सबक – डॉ संगीता अग्रवाल : Moral stories in hindi

हुर्रे!हम पिकनिक पर जा रहे हैं..खुशी से उछलते हुए शिवम ने कहा तो उसकी बहन रिदिमा चौंक गई।

“क्या सच में?”पापा तो कह रहे थे कि ये उनकी ऑफिस ट्रिप है वो हमें साथ नहीं ले जा सकते?

नहीं..दीदी!मैंने रिक्वेस्ट की तो पापा को मानना पड़ा।शिवम खुश होता बोला।

चल पगले!ऐसे भी कहीं होता है, मै मम्मी से पूछती हूं।

 उसकी मम्मी श्रेया हंसी रिदिमा की बात सुनकर,शिब्बू छोटा है न ,उसका दिल रखने को पापा ने कह दिया होगा बेटा!इस बार नहीं पर हम जल्दी ही सब मिलकर पिकनिक पर जायेंगे।

रिदिमा हंस दी मम्मी की बात जानकर और चिढ़ाने लगी थी शिब्बु को…बुद्धु बना दिया तुझे पापा ने…हम कहीं नहीं जा रहे।

शिवम को गुस्सा आ गया,वो पैर पटकता अपने पापा को लगा फोन करने।

विशाल कोई मीटिंग में थे उस वक्त ऑफिस में।श्रेया की कॉल थी पर उसने काट दी।दो बार कॉल काटने के बाद भी फोन कॉल आ रही थी इसलिए उसने फोन स्विच ऑफ कर दिया।

ये श्रेया भी बिल्कुल अक्ल से पैदल है क्या?समझ नहीं आता कोई जरूरी काम में बिजी हो सकता है,ऑफिस मै उसकी कॉल रिसीव करने ही तो नहीं आता।वो बड़बड़ाया।

कोई जरूरी बात न हो,उसके साथ बैठा उसका दोस्त रमन धीरे से फुसफुसाया।

यहां मैंने कॉल ली ,उधर ये खडूस बॉस मुझे मीमो पकड़ा देगा,विशाल हल्के से बोला तो रमन के होंठों पर हंसी तैर गई।

शाम को घर पहुंचते ही सबसे पहले,विशाल ने श्रेताकी क्लास ली।

यार!अगर एक कॉल न उठाई जाए तो इसका मतलब यही होता है न कि बंदा बिजी है,बेवकूफों की तरह बार बार कॉल क्यों कर रही थीं?कोई लॉटरी लगी है तुम्हारी?वो श्रेया से बोला।

पर मैंने तो  तुम्हें फोन किया ही नहीं?वो अज्ञानता दिखाते बोली।

आहा…फोन चैक करो अपना…देखो जरा…तुम्हारा फोन तुम्हें नहीं पता कौन इस्तेमाल करता है?उसने गुस्से से कहा।

जब कह रही हूं तो विश्वास नहीं मुझ पर?श्रेया को भी गुस्सा आ रहा था,दिन भर की थकी अभी ऑफिस से लौटी थी और विशाल उसे कटघरे में खड़ा करने लगा था।

उसने जैसे ही फोन चैक किया ,उसमे विशाल को कई कॉल्स की गई नजर आई…एकदम चौंक के उसने बच्चों को देखा,शिब्भू के चेहरे पर घबराहट थी और उसकी आंखें नीची थी।

ओह!तो ये कारिस्तानी इसकी है? वो बड़बड़ाई।

लेकिन उसे विशाल पर फिर भी गुस्सा आया,अगर कॉल्स हुई थीं तो तुमने रिस्पॉन्स क्या दिया?क्या तुम्हारी ड्यूटी नहीं है पलट के कॉल बैक करने की? वो बोली।

यानि तुमने कुबूल लिया कि कॉल्स तुमने ही की थीं…विशाल तेज आवाज में ताना मारता बोला।

जी नहीं…मैंने ऐसा कोई डिक्लेरेशन नहीं किया है,क्योंकि कॉल मैंने नहीं तुम्हारे साहबजादे ने की थीं और वो भी मुझसे पूछे बिना।

उन दोनो की बहस बढ़ती जा रही थी और दोनो बच्चे सहम कर उन्हें विवाद करते,लड़ते हुए देख रहे थे।

ये बहस करना श्रेया और विशाल की जिंदगी का एक हिस्सा  सा बनता जा रहा था,दोनो काम करते,थक जाते और छोटी छोटी बातों पर अक्सर उलझ बैठते,वो दोनो तो रात तक नॉर्मल हो जाते पर बच्चों के कोमल मन पर इस सबका बहुत बुरा असर पड़ रहा था,विशेषकर शिवम के दिमाग पर।

उसके स्कूल में,उसका एक साथी यश था जो उसका बहुत पक्का दोस्त था।वो दोनो साथ साथ खेलते,खाना खाते और पढ़ते।अचानक कुछ दिनों से यश उदास रहने लगा था।

शिवम ने पूछा था उससे,तू क्यों चुप चुप है?कोई बात हुई क्या?

बहुत पूछने पर उसने बताया…”मेरे मम्मी पापा का तलाक हो रहा है।”

“ये तलाक क्या होता है?”शिवम ने घबरा के पूछा।

अब मै मम्मी संग नाना नानी के घर रहूंगा और पापा दूसरे घर में रहेंगे…मम्मी ने यही बताया बस। वो भोलेपन से बोला।

“हमेशा के लिए?”शिवम चौंका,”फिर तू कभी अपने पापा पास नहीं लौटेगा?”

पता नहीं..वो मायूसी से बोला।

शिवम बहुत डर गया था,लेकिन ये तलाक क्यों होता है?उसने आखिरी जिज्ञासा  यश के सामने रखी।

शायद मेरे मम्मी पापा हर समय लड़ते रहते थे तो एक दिन मम्मी कह रही थीं कि मै तुमसे तलाक ले लूंगी…यश मासूमियत से बोला।

अच्छा!!लड़ाई से तलाक हो जाता है?शिवम का मुंह भय से पीला पड़ गया।उसके मम्मी पापा भी तो हर वक्त लड़ते हैं।

अगले दिन,सुबह फिर उसके मम्मी पापा भिड गए थे आपस में।

श्रेया!मेरे मौजे नहीं मिल रहे,जल्दी से ले कर आओ…उसके पापा चीखे।

तुम्हारी मेज पर ही रखे होंगे,ले लो अपने आप, मैं रसोई में व्यस्त हूं। वो बोली।

ओह!मेरी रेड फाइल बिस्तर पर थी,वो कहां गई?आज तुम्हारी वजह से लेट हो जाऊंगा मैं,विशाल गुस्से से बोला।

मेरी वजह से?दिमाग खराब है,अपनी चीजे जगह पर तुम ना रखो और लेट मेरी वजह से हो रहे हो,वाह! वो भी वहीं से चीखी।

जितनी जुबान चला रही हो,हाथ चला लो तो सब काम हो जाए…विशाल बोला।

शिवम सहम गया और दौड़कर पापा की फाइल उन्हें पकड़ा दी,ये वाली पापा?

हां!मेरा राजा बेटा!अपनी मां से कितना अच्छा है ये…उसे पुचकारते वो बोला।

उस दिन तो बात टल गई और उनकी बहस खत्म हो गई लेकिन आए दिन उनकी लड़ाइयों से शिवम घबराने लगा था।

एक दिन,गांव से विशाल की मां उनके साथ कुछ दिन रहने चली आई।उनकी अनुभवी आंखों से शिवम का डर छुपा न रह सका,जल्दी ही उन्हें इसकी वजह भी समझ आ गई थी।

समय देखकर,एक दिन उन्होंने विशाल को आड़े हाथों लिया।

विशाल!शिवम आजकल स्कूल में अच्छा रिजल्ट नहीं ला रहा, तूने नोटिस किया क्या?

हां मां!श्रेया बता तो रही थी,इसका ट्यूशन लगवाना है जल्दी, जरा हाथ तंग है आजकल,जल्द कुछ करता हूं। वो बोला।

कोई और कारण भी तो हो सकता है उसकी पूअर परफॉर्मेंस का?मां ने विशाल की आंखों में झांकते हुए कहा।

क्या कहना चाह रही हैं आप?साफ साफ बताएं। विशाल बोला।

तुझे याद है,बचपन में,जब तेरे पिताजी किसी बात पर मुझे डांट देते थे तो तू कितना अपसेट हो जाया करता था,कई बार,रात में सोते हुए बिस्तर गीला भी कर देता था।

ये सब मुझे,आज क्यों याद दिला रही हैं आप? विशाल झुंझलाया।मुझ पर अभी वक्त नहीं है।

ये वक्त ही तो निकालना है बेटा तुझे अपनी जिंदगी में…तू नौकरी कर रहा है,श्रेया भी करती है,किसलिए?जाहिर है बच्चों के लिए पर बच्चे ही इग्नोर्ड हैं फिर क्या होगा?शिवम हर वक्त सहमा हुआ रहता है जैसे तू रहता था जब छोटा था।

लेकिन आप तो जॉब भी नहीं करती थीं फिर भी मुझे देख नहीं पाई,इसका मतलब  श्रेया के जॉब से तो इसका कोई मतलब नहीं?

उस समय तुम्हारी दादी जी थीं और उनके सामने तुम्हारे पापा मुंह नहीं खोल सकते थे,वो जो भी कहती,पत्थर की लकीर होता था पर तुम्हारे सामने तो ऐसा कोई बंधन नहीं फिर भी तुम वो ही सब दोहरा रहे हो जिसे अपने बचपन में सही नहीं समझते थे।

तुमने आज तक कोई सबक नहीं लिया अपने अतीत से?याद करो कि तुम अपने पापा से डर की वजह से बात नहीं करते थे,हकलाने लगे थे बेवजह,तुम्हें उन पर और अपनी दादी पर बहुत गुस्सा आता था कि वो तुम्हारी मां यानि मुझे इतना क्यों सताते हैं और आज खुद अपनी पत्नी से दुर्व्यवहार करते हो अपने ही बच्चों के सामने?

विशाल सोच में पड़ गया था,कह तो मां ठीक ही रही हैं।जिस बात को मैं खुद पसंद नहीं करता था कभी ,आज खुद वो ही कर रहा हूं।ये समय बहुत गतिमान होता है,वही परिस्थितियां बार बार हमारे सामने आती हैं,हमें पुराने सबक और स्व विवेक से उन्हें सही करना पड़ता है जो मैं नहीं कर पा रहा हूं,शायद इसी वजह से मेरा बच्चा पढ़ाई में पिछड़ रहा है।उसका मानसिक विकास भी अवरुद्ध हो रहा है इसके कारण।

मां!मुझे माफ कर दें,आपने बहुत अच्छा सबक सिखाया है मुझे,आगे से आपको शिकायत का मौका नहीं दूंगा।

विशाल ने कहा तो उसकी मां मुस्कराने लगी और बोली,मुझे तुमसे यही उम्मीद थी।

डॉक्टर संगीता अग्रवाल

वैशाली

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