समझौता अब नहीं – तृप्ति सिंह : Moral Stories in Hindi

गर्मी की एक धुंधली सी शाम थी, जब सूरज ने अपनी आखिरी किरणों से धरती को जलाया था। गांव के दूर-दराज खेतों में हलवाहे काम कर रहे थे, और किसान अपने घर लौट रहे थे। यह एक सामान्य सा दिन था, लेकिन रामनाथ जी के घर में कुछ अलग हो रहा था। उनके जीवन में … Read more

कच्चा चिठ्ठा खोलना – तृप्ति सिंह : Moral Stories in Hindi

बबलू आजकल गाँव की चर्चा का सबसे बड़ा विषय बना हुआ था। पाँच साल पहले जो लड़का टूटी चप्पल पहनकर शहर गया था, वो अब चमचमाती गाड़ी में लौटा था। सूट-बूट, महंगे चश्मे और हाथ में मोबाइल… जैसे कोई फिल्मी हीरो। उसके पिता, रामदयाल, छाती चौड़ी करके कहते, “हमार बेटा अब साहब बन गया है! … Read more

आपने मेरे लिए क्या किया है – कमलेश आहूजा : Moral Stories in Hindi

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“आपने मेरे लिए क्या किया है?” बेटे रोहन के मुंह से ऐसे कठोर शब्द सुनकर सरिता की आंखों में आसूं आ गए।जिस बेटे को इतने नाजों से पाला अपनी रातों की नीद कुर्बान की वही आज उसकी परवरिश पे सवाल कर रहा था वो भी बहु प्रिया के सामने जिसने आते ही पूरी तरह से … Read more

“समझौता अब नहीं” —  सरोजनी सक्सेना : Moral Stories in Hindi

आज शाम से ही राम रतन जी की दुकान पर बहुत भीड़ थी । कारण कल से नवरात्रि व्रत स्थापना है । सब अपने सामान के लिए जल्दी कर रहे हैं ।  रामू भी अपने हाथ पैर जल्दी-जल्दी चल रहा था । जल्द से जल्द सामान ला ला कर ग्राहकों की मांग पूरी कर रहा … Read more

फैसला —  संध्या त्रिपाठी: Moral Stories in Hindi

    बात उन दिनों की है मानसी एक सशक्त सयुंक्त परिवार का हिस्सा हुआ करती थी, संयुक्त परिवार की मिशाल के रूप में उसके परिवार का नाम लिया जाता था….!! सुंदर, सुशील और सबसे बड़ी बात सुलझी हुई व्यक्तित्व की मालकिन मानसी…. मझली बहू के रूप में इस सशक्त परिवार की हिस्सा बनकर आई थी…! सासू … Read more

मुखौटे – करुणा मलिक: Moral Stories in Hindi

कई दिन से रेशमा का मन उदास था । पिछली गली में रहने वाली उसकी छोटी बहन राखी बीमार थी । रेशमा को अकेले जूता  फ़ैक्ट्री में जाना बिल्कुल अच्छा नहीं लगता था पर क्या करे ? मज़दूर अगर मज़दूरी पर नहीं जाएगा तो शाम को खाएगा क्या ? बस यही सोचकर वह काम पर … Read more

मेरा पति कमा रहा है, मै क्यों समझौता करूं ? – अर्चना खंडेलवाल : Moral Stories in Hindi

बहू, फिर से शॉपिंग !!अभी दस दिन पहले ही तो तुम गई थी, और ये सेल का इतना सामान फिर से ले आई इनमें पैसे बर्बाद मत किया करो, भारती जी ने समीक्षा को टोका तो उसका पारा चढ़ गया। मम्मी जी, मेरा घर है, मेरा पति कमा रहा है, आपको क्या तकलीफ़ हो रही … Read more

पछतावा : संगीता अग्रवाल : Moral Stories in Hindi

आज विवेक बहुत गुस्से मे था उसे खुद नही समझ आ रहा था वो गुस्से मे क्या कर जाये । पत्नी की अय्याशी के ढेरों किस्से सुने थे उसने पर कानो सुनी बातों पर विश्वास करने वालों मे विवेक नही था उसने हमेशा सुनी सुनाई बातों को एक कान से सुन दूसरे से निकाल दिया … Read more

बच्चा बूढ़ा एक समान… – रश्मि झा मिश्रा : Moral Stories in Hindi

…”अम्मा आज सुबह से शाम होने को आई… आप कुछ खाती क्यों नहीं… कुछ तो खा लीजिए… ऐसे तो बीमार पड़ी रहती हैं… अब क्या इरादा है… अम्मा… सुनती हो…कुछ तकलीफ़ हो तो वो भी बताएंगी तब ना जानूं…!” अम्मा ने आंचल आंखों पर डाल लिया… कुछ ना बोली… शाम को राहुल घर आया तो … Read more

काला चिठ्ठा – डोली पाठक : Moral Stories in Hindi

मनोरमा मैंने तुम्हें मना किया था ना कि छोटे के विवाह में सविता बुआ को मत बुलाना…… शीला जी ने अपनी बहू मनोरमा को फटकारते हुए कहा। परंतु मां जी….. सविता बुआ क्यों नहीं आ सकतीं हमारे यहां…. ये मायका है उनका…. उन्हें पूरा हक है अपने घर आने का…. मनोरमा ने कहा। मनोरमा जब … Read more

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