सपना – रीता मिश्रा तिवारी

मम्मी मम्मी चिल्लाती हुई सना घर में प्रवेश करती है।

अरे बेटा तू चिल्ला क्यों रही है? और किसके साथ आई है? मम्मी ने कहा।

मम्मी ! वो छोड़ कर चले गए , शाम को आएंगे लेने।

सुनो न मम्मी ! दो महीने हो गए , और वो सपना नहीं आया है, मैं बहुत खुश हूं मम्मी।

अ.. ह ! बेचैन करने वाली उस सपने से पीछा छुटा।

“अच्छा है, पर ऐसा क्या हुआ जो इसके सपने आने बंद हो गए… मम्मी मन में कहती है।

पता है मम्मी ! वो जगह मेरे ससुराल में ही है।

दस साल की उम्र से ही सना को एक सपना आता था।दो तीन महीने में एक दो बार आ ही जाता था, पर बचपन में उसे कुछ समझ नहीं आता था।

जैसे जैसे बड़ी होती गई लगभग हर दो दिन बाद या रोज ही  आने लगे । वो परेशान हो कर रोने लगती थी।

“मम्मी ने बहुत समझाया बेटा! सपना सब कोई देखता है। सपने आते ही रहते हैं हर किसी को कभी कभी आता है , किसी को रोज , इसमें घबराने , परेशान होने या डरने की कोई बात नही है बेटा। 

बेटी को तो बहला दिया पर खुद ही सोचती रही कोई तो बात है इस सपने में जो….

अरे मम्मी कैसे परेशान ना होऊं बचपन से  एक ही सपना देख रही हूं,कितना भी कोशिश करती हूं की उस अंधेरी गली जैसा रास्ता के उस पार क्या है? पर नही जा पाती। फिर खुद को पानी के बीच घिरे पाती हूं, मुझे डर बहुत लगता है। मम्मी ! कुछ करो ।

“शोमाजी ने कह तो दिया बेटी से की सपना है पर सोचने

पर मजबूर हो जाती हैं। सच ही तो कह रही है, कुछ तो बात है।

पंडितजी से मिलकर कुंडली बनवा लिया शोमाजी ने,

पंडितजी ने कहा सब कुछ ठीक है।

आप बिटिया की शादी करवा दीजिए , कह कर पंडितजी चले गए।

कुछ महीनों बाद सना की शादी एक अच्छे परिवार में

हो गई। लड़का प्रोफेसर था और बहुत ही अच्छा और

संस्कारी ।

सबसे बड़ी बात उनके घर शिव मंदिर  था।

“और आज दो महीने बाद बेटी घर आई है और बहुत

खुशी से चहक रही है।

सना चाय लेकर आती हैं.. मम्मी !

आवाज से शोमाजी को ध्यान आता है कि बेटी कुछ कह रही थी। हां तो बता क्या कह रही थी।

मम्मी वो सपने वाली जगह मेरे ससुराल में ही है।

क्या मतलब! कह क्या रही है , कुछ समझ नहीं आया कौन सी जगह ?

वही अंधेरी गली पानी से घिरे हुए खुद को देखती थी

न सपने में , वही मम्मी।

“अच्छा ! वो कैसे ..

“मेरे घर में शिव मंदिर है न ,और वो गली नहीं है मंदिर जाने का रास्ता है।

और घर के नजदीक ही गंगाजी भी है मम्मी।

अब समझी मम्मी इसलिए वो सपने आते थे मुझे ।

दरअसल शिवजी सपने में वो सारे सीन दिखाकर हमें बताना चाह रहे थे , की मेरा कोई न कोई कनेक्शन है उस घर से,और हमलोग.. समझ ही नहीं पाए और परेशान होते रहे।

“” हूं इसलिए तो तू इतनी बड़ी शिवभक्त है।

“हां मम्मी तभी तो मिला है मुझे शिवजी और

शिव के रूप में साक्षात शिवेंद्र।

दोनो मां बेटी गले लग जाती है।

रीता मिश्रा तिवारी

स्वरचित

१६.५.२०२२

 

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