बहू के हाथों का स्वाद – नीरजा कृष्णा

सरिता जी के घर पर आज सासू माँ के पीहर वाले आ रहे हैं….उनके भाई भाभी, उनके बेटे बहू एवं बच्चे वगैरह सब आ रहे है। सरिता जी सबके स्वागत के लिए बहुत उत्साहित हैं…..उनको लग रहा है कि क्या ना कर दें मम्मी के पीहर के परिवार के लिए..|

उनको बार बार वो दिन याद आ रहे हैं जब उनके खुद के बहन बहनोई या अन्य कोई भी आगरा(सरिता जी पीहर)से आता था तो मम्मी जी किस तरह पलक पाँवड़े बिछा देती थीं। वो उनको थोड़ा रोकना भी चाहें तो भला मम्मी जी मानने वाली थी क्या?सरिता जी के टोकने पर कहा करती…..”बेटी!तेरे पीहर वाले हमारे अनमोल सम्बंधी है। मुझे अच्छा लगता है उनकी आवभगत करना।”

सरिता जी सासु माँ की बातों पर निहाल हो जाती।

आज बहुत दिनों के बाद मम्मी जी के पीहर  से कोई आ रहा है और सरिता जी अपनी तरफ़ से कोई कमी नहीं छोड़ना चाहती हैं। मम्मीजी  की तबियत थोड़ी ढ़ीली सी है…वो बार बार कह रही हैं….”बेटा ज्यादा परेशान होने की जरूरत नहीं है..अरे सब घर के ही तो लोग हैं..आराम से जितना हो उतना ही कर।”

“अरे माँ!ऐसा मत कहिए।मामाजी मामीजी कौन सा रोज़ आते हैं..मेरा भी तो मन करता है। ऐसा करते हैं कि हल्दीराम के यहाँ से राजकचौड़ी,समोसा तथा पापड़ी चाट मँगवा लेते हैं। अपने क्लब में पिज्जा बहुत बढ़िया मिलता है,सो वही मामाजी के पोता पोती के लिए आर्डर कर देते हैं..बच्चे खूब पसंद करेगें।”

बहू का उत्साह देख कर सरला जी(माँजी)बहुत प्रसन्न हो रहीथी…

अचानक सरिता तेजी से उनके कमरे में आईं….”मम्मी जी!सब तो हो गया इन्तज़ाम पर अभी अचानक मन में आया है…नुक्कड़ के मंगलू हलवाई की सब्जी कचौड़ी भी बडी मस्त होती है…वो भी मँगवा ली जाए क्या?”

बहू सरिता के उत्साह से द्रवित सरला जी की आँखें छलछला गईं..”सरिता बेटी!एक बात कहना चाह रही हूँ…प्लीज़ बेटी अन्यथा मत लेना।”

“क्या मम्मी जी!आप भी हद कर रही हैं। निःसंकोच कहिए ना।”

“बेटी!तेरा उत्साह और शौक देख कर मैं धन्य हो गई।बस थोड़ी मूँग की दाल भिगा ले….उसके मँगोड़े बना लेना और साथ में पोदीने की चटपटी चटनी…भैया भाभी खुश हो जाएंगें….मेरी प्यारी सरिता के हाथ का स्वाद..वाह।”

सरिता दौड़ कर उनके गले लग गई…”सच मम्मी जी! ये तो मैने सोचा ही नहीं था…वाकई बहू के हाथ का तड़का लाज़वाब होता है।”

नीरजा कृष्णा

पटना

 

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