग ( शकुंतला जी का छोटा बेटा ) से कह वकील से इस घर के पेपर बनवा घर का आधा हिस्सा तुम्हारे नाम कर दूंगी इसे उस औरत साथ रहना है शौक से रहे ….और अगर इस घर मे रहना है तो तुम्हारी हर बात मान कर रहे ….वो भी तुम अगर इसे माफ़ कर पाओ तब ..और तुम अभी तक यहाँ हो निकलो यहां से !” ये बोल शकुंतला जी ने उसे कमरे से धक्का दे दिया।

आज एक सास ने बहू का साथ दे सास बहू के रिश्ते की नई मिसाल कायम कि पर वरना सास तो बहुओं को तंग करने के लिए जानी जाती है । आज एक माँ ने सही के लिए अपने बेटे का त्याग कर त्याग की एक नई मिसाल कायम कि थी। वरना त्याग की अपेक्षा तो बहुओं से की जाती है।

#त्याग

आपकी दोस्त 

संगीता

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