सिक्के के दो पहलू – संगीता त्रिपाठी  : Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi : “सुन मीता, बड़ी खुशखबरी हैं, काम खत्म कर आजा लंच ब्रेक में पार्टी करते हैं “। नैना ने अपनी दोस्त और कलीग मीता को फोन कर बोला ।

   “प्रमोशन लिस्ट आ गई क्या..?”

  “हाँ पर ऑफिस की नहीं, मिलने पर बताउंगी “कह कर नैना ने फोन काट दिया।

       मीता बड़ी बेचैनी से लंच ब्रेक का इंतजार करने लगी, आखिर कौन सा प्रमोशन हुआ उसका।

     लंच ब्रेक में जैसे ही मीता नैना के केबिन में गई, नैना खुशी से गले लग गई।”ऐसा कौन सा प्रमोशन हो रहा तेरा जो खुशी से बावली हो रही हैं।

  “मेरा ही नहीं तेरा भी प्रमोशन हो रहा “, नैना ने चहकती आवाज में कहा।

पहेलियाँ ना बुझा, जल्दी बता, मुझसे और सब्र नहीं हो रहा। मीता उत्सुकता से बोली।

  आज सुबह मुझे दो गुलाबी लाइन्स ने,मेरे प्रमोशन की सूचना दी। मै माँ बनने वाली हूँ और तू मौसी, मेरे साथ तेरा ही नहीं कई रिश्तों का प्रमोशन हो रहा।

       मीता ने नैना को गले लगा मुबारक वाद दिया। दोनों ने अच्छे रेस्टोरेंट में लंच कर सेलिब्रेशन भी किया।

वापस ऑफिस आ मीता अनमनी हो गई। नैना उससे पांच साल छोटी हैं। उसकी शादी के अभी चार साल ही हुये, पर मीता की शादी के दस साल हो गये। अभी उसकी बगिया में फूल नहीं खिले।एक बार फूल खिलने वाला था. दो गुलाबी लाइन्स जो नैना को खुशी दे रही थी, सात साल पहले वही लाइन्स मीताऔर अविनाश को मुसीबत लगी थी।

रात भर सोचने के बाद सुबह अस्पताल जा उस अनचाही मुसीबत से मुक्ति पा ली। पर अंदर कहीं कुछ दरक गया था।उस समय समझ नहीं पाई थी। पर आज वो दरकना समझ में आ गया था।

              शादी के बाद अविनाश के छोटे भाई -बहनों की पढ़ाई -लिखाई की जिम्मेदारी की वजह से अविनाश पिता बनने को तैयार  नहीं था। जब जिम्मेदारियां खत्म हुई तो सफलता के सोपान चढ़ती मीता अपने कैरियर की वजह से माँ नहीं बनना चाहती थी।

 देखते- देखते आठ साल गुजर गये। एक दिन मीता ड्रेसिंग टेबल के सामने बालों का जूड़ा बना रही थी। बालों में झलकती सफेदी ने उसका ध्यान आकर्षित किया -ये क्या, बालों में सफेदी और चेहरे पर फाइन लाइन्स.. क्या इतनी उम्र बढ़ गई। दिल ने कहा -तू  अड़तीस की होने वाली हैं। मीता धक् सी रह गई। समय की रफ़्तार, उसके कैरियर की रफ़्तार से कहीं ज्यादा थी।

 माँ बनने का जब निर्णय लिया, तब तक देर हो चुकी थी।उस समय पीरियड का अनियमित होना,उसने काम के तनाव से लिंक कर मन को समझा लिया था।

 डॉ. ने जब जाँच के बाद कहा -“सॉरी मीता, आप अब माँ नहीं बन सकती।”

सुनते ही मीता वहीं बेंच पर ढह गई। कैरियर और जिम्मेदारी तले, उसने और अविनाश ने अपनी नैसर्गिक चाहत की आहुति दे दी।आज वो अनचाही पुकार और दरकना फिर याद आया।

         मीता का मन उदास हो गया, देवर -ननद सब अपनी गृहस्थी में मग्न हो गये। सन्नाटा फैला अविनाश और मीता की फुलवारी में।

मीता और अविनाश के रिश्तों में दूरियां आ गई थी।ऑफिस से जल्दी निकल मीता उदास मन से घर पहुँच गई। पिछले एक साल से मीता को घर का सूनापन अखरने लगा।उस समय जो मुसीबत समझा आज जिंदगी की पूर्णता लग रही, काश समय रहते उसने सिक्के के एक पहलू को ही नहीं, दूसरे पहलू को भी देखा होता।

            अँधेरे में लेटी मीता, अचानक खट की आवाज से घबरा गई, देखा अविनाश खड़े थे।” आज तुम जल्दी आ गई, तबियत तो ठीक हैं।”

इतने समय बाद अविनाश की चिन्ता युक्त आवाज सुन मीता भावुक हो गई। अविनाश के गले लग बिलख पड़ी।” अवि, मै माँ बनना चाहती हूँ।”

मीता को रोते देख, अविनाश की आँखों में आँसू आ गये। ये वही मीता हैं, जिसने उसकी जिम्मेदारियों के चलते अपनी इच्छाओं की बलि दे, उसका साथ दिया था।

फिर वो कैरियर के उफान पर पहुंची मीता का साथ ना दे, उसे अपनी इच्छा के अनुसार माँ बनने को क्यों मजबूर कर रहे थे । उसकी भी गलती कुछ कम नहीं हैं।

         मीता के बालों पर हाथ फेरते अविनाश बोला -“मीता देर जरूर हुई हैं, पर इतनी भी देर नहीं हुई हैं। तुम माँ जरूर बनोगी ये मेरा वादा हैं। बस हमें एक दूसरे का साथ हिम्मत से देना हैं। “

अविनाश ने अपने प्रयास तेज कर दिया। फाइनली, एक साल बाद वे आई. वी. एफ. तकनीक से जुड़वा बच्चों के माता -पिता बन गये, उनकी फुलवारी में बच्चों की किलकारियाँ गूंज उठी।

नैना अपने बेटे के साथ मीता से मिलने आई -आज फिर हम दोनों का प्रमोशन हो गया। दोनों की खिलखिलाहट से कमरा खुशगवार हो उठा।कल की मुसीबत आज खुशियों में बदल गई।

                       —संगीता त्रिपाठी 

  #मुसीबत 

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