लौट के बुद्धू घर को आये – भगवती सक्सेना गौड़
एक रिश्ते की ननद की शादी थी, 2005 में, तब मैं यू पी के एक शहर में थी। वैसे तो बेटी बोर्ड के एग्जाम की पढ़ाई में व्यस्त रहती थी, पूरे दिन मैं भी इसी कारण व्यस्त और उनकी खातिरदारी करती रहती थी। पढ़ाई में इतना डूब जाती थी, कि उसे खाने पीने का भी … Read more