ननद रानी हाय हाय – मीनाक्षी सिंह

अनुज  दौड़ता हुआ आया ,,,मम्मी देखो बुआ जी को क्या हो गया हैं ,,विराट को कितना मार रही हैं !  सीमा आटे सने हाथों से ही दौड़ती हुई आंगन में आयी !  दीदी ,,.क्या हो गया ,,आप इतनी गुस्से में क्यूँ हैं ,,अनुज कह रहा था कि बुआ जी गुस्सा हो गयी और विराट को … Read more

“गम उठाने के लिए मैं तो जिए जाता हूं” – सुधा जैन

  मैं एक हंसता खिलखिलाता जिंदादिल पुरुष था। मेरे पास एक प्यारा सा दिल और ढेर सारे अरमान थे। बचपन में मेरी परवरिश सौतेली मां के हाथों हुई, मैं बड़ा तो हो गया पर दिल के किसी एक कोने में मां के प्यार की कमी रह गई। मन कभी-कभी बेचैन हो जाता था कि सभी … Read more

डोर विश्वास का – अमिता कुचया

रिदिमा और मोहित एक दूसरे को बहुत प्यार करते थे। दोनों ने अपनी मर्जी से शादी की थी। पहले जब रिदिमा की शादी नहीं हुई थी,  तब वह बहुत खुल कर बात करती थी।वह सबसे ही हंस कर खुद कर बोलती ।वह खुले विचारों वाली बिंदास लड़की थी। उसे लगता कि जिंदगी में खूब पैसा … Read more

सच्चाई की जीत – कमलेश राणा

बब्बू, आज फिर तूने मेरे बकस को हाथ लगाया,, कितनी बार कहा है जो चाहिये मांग लिया कर पर ये उठा पटक मत किया कर,,  पर मैंने तो छुआ ही नहीं,,  तो क्या भूत कर गये,, सारा सामान बिखरा पड़ा है,,  वो तो चाचा और ताऊ आये थे,, कुछ ढूंढ़ रहे थे,, एक छोटी सी … Read more

 खुश होना गुनाह तो नहीं – सुषमा तिवारी

फोन की घंटी लगातार बजे जा रही है और उसके साथ ही संगीता की घबराहट, “क्या करूँ उठाऊं कि नहीं, नहीं उठाऊंगी, नहीं दे पाऊँगी अब और जवाब, क्या जाने मोनिका क्या सोच रही होगी मेरे बारे में”! ये सब सोचते हुए आंसुओं की धार बह चली और संगीता पछताने लगी अपने कृत्य पर| हाँ … Read more

साथ–साथ – विजया डालमिया

जान से प्यारे ,सबसे प्यारे ….प्यार ही प्यार…. आज बड़ा ही अजीब लग रहा है यूँ  तुम से मुखातिब होते हुए। यूँ तो खयालों में तुम्हें लाकर हमेशा ही तुमसे बातें करती रही हूँ ।पर आज खत को माध्यम बना दिल की बातें तुमसे कहना चाहती हूँ ।इजाजत है ना मुझे?पता नहीं ….तुम्हें कैसा लगेगा? … Read more

“समझौता ज़िन्दगी का” – कुमुद मोहन

ड्राइवर गाड़ी रोको!सुधी शापिंग को निकली थी!रास्ते में एक ठेलेवाले के पास किसी को देखकर उसने गाड़ी रूकवायी! उतरकर सब्ज़ी खरीदती महिला को देखकर सुधी चिल्लाई “नीता! तू यहाँ? कहकर उससे लिपटने वाली थी कि नीता संकोच से पीछे हटने लगी! सुधी और नीता बचपन से साथ पढ़ीं एक दूसरे की पक्की सहेली थीं! दोनों … Read more

“ज़िंदगी का नाम समझौता नहीं… डॉ. सुनील शर्मा

ज़िंदगी का  दूसरा नाम समझौता है बिटिया, मां ने हमेशा यही समझाया था. औरत को पग पग पर परिस्थितियों से तालमेल बैठाना ही पड़ता है. हवा के रुख को पहचान कर बहाव के साथ चलने में ही समझदारी है. नारी चाहे पिता के घर हो या ससुराल में, गृहणी हो या किसी ऊंचे पद पर … Read more

बहू के हाथों का स्वाद – नीरजा कृष्णा

सरिता जी के घर पर आज सासू माँ के पीहर वाले आ रहे हैं….उनके भाई भाभी, उनके बेटे बहू एवं बच्चे वगैरह सब आ रहे है। सरिता जी सबके स्वागत के लिए बहुत उत्साहित हैं…..उनको लग रहा है कि क्या ना कर दें मम्मी के पीहर के परिवार के लिए..| उनको बार बार वो दिन … Read more

वो ईश्वरीय सहायता – लतिका श्रीवास्तव 

इस बार नवरात्रि पर वैष्णो देवी जाना ही है मां…..मां मैं आपसे ही कह रहा हूं  …….मैंने वैष्णो देवी के टिकट बुक कर दिए हैं …..आप और मेधा मिल के सारी तैयारी कर लीजिए अपनी दवाई कपड़े सब अभी से तैयार रखिए इस बार आपका कोई भी बहाना नहीं चलेगा …वैष्णो देवी जाना है मतलब … Read more

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