ससुराल में थोड़ा सा वक़्त…. – रश्मि प्रकाश : Moral stories in hindi

Moral stories in hindi : कल्याणी जी की बेटी का विवाह बहुत धूमधाम से सम्पन्न हो गया….. सारे रिश्तेदार अब बेटी की विदाई के बाद अपना अपना सामानबाँध कर निकलने की तैयारी करने लगे थे…कल्याणी जी सब को विदाई के सौग़ात रूप में मिठाई और कपड़े दे रही थी…. बेटी नव्या कोवो कुछ पल को भूल आँसू बहाना बंद कर सब कुछ समेटने में लगी पड़ी थी तभी काकी सास ने पूछा,” कल्याणी बहू नव्या के ससुरालवाले हमारी बच्ची का ध्यान तो रखेंगे ना….. कहीं कुंती( एक रिश्तेदार )की बेटी की तरह ससुराल में कड़क सास और ग़ुस्सैल पति मिलगया तो बेचारी हमारी लाडो की ज़िन्दगी ही ना ख़राब हो जाए।”

“ नहीं काकी जी उसके ससुराल वाले ऐसे तो नहीं लगे अब आगे राम जाने …. पर मैं कुंती के जैसा ना करूँगी कि बेटी ससुराल मेंतकलीफ़ में रहे और उसे कहती रहूँ जो है अब वही तेरा घर हैं जैसे भी हो निभाना पड़ेगा ।” कल्याणी जी ने कहा 

काकी सास ने भी कल्याणी को बेटी का ध्यान रखने को कह कर चली गई ।

कल्याणी जी बेटी के ससुराल उसके रिसेप्शन में गई तो उन्हें सब सुलझे हुए लोग लगे …..नव्या को ससुराल के नाम का भय अब भीसता रहा था पर कल्याणी जी बेटी को प्यार से समझा रही थी उन्हें वहाँ सब कुछ ठीक लग रहा था ये देख नव्या के माता-पिता बेटी केसुखी और खुशहाल जीवन का आशीर्वाद देकर वापस आ गए ।

तीन चार दिन बाद कल्याणी जी नव्या का हाल जानने को फ़ोन कर बात करना चाही और फोन लगा दी उधर से नव्या कुछ बोल नहीं रहीथी बस उसके रोने की आवाज़ सुन कल्याणी जी विचलित हो गई ।

“ बेटा तू रो क्यों रही है….. वहाँ तुझे किसी चीज की कमी है क्या.. या फिर दामाद जी या सास ससुर ने कुछ कहा…. तू ऐसे रोती रहेंगीतो हमारी हालत ख़राब हो जाएगी…. चुप क्यों है बोलती क्यों नहीं.?” कल्याणी जी ने नव्या से पूछा 

“ मम्मा मैं कल आपसे बात करती हूँ…।” अपने आँसुओं को पोंछने की कोशिश करती नव्या माँ को इतना कह चुप होने की कोशिश कररही थी पर आँसू बहे ही जा रहे थे 

“ अरे सुन तो …।” कल्याणी कुछ कहती उससे पहले फ़ोन कट गया 

 “ये लड़की भी ना.. भगवान जाने क्यों रोये जा रही है…. हे भगवान मेरी बेटी के ससुराल वाले वैसे नहीं हो जैसा उसने सुन रखा है नहीं तोमेरी फूल सी बच्ची मुरझा जाएगी ।” ये सब कहते कहते कल्याणी जी बीसियों कॉल लगा दी पर नव्या फ़ोन उठा ही नहीं रही थी 

अब तो कल्याणी जी को चिन्ता होने लगी ….अभी सप्ताह भर ही तो हुआ है ससुराल में ….शादी के समय तो चहक रही थी…. एकविदाई के वक़्त रोते रोते बोली थी,“ माँ ससुराल में मायके की तरह सुबह की चाय और चैन से सोने को तो मिलेगा ना…. अनिकेत नेकहा तो है माँ तुम्हें देखना पलकों पर बिठाकर रखेंगी पर दोस्तों ने ससुराल के नाम से ही मुझे इतना  डरा दिया है….कि मेरी हालतख़राब हो रही है ….पता नहीं मेरा क्या होगा…. ।”

तब  कल्याणी जी बोली थी ,“तू बेकार चिन्ता कर रही है..देखना समधन जी तेरा मुझसे भी ज़्यादा ध्यान रखेंगी ।”  नव्या माँ की बातसुन ससुराल आ गई… 

यहाँ पर उसे कुछ समझ ही नहीं आ रहा था वो करें तो क्या करें…..

सोच के विपरीत यहाँ सब कुछ एकदम ही उल्टा हो रहा था ….

“ बहू ये कमरा अनिकेत का है… और अब से तुम्हारा भी…..इस कमरे की साजों सजावट  सब कुछ अनिकेत से तुम्हारी पसंद पूछ कर हीकरवाया है फिर भी कोई बदलाव करवाना हो तो बता देना…. और हाँ ये रही अलमारी की चाभी… अपने गहनों को सँभाल कर रखने कीज़िम्मेदारी भी तुम्हारी….बहुत कुछ सोच समझ कर ही कमरे में तुम्हारे हिसाब से करवाया है यहाँ….ताकि मेरी बहू को यहाँ कोई भीपरेशानी ना हो।” प्यार से सिर पर हाथ फेरते हुए जब सुलोचना जी ने कहा तो नव्या उन्हें आश्चर्य से देखने लगी 

“ लगता है सासु माँ नई बहू को प्रभावित करने की कोशिश कर रही है कि वो  कितनी अच्छी सास है..।” नव्या मन ही मन सोचने लगी 

प्रत्यक्ष में वो बस सिर हिला दी थी ।

नव्या देख रही थी कि सासु माँ जैसे कुँवारी ननद अदिति के लिए सबकुछ कर देती हैं वैसे ही उसके लिए भी कर देती थी…..कई बार तोअपना और उसका खाना परोस कर ले आती और साथ बिठा कर खिलाती ये कहते हुए, कि “ यहाँ तुम थोड़ा क्यों खा रही हो बेटा… येघर भी तुम्हारा ही है.. संकोच नहीं किया करो।”

नव्या इस एक सप्ताह में कल्याणी जी से ज़्यादा प्यार ….सास सुलोचना जी से पाकर निहाल हो गई थी।

उसे मन ही मन ग्लानि होता हाय दोस्तों की बातों में आ कर मैं सास और ससुराल की अफ़वाहों में कैसे बुरा बुरा सोच कर बैठी हुई थी ।

आज वो कल्याणी जी से बात करते हुए बस इसलिए रो रही थी कि आज नव्या की ताई सास अपनी बहू के साथ नव्या को नेग देने आईथी जो उसके ब्याह के समय नहीं आ पाई थी ।

नव्या ताई सास और जेठानी के साथ बैठ कर बड़े आराम से बातें कर रही थी… सुलोचना जी और अदिति उनके लिए चाय नाश्ते काइंतज़ाम करने में व्यस्त थे… 

” लीजिए जीजी ये नमकीन खा कर देखिए नव्या के घर से आए हैं… और ये मिठाई तो वहाँ की स्पेशल है… इसकी माँ ने बना कर कलही भिजवाएँ है।” सुलोचना जी अपनी जेठानी से बोली 

“ अरे क्या रे सुलोचना … अभी भी तेरा चूल्हा चौका से जी ना हटा…. लगी है रसोई में… अब तो अपनी बहू को ये सब करने दें…. तू तोबस मेरी तरह आराम कर ….मुझे देख मैं तो पहले दिन से ही कामों से छुट्टी ले ली…अब जब बहू आ गई है तो हम काहे ना आराम करें ।” ताई सास ने कहा 

“जीजी अभी कितने ही दिन हुए हैं बहू को आए…ससुराल की ज़िम्मेदारियों से कौन भाग सका है जो ये भागेंगी… बस अभी इसे मायके सेससुराल तक की सीढ़ियों की पहचान तो करवा दूँ…. हम तो ससुराल आए तो सीधा पहला कदम छत की ओर बढ़ा दिया…एक एकसीढ़ी चढ़ कर उपर आने पर कदम सँभाल कर रखा जाता है पर एक बार की छलांग में गिरने का डर लगा रहता है जो मैं अपनी फूल सीनाज़ुक बेटी समान बहू को नहीं कह सकती…अगली बार जब आप आओगी ना उसकी जगह मैं बैठूँगी और वो आपको नाश्ताकरवाएगी…. बस उसे अभी थोड़ा सा वक्त दीजिए ।” सुलोचना जी नव्या की ओर प्यार से देखते हुए बोली

“ ज़्यादा सिर चढ़ा रही है सुलोचना देखना बहुत पछताएँगी ।” जाते जाते ये तीखे बाण ताई सास सुलोचना जी से कह गई जिसे दरवाज़ेकी ओट से नव्या ने सुन लिया था तभी सासु माँ सुलोचना जी की आवाज़ सुनाई दी 

“ जीजी मेरा मानना है ताली दोनों हाथों से बजती है… मैं अगर बहू को प्यार दूँगी तो वो भी माना पूरा नहीं पर थोड़ा सम्मान और प्यार बहूभी देंगी ऐसी उम्मीद करती हूँ ….फिर ये तो सब उपर वाले पर है जो हमारी क़िस्मत में होगा वो होगा ।” सुलोचना जी कह जेठानी कोविदा कर घर आ गई 

“ बहू जीजी की बात को दिल पर मत लेना….एक बात सदा याद रखना तुम्हारे साथ जो मेरा रिश्ता या अपनापन है वो जीजी से नहीं होसकता…..वैसे भी लोग आजकल आग लगाने का काम करते हैं बुझाने का नहीं…. मुझे तुम पर भरोसा है तो तुम्हें भी मुझ पर करनाहोगा….सुलोचना जी जैसे तुम्हारी बुराई नहीं सुन सकती है…ना तुम उनकी बस वही रिश्ता हमारे बीच बना कर चलना है ।” बहू कीआँखों में जेठानी के बोल पानी की तरह बहते देख उसे प्यार से गले लगाते सुलोचना जी ने कहा

इन्हीं सबके बीच कल्याणी जी का फ़ोन आ गया था और नव्या की भराई सी आवाज़ सुन वो घबरा गई थी 

कल्याणी जी बार बार फ़ोन कर रही थी बेटी का रोना सुन वो परेशान हो रही थी पर नव्या बात करने की स्थिति में नहीं थी तो वो फ़ोनउठा ही नहीं रही थी….

नव्या जब संयत हो गई तो वो माँ को फ़ोन लगा कर बोली,“ माँ तुम मेरे रोने का ग़लत मतलब निकाल बैठी…. तुम्हारी बेटी को किसीचीज़ की कोई कमी नहीं है…. जो प्यार मायके में मिल रहा था यहाँ उससे दुगुना मिल रहा है… है ना अच्छी बात… पता आज क्याहुआ…..( कहकर नव्या कल्याणी जी को ताई सास और सासु माँ की बीच की सारी बात बता दी) माँ …मम्मी जी भी तुम्हारी तरह हीप्यार करती है…. मैं यहाँ खुश हूँ माँ तुम चिन्ता मत करना।”

“ हाँ बेटा बस तू ऐसे ही खुश रहना… माता रानी की कृपा तुम पर सदा बनी रहे ।” कल्याणी जी बेटी की ख़ुशी देख खुद भी खुश होतीहुई बोली 

दोस्तों ससुराल सास ये ऐसे शब्द हैं जो हमेशा ही विचलित करते हैं…. ज़रूरी नहीं सब ससुराल,सास या ससुराल वाले बुरे ही होते हो…ये तो आपके संस्कार है कि आप अपने बच्चों को क्या सीखा कर बड़ा करते हैं…. और सच तो ये है हम हालत देख कर बहुत कुछ सोचनेपर विवश हो जाते है….. जिनके ससुराल वाले उन्हें परेशान करते हैं वो कभी अच्छे ससुराल की कल्पना कर ही नहीं सकते ना अपनेबच्चों को वो सीखा सकते हैं… जरूरी तो नहीं जो हमने झेला हो वो हम अपनी आगे की पीढ़ी को भी झेलने को मजबूर करें…. गलतबातें सदैव ग़लत दिशा ही दिखाते हैं… कोशिश करें अच्छा बनने की ताक़ि आपकी आने वाली पीढ़ी आगे भी आपका अनुसरण कर एकसभ्य और अच्छा परिवार दे सकें।

अच्छी माँ ही सास बनती हैं और अच्छी बेटी ही बहू फिर ससुराल और सास का तमग़ा लगते परिवर्तन क्यों आ जाता है….. यहाँ पर बसएक ही बात का ध्यान रखना चाहिए जो पौधा आप दूसरे आँगन से ला रहे हैं उसे जरा अपने घर की मिट्टी में लगने तो दीजिए…हवा पानीखाद समझने तो दीजिए…. फिर देखिए शायद ससुराल सास बहू को लेकर ये समस्या थोड़ी कम तो ज़रूर हो सकती है ।( ये मेरे अपनेविचार है आप सहमत ना हो तो कोई बात नहीं 😊) 

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धन्यवाद 

रश्मि प्रकाश 

मौलिक रचना ©️®️

#ससुराल

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