“सौतेली मां” – कुमुद मोहन

“अरे निशा तू?कैसी है,कहां थी इतने साल? बाज़ार में मिलकर पूछते हुए लीना ने निशा को कसकर पकड़कर लिया!

और ये कौन?तेरी स्टेप माॅम हैं ना?

“मुझे किसी ने बताया था अंकल ने दूसरी शादी कर ली है!”

लीना और निशा बचपन से साथ साथ पली साथ पढ़ीं!दोनों कभी एक दूसरे के पड़ोसी हुआ करते थे!फिर लीना के पिता का ट्रांसफर हो गया और वे दोनों अलग हो गईं।

‘स्टेप’ शब्द सुनते ही निशा की मां कविता को ऐसा महसूस हुआ जैसे किसी ने गाली दे दी हो।

लीना ने निशा को बेचारगी का अहसास दिलाते हुए यह भूल कर कि कविता भी सुन रही है निशा की मम्मी के गुणगान शुरू कर दिये”हाय!आंटी कितनी सुन्दर,कितनी स्मार्ट थी!उनके हाथ का खाना तो मैं कभी भूल ही नहीं सकती!तुझे कैसा लगता होगा ,तू कैसे रहती होगी उनके बगैर!

निशा  को बहुत अटपटा लग रहा था कविता के सामने उसने उसे चुप कराने की भरसक कोशिश की मगर लीना कहाँ मानने वाली थी

लगातार बोलती ही चली गई ‘और अंकल! वो तो आंटी से इतना अटैच थे उनपर क्या गुजरी होगी?

निशा ने उसे रोकते हुए कहा “यहाँ मार्केट में नहीं किसी दिन घर पर बैठकर बात करते हैं!अभी हमें देर हो रही है!चलें मम्मा! कहकर निशा कविता के संग निकल ली!

कार में बैठते हुए निशा ने कविता को थोड़ा उदास देखा तो कहा “आप लीना की बातों का बुरा मत मानें उसकी तो आदत ही नेगेटिव बोलने की है!

कविता के पति एयरफोर्स में पायलट थे शादी के दो महीने बाद ही एक प्लेन क्रैश में चल बसे थे!

निशा के पिता मुकेश ने धरा से प्रेम विवाह किया था!धरा बिल्कुल स्वर्ग की अप्सरा सी लगती थी।

रिश्तेदारों में उनकी जोड़ी राधा-कृष्ण सी थी!उनके खास दोस्त उन्हें कभी लैला मजनूतो कभी तोता मैना कहकर चिढ़ाया करते!



अक्सर लोग यही कहते कि यही एक ऐसा कपल है जो हर जगह साथ साथ रहता है।

धरा को एकाएक हार्ट अटैक आया और हस्पताल ले जाते जाते उसका देहांत हो गया!

धरा के जाने के बाद मुकेश एकदम गुमसुम रहने लगे!उनकी बूढ़ी मां और विधवा बहन ने निशा को संभाला!

मां बार बार कहती कि मुकेश दूसरा ब्याह कर ले पर मुकेश दूसरे ब्याह की बात सुनते ही भड़क उठते!उसने साफ-साफ कह दिया था कि धरा की जगह वह किसी को नहीं दे सकते ना ही देंगे!

निशा का ऐडमिशन घर के पास के स्कूल में हो गया!

निशा की क्लास टीचर कविता थी जो पति की डैथ के बाद स्कूल में जाॅब करने लगी थी।

कभी निशा को पिक करने ,कभी पी टी एम में कविता और मुकेश का आमना सामना होता!

धीरे धीरे दोनों एक दूसरे को जानने लगे!निशा भी कविता से बहुत हिलमिल गई!

एक दिन मुकेश निशा को पिक करने नहीं पहुंचे तो कविता उसे घर छोड़ने आई वहाँ मुकेश की मां से मुलाकात होने पर उन्होंने कविता के बारे में जानकारी ली यह जानकर कि कविता भी विधवा है उन्होंने फौरन मन में तय किया कि वे दोनों की शादी कराऐंगी!वे मुकेश को राजी करेंगी।उन्होंने निशा से भी पूछा कि क्या वो चाहेगी कि कविता उसकी मम्मी बन जाए!

निशा और मां के कहने पर मुकेश राजी हो गए और कविता निशा की मां बनकर घर आ गई।

कविता ने मां,निशा और मुकेश को शिकायत का कभी कोई मौका नही दिया!सबने उसे खुले दिल से अपनाया!अपने विनम्र व्यवहार और प्यार दुलार से निशा को कभी उसकी मां की कमी महसूस नहीं होने दी।

कई बार कविता ने मुकेश को अपनी आलमारी में

रखी धरा की फोटो को एकटक निहारते भी देखा पर अगले पल सोचा कि वह भी तो गाहे बगाहे अनुज को याद करती है!

ना मुकेश अनुज के बारे में बात करते ना कविता धरा के!एक दूसरे की भावनाओं का आदर करते।

मुकेश और कविता का एक बेटा अंश हो गया।

निशा अंश को बहुत प्यार करती!

दो चार दिन बाद लीना फिर आ धमकी!



निशा के कमरे में जाकर उसने निशा को सौतेली मां का पाठ पढ़ाना शुरू किया!वह कहने लगी” ये सब तो दिखावा है ,मेरे मौसा ने दूसरी शादी की तो सौतेली मां ऊपर से तो बच्चों पर लाड दिखाती थी पीछे से उनके साथ बुरा व्यवहार करती थी!और जब उनके अपने बच्चे हो जाते हैं तब तो नौकरों से भी बुरा बर्ताव करती हैं!पूरी जमीन-जायदाद हड़प लेती हैं! मौसा की तीन लड़कियां हैं नई वाली के बेटा हो गया तो दादी और सारे घरवालों की नजरें बदल गई कि अब खानदान का वारिस आ गया!और तो और पापा लोग भी बदल जाते हैं!

तू भी चौकन्नी रहना ये सारा माल मता अपने और अपने बेटे के नाम करा तूझे दूध की मक्खी की तरह निकाल फेकेंगी!

अच्छा ये बता तेरी मम्मी का जेवर कहाँ है?

तब निशा को याद आया कि अभी पिछले दिनों किसी की शादी में कविता ने धरा का जेवर पहना था !उसके भोले मन में सौतेलेपन का सर्प सर उठाने लगा!उसे लगा कि उसकी मां के जाते ही उसकी मां के सामान और उसके पिता पर सौतेली मां का कब्ज़ा हो जाएगा।

लीना निशा की ज़िन्दगी में कड़वाहट घोलकर आग लगा कर चली गई!

और निशा को कविता की अच्छाईयों की जगह बुराईयां नजर आने लगीं!हर वक्त उसे लगता कि कविता और मुकेश उससे ज्यादा अंश को प्यार करने लगे हैं!मुकेश जब अंश को प्यार करते तो निशा का खून खौल उठता!उसे दादी का व्यवहार भी बदला हुआ नजर आने लगा।

निशा बात बात पर गुस्सा करने लगी चिल्लाने लगी!

पर कविता ने अपना धैर्य नहीं खोया !वह समझ गई जब से लीना दुबारा से निशा को मिल कर गई है तब से ही निशा का रवैया कविता और अंश के साथ बदल गया है !वह चिड़चिड़ी हो गई है!

उसने मुकेश और दादी के साथ मिलकर

निशा से बात की,उसे समझाया कि जब इतने दिन से सब इतने प्यार से रह रहे थे फिर किसी तीसरे के कहे में आकर अपने घर का चैन और सुकून क्यों खराब करें!

निशा ने लीना की कही सब बातें बताई।

तब कविता ने कहा कि अंश के आने से निशा के अधिकारों में कोई फ़र्क नहीं पड़ेगा वह चाहे तो कविता इस घर और जायदाद पर कोई हक नहीं रखेगी वह लिख कर देने को तैयार है!कविता को सिर्फ और सिर्फ घर की खुशियां और सबका प्यार चाहिए और कुछ नहीं!

निशा की आँखें खुल गईं!उसने कविता से माफ़ी मांगी कि लीना के कहे में आकर वह अपने इतने प्यार करने वाले परिवार के प्रति गलतफ़हमी पालने जा रही थी!वह भूल गई थी कि जब कविता ने कभी भी सौतेलापन नहीं किया तो उसने क्यूं उल्टा सीधा सोच लिया!

दोस्तों

सौतेलापन शब्द से पराऐपन की बू आती है यह शब्द एक गाली की तरह लगता है !विशेषकर तब जब सौतेली मां असली मां से भी बढ़कर बच्चों को प्यार देती है!कुछ घर वाले कुछ बाहर वाले अपना मतलब साधने के लिए दरार पैदा करते हैं!वे बच्चों को भड़काते हैं!बालमन तो भोला होता है वह क्या जाने किसी का क्या मकसद है!

जरा सी गलतफ़हमी से रिश्तों में जिंदगी भर की दरार पड़ जाती है!

कविता के विनम्र व्यवहार और स्वभाव की वजह से उसका और निशा का मां बेटी का रिश्ता टूटने से बच गया!

आपको पसंद आए तो प्लीज लाइक-कमेंट अवश्य दें!धन्यवाद

आपकी सखी

कुमुद मोहन

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