देवी-आराधना – रश्मि स्थापक

कॉलेज से आने के बाद निहारिका अपने काम फटाफट निपटा कर कॉलोनी के गरबा मंडलों मैं घूमने निकल पड़ी। इस बार शहर की नई बसी इन चारों कालोनियों के अपने-अपने पांडाल सजे हुए थे। एक महीने पहले से ही चारों पांडाल वाले जोर-शोर से तैयारियों में लगे हुए थे। कार्यकर्ता कॉलोनी के छोटे-बड़े बच्चे थे … Read more

जीने की कला – आभा अदीब राज़दान

” दादा जी आप क्यों बाज़ार चले गए , आप को रात में तेज़ ज्वर था और घुंटनों में भी इतना दर्द रहता है ,मुझे बहुत चिंता होती है आपकी । लेकिन आप कभी भी मेरी बात नहीं सुनते हैं ।” पोतबहू विनती बोली । ” बहू मैं बिलकुल ठीक हूँ न अब मुझे बुख़ार … Read more

छोटी बहन – मधु शुक्ला .

यह कहानी हमारी परिचिता के अनुभव के आधार पर निर्मित है। कई बार जिंदगी में ऐसी घटनाएं हो जातीं हैं। जो हमारी विचारधारा, जीवन शैली को बदल देतीं हैं। अनामिका के पड़ोस में रहने वाली तलाकशुदा मीता के बारे में अनुज अच्छी राय नहीं रखता था। इसलिये वह अपनी पत्नी नीलिमा को उससे दूर रहने … Read more

“रिश्ता” – कुमुद चतुर्वेदी

अस्ताचलगामी सूर्य की ओर मुँह किये एक आदमी समुद्र के किनारे दोंनों हाथ उठाये खड़ा था मानो ताजी हवा ले रहा हो कि अचानक वह पानी में कूद गया और डूबने लगा। कुछ लोग जो तैरना जानते थे एकदम पानी में कूद पड़े और थोड़ी देर में ही उस व्यक्ति को कंधे पर लादे बाहर … Read more

वृन्दा सब्जी घर – प्रियंका त्रिपाठी ‘पांडेय’

वृन्दा का छोटा सा परिवार था, परिवार मे दस साल की बेटी और छः साल का एक बेटा था। पति एक हाउसिंग सोसायटी मे गार्ड थे । वृन्दा बहुत ही खुशमिजाज औरत थी, छोटी-छोटी चीजो मे खुशियां ढूंढ लेती थी….या यूं कहिए खुश रहना उसकी फिदरत थी। पर शायद होनी को वृन्दा का खुश रहना … Read more

रिश्ता अपना सा लगे – अर्चना कोहली “अर्चि”

अनुष्का का आखिरी महीना चल रहा था। इसी कारण सौरभ बहुत चिंतित था, अकेले कैसे सँभालेगा! यद्यपि सौरभ ने अनुष्का की देखभाल के लिए सुबह 8 बजे से रात नौ बजे तक के लिए एक सेविका का भी इंतज़ाम कर दिया था। पर ऐसे समय में किसी अपने के साथ से मानसिक संबल मिल जाता … Read more

जूते या पैर – ऋतु गुप्ता

दस वर्ष का शुभम इस बार अपनी मां से अपने जन्मदिन पर महंगें स्पोर्ट्स शूज दिलाने की जिद कर रहा था। शुभम की मां पारुल उसे समझाती है कि बेटा जितनी चादर हो उतने ही पांव फैलाने चाहिए। वो शुभम से कहती है बेटा जब तुम्हारे पास अभी जूते हैं और वो भी सही हालत … Read more

पराये शहर में उनका मन नही लगता – सोनिया कुशवाहा 

यूँ तो तीन बेटे तीन मंजिला खूबसूरत घर, लेकिन रहने वाले सिर्फ दो बूढ़े | तकरीबन 70 वर्ष के शर्मा अंकल अपनी पत्नी के साथ बंगले में अकेले रहते हैं हैं, बहुएँ हैं, पोते पोतियों से भरा पूरा परिवार है लेकिन उम्र के इस पड़ाव पर भी दोनों पति पत्नी तन्हाई में जीवन बिता रहे … Read more

 हमें तो बस बेटी व रोटी चाहिए – डॉ उर्मिला शर्मा 

ममता जी यहां आज चहल-पहल थी। उनके एकलौते बेटे सागर का 25वां जन्मदिन के साथ उनकी रेलवे में नियुक्ति की दोहरी खुशी का अवसर था। मित्र परिचित उसे इतनी छोटी उम्र में सफलता के लिए बधाईयां दे रहे थें। आज की बुराइयों से दूर सागर बड़ा ही होनहार एवं मधुर स्वभाव का लड़का था। ममता … Read more

ज़िंदगी : तेरी मेरी कहानी है – कुमुद मोहन  

रोज मार्निग वाॅक को जाते एक सुन्दर से घर की तरफ निगाहें बरबस उठ जातीं, पैर ठिठक जाते। बरामदे में दो केन की कुर्सियों पर एक बुजुर्ग पति पत्नी बैठे चाय की चुस्कियों के साथ अखबार पढ़ते दिखते। कभी-कभी किसी बात पर दोनों की खिलखिलाती हंसी भी सुनाई दे जाती। लगता था अपनी दुनिया में … Read more

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