ससुराल – नताशा हर्ष गुरनानी : Moral stories in hindi

Moral stories in hindi : शीला की जी एक ही ननद थी सुमन, जिसे उन्होंने ननद कम बेटी की तरह ज्यादा पाला था।

क्योंकि शीला जी जब शादी करके आई तब सुमन स्कूल में पढ़ती थी और जल्दी ही उनके सास ससुर इस दुनियां को अलविदा कर गए।

तो शीला जी ने ननद सुमन को बोझ न समझकर बेटी समझा और बहुत प्यार से उसे पढ़ा, लिखा कर काबिल बनाया।

आज वो एक सफल बिजनेस वूमेन है और एक बेकरी शॉप की मालकिन है।

उसी दौरान उसके रिश्ते की बाते चलने लगी, बहुत अच्छे घर से उसके लिए रिश्ता भी आया और बात बन गई तो सुमन का रोका भी हो गया।

घर में सब खुश थे कि इतना अच्छा परिवार मिला है। लड़का बैंक में काम करता है और उसे सुमन के बेकरी शॉप से भी कोई परेशानी नही है।

देखते देखते शादी के दिन पास आ गए

सारे प्रोग्राम साथ में थे

सोमवार को सगाई

मंगलवार को हल्दी मेंहदी

बुधवार को संगीत

और गुरुवार को शादी  

इस तरह प्रोग्राम बना

शीला जी दिनभर लगी रहती हर काम  को उत्तम करने में।

आखिर आ गया सगाई का दिन सुमन ने अपनी ओर अपने होने वाले पति प्रेम की पसंद का ब्लैक करेंट केक बनवाया तीन मंजिला।

हाल में सभी तैयार होकर आ गए सगाई का कार्यक्रम चालू हुआ और केक कट करने की बारी आई तो, सुमन की बेकरी में काम करने वाले दो कर्मचारी वो केक लेके जैसे ही हाल में आए उनसे केक गिर गया।

सबकी शक्ले उतर गई सुमन की आंखे भर आई पर इतने में प्रेम आपनी कुर्सी से नीचे उतरा जहां केक गिरा वहां पहुंचकर चम्मच से केक के ऊपरी हिस्से से केक लेकर खाने लगा और सुमन की ओर हाथ से इशारा करके कि आओ तुम भी खाओ बुलाने लगा।

थोड़ी देर पहले जो गमगीन और डरावना माहौल था अब वो खुशहाल माहौल बन गया और सब ठहाके मार कर हसने लगे और केक को खाने लगे।

फिर हल्दी  रस्म में खाना सही समय सर्व नही हुआ तो प्रेम के पापा ने सब बात संभाल ली।

तब शीला जी इशारों में उनका अभिवादन किया तो प्रेम के पापा ने भी इशारों में ही कहा अब हम सब एक है।

अब शीला पूरी तरह आश्वत थी कि मेरी सुमन को ससुराल नही मायके जैसा ही प्यार मिलेगा।

और ईश्वर से प्रार्थना करने लगी कि भगवान मेरी सुमन को हमेशा खुश रखना और संसार की हर लड़की को इतना सुलझा ससुराल मिले।

नताशा हर्ष गुरनानी

भोपाल

 

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