मेरी ससुराल – कविता भड़ाना: Moral stories in hindi

Moral stories in hindi : मुझे तो शुरू से ही “ससुराल” शब्द बहुत लुभाता था, कॉलेज में आई तो मेरी सारी सहेलियां भविष्य में क्या करना है, विषय पर बात करती और मैं तो बस एक ही सपना देखती की जल्दी से ग्रेजुएशन पूरी करके शादी करू और ससुराल पहुंच जाऊं। पढ़कर आप सभी को थोड़ा अजीब लग रहा होगा पर ये बिलकुल सच है, मुझे सचमुच शादी करने और ससुराल जानें का बड़ा शौक था।

ग्रेजुएशन के फाइनल ईयर में ही मेरी चट मंगनी और पट शादी भी हो गई, ससुराल में सास ससुर के अलावा एक बड़ी शादीशुदा ननंद फिर मेरे पतिदेव और छोटा देवर ही थे, ससुर जी शहर के जाने माने वकील थे और मेरे पतिदेव भी साथ ही बैठते, देवर अभी कॉलेज में ही थे तो कुल मिलाकर एक सपनो सी ससुराल मिली थी मुझे।

ससुराल में पहला कदम रखते ही दरवाजे पर जिस प्यार से मेरी सास और नन्द ने स्वागत किया, मन खुश हों गया, थोड़ा बहुत जो ससुराल के नाम पर डर था वो भी निकल गया। शादी के बाद रिसेप्शन में एक हफ्ते का समय था और अगले दिन बेहद सुखद अनुभव हुआ, जब मेरी ननद ने कहा की भाभी पैकिंग कराने आई हूं, आपको कल सुबह शिमला के लिए निकलना है, मारे खुशी के मैं तो बौरा सी गई “हनीमून” शब्द सिर्फ फिल्मों में ही सुना था, यहां तो जानें का मौका मिल रहा है,

मैं अपने खानदान की पहली लड़की थी जो हनीमून पर गई थी। जब मैं अपने ससुराल की इतनी तारीफ करती तो सब कहते बेटा अभी तो नई नई शादी है आगे पता चलेगा तुझे। खैर मैं तो बहुत खुश थी इतनी प्यारी ससुराल मिलने पर और मेरी सास ने तो मां से बढ़कर मुझे प्यार और साथ दिया, मुझे खाना बनाना सिखाया, आगे पढ़ने के लिए बोला, साथ ही ससुराल में चली आ रही पर्दा प्रथा से भी मुक्त कर दिया और कहा बेटा मर्यादा और व्यवहार का ध्यान रखना बाकी तुम अपनी मर्जी से जैसे चाहो वैसे रहने के लिए आजाद हो।

समय की मांग के अनुसार उन्होंने ही जोर देकर मुझे गाड़ी सीखने के लिए प्रेरित किया और एक महत्वपूर्ण बात जो मेरे दिल में उनके लिए विशेष स्थान बनाती है, वो ये की मेरी पहली गर्भावस्था के कठिन दिनों में मेरी सास ने मेरे पैर तक दबाए थे और खाने पीने से लेकर मेरे आराम का विशेष ध्यान रखा जो मेरी बेटी के जन्म के बाद तक कायम रहा।

बच्चे के पालन पोषण में भी पूरा साथ दिया। ससुर जी तो बिलकुल देवता समान है, ननंद ने एक सहेली और बहन जैसा प्यार दिया और देवर वो तो बिलकुल छोटा भाई जैसा मिला। आज मेरी शादी को 16 साल हो चुके है पर मुझे ससुराल की बुराई करने का एक भी वाक्या याद नहीं आ रहा, पतिदेव से तो पहले दिन से ही दोस्ती का रिश्ता रहा जो आज भी कायम है।

अब मेरे देवर की शादी भी हों चुकी है और मेरी पूरी सोसाइटी और रिश्तेदारों के लिए हमारा परिवार एक अजूबे जैसा है क्योंकि हम एक साथ, एक ही छत के नीचे संयुक्त परिवार में बेहद प्यार से रहते है। इस सब का श्रेय हमारी प्यारी सासू मां को जाता है। अपना अनुभव, काल्पनिक कहानी लिखने से बेहतर लगा तो आप सब के साथ सांझा कर लिया, उम्मीद है आप सब को मेरी प्यारी सी ससुराल जरूर पसंद आएगी। धन्यवाद 🙏

मौलिक, स्वरचित सत्य संस्मरण

#ससुराल

कविता भड़ाना

 

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