सांवली रंगत उस पर प्रेम का गठबंधन ,,,, – मंजू तिवारी

सुबह-सुबह प्रेरणा कॉलेज के लिए तैयार हो रही थी जहां वह पढ़ाती थी तभी मम्मी ने कहा आज तुम अपने कॉलेज में दो-तीन दिनों की छुट्टी के लिए बोल देना नाश्ता बनाते हुए उसकी मम्मी ने प्रेरणा से कहा,,,, मम्मी छुट्टी क्यों लेनी है क्या बात है।,,, पापा ने तुम्हारे लिए एक अच्छा सा लड़का देखा है ,,,जो पापा के कोई पुराने मित्र का बेटा है। उनका पूरा परिवार तुम्हें देखना चाहता है। 

लेकिन उसकी इन बातों में रुचि नहीं थी मां की बातों को सुनते हुए अपने काम में लग रही मां ने दोबारा कहा लड़का बड़ा अच्छा है ।किसी तेल कंपनी में जॉब करता है। शायद मम्मी चाहती थी की प्रेरणा उनकी बातों में रुचि ले उसने तो मम्मी की इस बात का मजाक ही बना डाला अरे मम्मी गलियों में जाकर तेल बेचता है फिर तो बहुत अच्छा है। ना ना मैं भूल गई हूं ,,,

पापा कोई नाम बता रहे थे कंपनी का, कह रहे थे बड़ी अच्छी कंपनी है। चलो मम्मी मैं तो जाती हूं,, तुम कंपनी का नाम याद करती रहना फिर बताना,,, शादी ब्याह में प्रेरणा की रूचि बिल्कुल भी ना थी,,, पापा ने उसके पापा ने कई रिश्ते देखें जो बहुत ही अच्छे थे जो प्रेरणा के दृष्टिकोण से फिट नहीं बैठे ,,,,तो वह मना कर देती कहीं मम्मी को अच्छा नहीं प्रेरणा को कभी भी शादी के बंधन में बंधना पसंद ही नहीं था या यूं कहिए शादी करने का मन ही नहीं था प्रेरणा की मनसा जानकर प्रेरणा के पिता बड़े नाराज होते हैं स

भी की शादी होती है इस में नया क्या है हमारी  बेटी की सोच ना जाने कैसी है। क्योंकि प्रेरणा ने अपने आसपास सभी बेटियों और बहनों की वैवाहिक जीवन उसे पिंजड़ा से कम नहीं लग रहा था अब पिंजरा में बंद होना किसको पसंद होगा ,,,? वैसे भी वह सोचती कि उसने अपने व्यक्तित्व को इतना तो कर ही लिया है कि वह अपना जीवन यापन खुद कर सकती है

 और बेटी के लिए शादी होने के बाद बहुत सारे झंझट है वह उसके बस की बात नहीं थी प्रेरणा तो सदा अपने घर में आजादी से रहना चाहती थी पापा कहते जब भी इनके लिए कोई लड़का देखने जाओ तो पहले फूल जाता है तो कैसे मिलेगा यह बात मेरे पास मम्मी के माध्यम से आती कि पापा ऐसे कह रहे थे,,,

 प्रेरणा अपने मम्मी पापा की बहुत लाडली बड़ी बेटी है। जब भी प्रेरणा की बहन प्रेरणा से उसकी शादी की बात करती तो उसको दो थप्पड़ लगा देती उसे बड़े होने का बड़ा रोव है वह छोटी थी उसको घर में शादी होने का शौक था अपेड़ा की उम्र 26 साल हो चुकी थी शादी को टालने का कोई बहाना नहीं मिल पा रहा था क्योंकि पढ़ाई भी पूरी हो चुकी थी प्राइवेट कॉलेज में पढ़ाती थी ज्यादा दबाव बनाने पर सोचा जो होगा देखा जाएगा कम से कम मेरे योग्य खुली मानसिकता का एक अच्छा लड़का तो मिले,,,

 कई लोगों को तो प्रेरणा इतनी पसंद आती है कि किसी दूसरे के माध्यम से प्रेरणा के माता-पिता के पास शादी का प्रस्ताव अपने बेटे  के लिए भेजते,,,,, और उसके पिता बड़ी सावधानी से उन रिश्तो को टटोलते क्योंकि वह किसी तरह का अपनी बेटी के लिए जोखिम नहीं लेना चाहते थे यह रिश्ता  पापा को ठीक लग रहा था क्योंकि यह घर उनके जान पहचान के दोस्त का था लोकल का था इसलिए   बेटी के दूर होने पर उसको आने जाने में कठिनाई होगी दोस्त का घर है



 इसलिए शायद बेटी को कभी तकलीफ भी ना हो हर बात खुलकर कह सकते थे,,,, क्योंकि उन्होंने अपनी बेटी की परवरिश बड़ी स्वच्छंद तरीके से की है। दोस्त होने के नाते उन्होंने सारा कुछ पहले ही बता दिया था सुनो मित्र मैंने अपनी बेटी से कभी एक गिलास पानी तक नहीं लिया है इस बात का विशेष ध्यान रखना बाकी समझदार है सारा कुछ बहुत जल्दी हैंडल कर लेगी,,,, लोकल का मामला था इसलिए सारा कुछ आस पास वाले ही अवगत करा देते थे 

प्रेरणा के पिता रूपी ससुर जी बहुत खुश थे प्रेरणा को लेकर,,,,, क्योंकि उनको लग रहा था कि उन्होंने अपने बेटे के लिए होनहार लड़की का चयन किया है। और वह प्रेरणा की तारीफ करते हुए नही थकते कहते यह मेरी पसंद है। इतनी सहनशील समझदार बहू इस घर में नहीं आएगी आज वह इस दुनिया में नहीं है।,,,,,,,शाम को जब प्रेरणा कॉलेज से घर आती है। तब मम्मी उससे कहती हैं पापा ने कहा है चेहरे पर ब्लीच करा लेना फेशियल करवा लेना अच्छे से साफ हो जाए,,,, यह प्रेरणा को बिल्कुल भी अच्छा नहीं लग रहा था क्यों मम्मी इसकी क्या जरूरत है किसी को धोखे में नहीं रखना चाहिए जिसको पसंद करना है वह मुझे ऐसे ही पसंद करें मुझे अपनी सांवली रंगत से प्यार है तो जिससे मेरा गठबंधन होगा वह भी मुझे ऐसे ही पसंद करें उसे मेरे सांवली रंग रूप से परेशानी नहीं होनी चाहिए क्योंकि यही सांवला रंग मेरी अभी तक की पहचान बनता आया है। छोटी क्लास से लेकर बड़ी क्लास तक वह सांवले रंग की लड़की के नाम से मुझे तारीफे मिलती रही है। यह सांवली रंगत मेरे जीवन का हिस्सा है।

 मैं इसे क्यों छुपाऊ वैसे भी बेटों की तरह मेरे भी तो आपके पास विवाह प्रस्ताव आए आए ही हैं आप फालतू में परेशान हो रही हो,,,, वैसे भी कुदरत ने सांवली मोहनी सूरत मुझे बख्शी है ।और आपकी तरह मेरी बड़ी बड़ी आंखें हैं। आप परेशान ना हो कोई मुझे रिजेक्ट करें उससे पहले मैं उसको रिजेक्ट कर दूंगी,,, ना प्रेरणा ऐसा नहीं होता है। 

सभी अपना चेहरा तो साफ कर आते ही है अगर तुमने फेशियल नहीं कराया तो पापा बहुत गुस्सा करेंगे फिर तुम जानना तुम्हारा काम फिर मुझसे कुछ मत कहना पापा की बात रखते हुए प्रेरणा ने फिसियल करवा लिया मन में ख्याल आया मौलिकता कभी छुपती नहीं है मौलिक होना ही सबसे सुंदर है।,,,,, फिर भी ना जाने क्यों सांवली रंगत को लेकर प्रेरणा की मां बहुत डरी हुई थीं,,, फिर प्रेरणा अपने मम्मी पापा बहन चाचा चाची के साथ निर्धारित मंदिर पर पहुंच गए,,,, 

 थोड़ी देर तक खाना पीना के बाद औपचारिक बातचीत हुई वहीं पर प्रेरणा के हाथ में इंगेजमेंट की रिंग पहना दी गई और  घर आ गए,,, लेकिन प्रेरणा के होने वाले पति ने बड़ी होशियारी से उसकी बहन प्रतीक्षा से प्रेरणा का फोन नंबर ले लिया,,,, घर आते ही प्रेरणा की मम्मी ने प्रेरणा की चाची से कहा मुझे तो बड़ा डर लग रहा था लड़के की बहन बड़ी खूबसूरत गोरी चिट्टी थी कहीं मेरी बेटी को मना ना कर दें लेकिन उसी ने प्रेरणा और रवि के रिश्ते पर स्वीकृति की मोहर लगाई थी जो रवि की छोटी बहन है। ससुर जी से कहा था पापा कर लेते हैं। आंखें बहुत खूबसूरत लग रही हैं परफेक्ट जोड़ी रहेगी,,,, 

रवि के पिता और प्रेरणा के पिता दोस्त थे तो उनका तो रोज का मिलना जुलना था और रवि प्रेरणा को देखकर शाम को ट्रेन से दिल्ली के लिए रवाना हों गये शाम को फिर प्रेरणा का फोन बजता है मैं रवि बोल रहा हूं। प्रेरणा बात करने में बहुत ही असहज थी क्योंकि उसने कभी भी कोएड कॉलेज में पढ़ती हुए भी किसी लड़के से बात नहीं की थी  उसने नमस्ते कहा,,, स्वभाव से बड़ी स्पष्ट वादी है। 

हां बोलो उसे समझ में नहीं आ रहा था क्या बोलूं फिर भी उसने पूछ लिया आपको मैं पसंद हूं मेरे रंग से कोई परेशानी तो नहीं,,,,  उधर से रवि का उतर था अगर पसंद नहीं होती तो हां क्यों करता अजीब लड़की है।,,, मैंने तो इसलिए पूछा शायद आप किसी दबाव में ना हो क्योंकि मुझे अपनी जिंदगी में आगे कोई परेशानी नहीं चाहिए कल को आप यह कहो कि मेरी तो शादी जबरदस्ती करा दी गई मुझे तो यह लड़की पसंद ही नहींथी यह मुझे कतई गवारा नहीं,,, 


आप अभी बता सकते हो क्योंकि मेरे ऊपर कोई इस तरह का दबाव नहीं है मैं रिश्ते के लिए मना करने के लिए फ्री हूं। जब बोल तो रहा हूं  पसंद थी तभी तो हां की है।,,,,, फिर प्रेरणा ने पूछा क्या पसंद आया सब कुछ पसंद ही है और तुम्हारे बारे में सारा घर से पता हो ही गया है। कुछ तो पसंद आया होगा,,,, कि बिना देखे ही हां कर दी अब थोड़ी सहेज होती जा रही थी फिर अजीब बात बिना देखे कैसे हां कर दी,,,, फिर प्रेरणा ने कहा मुझे तो नहीं लगा कि आपने मुझे सही से देखा,,,, 

चल जा अपना काम कर मैंने सब देख लिया था तो चलो अब बताओ क्या देखा मैंने तेरी आंखें देखी जो मुझे पसंद आई फिर उसको प्रेरणा को भी लगने लगा शायद इस लड़के ने औपचारिकता पूरी नहीं की है सही से देखा है चलो आगे कोई परेशानी नहीं आएगी,,,,, प्रेरणा को यह बात अच्छे से पता थी जब भी कोई उसके चेहरे की तरफ देखता तो उसकी मोटी बड़ी-बड़ी आंखों की चर्चा जरूर करता जब प्रेरणा और प्रतीक्षा की लड़ाई हो जाती तो  पापा हमेशा कहते देखो कैसे आंखों से ही खाए जा रही है  

 मम्मी कहती उनकी ऐसी बड़ी आंखें हैं। अब बात पक्की हो चुकी थी कि रवि ने प्रेरणा को बड़ी ढंग से देखा था शायद यह बड़ों का लिहाज़ था कोई भी इस बात से अवगत ना हो पाया,,,,, अब फोन का सिलसिला शुरू हो चुका था प्रेरणा का घर का माहौल थोड़ा सा दबा हुआ था इसलिए प्रेरणा को बात करने में बड़ी परेशानी होती बेचारी अपने पापा चाचा जॉइंट फैमिली में सभी से छुपकर बड़ी मुश्किल से बात कर पाती है जबकि घर में सबको पता था जहां रिश्ता किया है उसी लड़के का फोन है फिर भी बड़ों के सामने बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगता प्रेरणा और रवि की सारे दिन सारी रात बात होती रवि प्रेरणा को इतना भी टाइम ना देता कि वह और कोई भी रिश्ता निभा पाए मन ही मन बड़ी उदास रहती कि अगर इस लड़के से कुछ बोल दिया तो रिश्ता टूट जाएगा फिर पापा गुस्सा करेंगे और लड़का भी बुरा नहीं है। 

बात करते करते इतना तो समझ में आ ही गया था कि दिल का साफ है प्रेरणा संवेदनशील लड़की थी उसे ज्यादा बात करना कभी भी अच्छा नहीं लगा यहां पर स्थिति बिल्कुल उल्टी थी भावी पति बहुत बात करने वाला था जब प्रेरणा कॉलेज में पढ़ा रही होती कोई पीरियड लेती तो रवि का फोन बज जाता बड़े-बड़े बच्चों के सामने वह बड़ी ही असहज हो जाती सारे बच्चे बड़े उत्सुकता से उसे देखते कि मैडम को क्या हुआ फिर एक दिन कॉलेज में रवि का फोन बजा वह ऊपर प्रिंसिपल मैम के पास चली गई अब उसको समझ नहीं आ रहा था इसका मैं क्या करूं गला भरा हुआ था

  मैडम ने कहा बेटा कोई बात है क्या लड़का ठीक नहीं है मुझे बताओ मैं भाई साहब से बात करती हूं अभी तो कुछ नहीं बिगड़ा है नहीं तो तेरी सारी जिंदगी बर्बाद हो जाएगी उसने तुमसे कुछ कहा बताओ मुझे तुम खुलकर बता सकती हो उसके पास बताने के लिए तो कुछ था ही नहीं कि कोई गलत बात तो रवि करता ही नहीं था तब मैडम से प्रेरणा ने कहा नहीं मैडम ऐसी बात नहीं है मैंने कभी भी लड़कों से बात नहीं की और इतनी बात तो मैंने कभी भी नहीं की और प्रेरणा ने मन में ही यह निश्चय ले लिया कल से मैं कॉलेज नहीं आऊंगी और उसने रिजाइन दे दिया बच्चों के बोर्ड एग्जाम आने वाले थे 

इसलिए कॉलेज वाले छोड़ने के लिए मना कर रहे थे लेकिन फोन से परेशान होकर  मना कर दिया अब पूरा दिन सिर्फ बात करने के लिए ही था तब रवि सेल्स सेल्स एंड मार्केटिंग में थे और प्रेरणा से बोलते चलो टाइम पास कराओ फिर ना जाने रवि प्रेरणा क्या-क्या बातें करते हैं प्रेरणा की मम्मी जब आधी रात को बाहर आती तो प्रतीक्षा से पूछती प्रेरणा कहां है प्रेरणा इशारा करती मम्मी वह तो बाहर वाले आंगन में बात कर रही है मम्मी कहती कभी भी इस लड़की ने बात नहीं की पता नहीं लोग मेरी बेटी पर क्या-क्या आरोप लगाएंगे अभी भी किसी को पता नहीं था


 कि प्रेरणा की शादी तय हो गई है उन्होंने डर लगा रहता कि हम सोते रहे रात में कहीं कुछ हो ना जाए क्योंकि घर के गेट खुले रहते हैं। प्रेरणा की बुआ उस की मम्मी को बोलती मानो ना मानो यह लड़का मुझे ठीक नहीं लग रहा है कहीं कुछ गड़बड़ी है कोई इतनी बात कैसे कर सकता है। कुछ ना कुछ कहीं ना कहीं ठीक नहीं है। सगाई और शादी के 2 महीने के अंतराल में सारा खाना पीना इस फोन की वजह से छूट गया अपने और रिश्तो को प्रेरणा बिल्कुल भी टाइम ना दे पाए प्रेरणा की बहन प्रतीक्षा कहती दीदी तो शादी से पहले ही इस घर से पराई हो गई 

लेकिन प्रेरणा असहाय थी कर भी क्या सकती थी रिश्ता तो पापा ने किया था अगर कुछ कहती तो पापा कहते इन्हें तो कोई पसंद ही नहीं आता और रवि भी कोई कभी गलत बात नहीं करते लेकिन फोन पर इतनी बात करने से फायदा हमें यह हुआ कि हम शादी से पहले एक दूसरे को बहुत बहुत अच्छी तरह से जान चुके थे अब हम दोस्त बन गए थे दोस्त बनते बनते हमारी अरेंज मैरिज अब लव मैरिज में बदलने वाली थी क्योंकि अब दोनों के बीच गहरा प्रेम जन्म ले चुका था रिश्ता लोकल का होने की वजह से कई लोगों ने शादी तोड़ने का भरसक प्रयास किया 1 दिन रवि का फोन आया रवि प्रेरणा से बोले तेरे घर में कुछ गड़बड़ है क्या माहौल कैसा है प्रेरणा ने कहा माहौल तो ठीक है लेकिन किसी ने कुछ बुराई की है

 जिसको लेकर पापा बहुत परेशान है। प्रेरणा आगे कुछ कह पाती उससे पहले ही रवि ने कहा प्रेरणा अगर हमारी शादी टूटती है क्या तुम मेरे साथ भाग कर शादी करोगी अब    प्रेरणा कुछ कहने की स्थिति में नहीं थी उधर रवि  बड़े परेशान थे कि अगर हमारा रिश्ता टूट गया तो फिर क्या होगा प्रेरणा बताओ क्या सोचा,,, प्रेरणा बड़ी गंभीर स्वभाव की लड़की है उसने कहा भागना तो मेरे लिए असंभव है क्योंकि मैं तो अपने पापा के दिल में रहती हूं। पापा मेरे लिए पहले हैं अगर कुछ होता है तो मैं पापा से बात करूंगी थोड़ा इंतजार करो पहले पता तो चले कि कहां किसने क्या है इतनी जल्दी नहीं घबराना चाहिए बता प्रेरणा फिर क्या करना होगा प्रेरणा कहती पापा को मनाएंगे लेकिन भागना असंभव,,,, मन में सोचा यह सब क्या हो रहा है

 समझ नहीं आ रहा मैंने तो रवि को  मंदिर में अपना पति के रूप में वरण किया है। फिर दोनों दोस्त मिलते हैं बातें करते हैं सारी गलतफहमियां दूर करते हैं फिर प्रेरणा की बड़ी धूमधाम से की जाती है क्योंकि यह शादी प्रेरणा के घर में 50 साल बाद किसी बेटी की शादी थी किसी ने भी कोई कसर बाकी ना छोड़ी जयमाला प्रोग्राम होने के बाद जब प्रेरणा और रवि का मंडप के नीचे फेरेऔर प्यार का गठबंधन हो रहा था तो हमारी बुआ और हमारे रिश्तेदार हमारी बड़ी हंसी कर रहे थे 

इन का फोन कहां है अब इन्हें मंडप के नीचे ही फोन पकड़ा दे तो ये बाते कर ले शायद कुछ बातें रह गई हो हमारी फोन के चर्चे हमारे घर रिश्तेदारी चारों तरफ और रहे थे मंडप के नीचे रवि और प्रेरणा को बिल्कुल भी ऐसा नहीं लग रहा था कि वे एक दूसरे को नहीं जानते या उनकी अरेंज मैरिज हो रही थी क्योंकि अरेंज मैरिज अब लव मैरिज में बदल चुकी थी और प्रेरणा भी बड़ी अस्वस्थ थी जिस घर में जा रही है उस घर में मेरे साथ मेरा मजबूत जीवन साथी खड़ा है अब मुझे किस बात की परेशानी,,, रवि और प्रेरणा की शादी के पूरे 14 साल बीत चुके हैं अभी भी उनमें उतना ही प्रेम है ऐसा लगता है जैसे अभी इन दोनों का विवाह अभी हुआ हो औपचारिकताएं रिश्ते में बिल्कुल भी नहीं है पति-पत्नी का अनौपचारिक रिश्ता बन गया है। प्रेरणा और रवि के रिश्ते में लड़ाई भी खूब होती है लेकिन एक दूसरे को बिना मनाए रह नहीं सकते हैं अब उनके दो बच्चे हैं। दोनों की लड़ाई होती है तब बच्चे कहते हैं देखो कैसे बैठ कर आराम से बातें कर रहे हैं।


 थोड़ी देर पहले तो इतनी जोर जोर से लड़ रहे थे पता नहीं क्या होने वाला है। रवि प्रेरणा को इतना प्रेम करते हैं। कि रवि के पिताजी कहते थे अगर बेटा कभी नाराज हो जाए तो बहू को घर ले आना बेटा अपने आप आ जाएगा और हमारे पिता समान ससुर जी हमें ढेरों आशीर्वाद देते।

 इन दोनों का प्रेम ऐसे ही बना रहे जब भी कोई हमसे मिलता तो यह बात जरूर कहते कि रवि को तो बस प्रेरणा प्रेरणा प्रेरणा की धुन लगी रहती है। उसको तो बस अपनी प्रेरणा चाहिए जब प्रेरणा अपने मायके जाती तो लोग अनायास ही पूछते काय बिटिया दामाद जी अभी भी इतनी बात करते हैं। उनका पूछना होता और  फोन की बेल का बजना होता और रवि का फोन आ जाता तो उनको दिखा कर कहती यह देख लो सबूत आज भी उतना ही प्रेम करते हैं उतना ही फोन करते हैं। 

रवि कहते हैं कि मैं तुझे पत्नी की तरह नहीं रखता हूं तू तो मेरी प्रेमिका है। प्रेरणा कहती आप ना मुझे तू तू करके बुलाते हो तब रवि प्रेरणा से कहते यह तो प्यार वाली भाषा होती है प्रेरणा को तू वाली भाषा बहुत अच्छी लगने लगी है। रवि से प्रेम का गठबंधन होने के बाद प्रेरणा की सारी चिंताएं खत्म हो गई पहले वह सोचती थी पता नहीं किस तरह का जीवनसाथी मिलेगा कहीं वह मेरे पैरों में जंजीर ना डाल दे क्योंकि बेटी के भी मां-बाप के प्रति बहुत से फर्ज होते हैं जिन्हें पूरा करना होता है

 प्रेरणा की बहन अपनी मम्मी से अक्सर कहती थी मम्मी अब मुझे आप दोनों की फिक्र नहीं क्योंकि जीजा जी बहुत अच्छे मिले हैं जो हमेशा एक बेटे की तरह सदा आपके साथ खड़े रहेंगे क्योंकि घर में बेटियां तो पहले से ही थी अब घर में बेटा भी आ गया  प्रेरणा के पति सभी बड़ों का आदर सम्मान करते हैं सभी को गंभीरता से लेते हैं सभी की परेशानी समझते हैं। 

रवि ने प्रेरणा को कभी भी जंजीरों से नहीं बांधा क्योंकि वह उसकी भावनाओं को अच्छे से समझते हैं। अब उनके परिवार में प्रेरणा और रवि के प्रेम की चर्चा एक बार जरूर हो जाती है। रवि की मम्मी कहती है रवि तो तुम्हें अपने प्राणों की जगह रखता है। और प्रेरणा को इस बात पर  हंसी आ जाती है। प्रेरणा और रवि दो बच्चों के साथ अपनी जिंदगी में बहुत खुश हैं। 

और दोनों उन्नति के पथ पर अग्रसर हैं एक दूसरे के मार्गदर्शक बने हुए हैं। प्रेरणा रवि को अक्सर छेड़ देती है किसी गोरी लड़की से शादी कर लेते ज्यादा अच्छा रहता है ।मुझे तो तू ही पसंद थी आज भी प्रेरणा और रवि के प्रेम में उतनी ही ताजगी है जितनी पहले थी उनको लगता ही नहीं है कि उनके गठबंधन को 14 साल गुजर चुके हैं। प्रेरणा और रवि ने एक दूसरे के व्यक्तित्व को बड़े सम्मान से स्वीकार किया है। राधे कृष्ण जैसा है उनका प्रेम का गठबंधन,,,,,,,,, 

मंजू तिवारी गुड़गांव

 

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