रोली-मौली – गुरविंदर टूटेजा

   गुड मॉर्निंग डॉ…!

गुड मॉर्निंग…!!

   सिस्टर मैरी…डॉ० मौली कितनी अच्छी हैं ना सबसे अच्छे से बात करती हैं… मिलती है..!

  हाँ सिस्टर पर सर (डॉ०कुनाल) के साथ जो हादसा हुआ उनके पैर कट गयें पर मौली मैम ने उनका साथ नहीं छोड़ा अब वो सर व हाॅस्पिटल दोनों की जिम्मेदारी कितनी हिम्मत व अच्छे से निभा रही है…!!!!

    इतने में शोर मच गया कि कोई नवजात बच्ची को झाड़ियों में फैंक गया…बच्ची की स्थिति बहुत नाज़ुक है   कुत्तों ने उसे नोंच दिया था….उसें इमरजेंसी में एडमिट कर लिया गया..मौली मैम आ गयी और जल्दी ही   इलाज शुरू कर दिया गया और उसे एन.आई.सी.यू में शिफ्ट कर दिया गया सबका मन बहुत दु:खी था इतनी प्यारी व नाज़ुक बच्ची को कोई कैसे झाड़ियों में फैंक सकता है..??

   पुलिस भी आ गयी थी पूछताछ के बाद उसका फोटो खिंचकर पेपर में दे दिया था… मैम ने उन्हें विश्वास दिलाया कि यहाँ बच्ची सुरक्षित रहेगी व उसका पूरा ख़्याल भी रखा जायेगा…!!!!

    सब मिलकर बच्ची का ख़्याल रख रहे थे धीरे-धीरे ठीक हो गयी थी…डॉ० मौली व सभी का बच्ची से एक प्यारा सा बन्धन बंध गया था…!!!!

   आज अचानक इंस्पैक्टर को देख सभी को बच्ची से अलग होने का डर सताने लगा था…डॉ० मौली के आफिस में बहुत देर तक बात होती रही…इतने दिन में कोई नहीं आया उसे लेने तो मैं बच्ची को लीगली एडाप्ट करना चाहती हूँ…. वैसे भी मैं बच्चा गोद लेने की सोच रही थी तो वही बच्ची क्यूँ नहीं…??

   इन्स्पेक्टर ने कहा अगर आप दोनों की सहमति हो तो मैं पेपर्स बनवाकर जो भी प्रोसेस है वो कर लेगें दस-पंद्रह दिन लग जायेगें इस काम में..फिर मिलने का बोल वो वहाँ से चले गयें…!!!!



    उनके जाते ही सभी डॉ० के आफिस में घुस गयें…ये जानने कि क्या हुआ…क्योंकि कोई भी बच्ची को जाने नहीं देना चाहता था… जब मैम ने बताया कि मैंने व डॉ० कुनाल ने  बच्ची को एडाप्ट करने का फैसला लिया हैं…सभी खुश हो गयें…!!!!

   आज डॉ० के घर चहल-पहल थी क्योंकी बच्ची का नामकरण था…और नाम रखा था…”रोली”…बहुत प्यारा नाम था..!!!!

   फिर भी एक ने पूछा…मैम रोली नाम क्यूँ..??

  तो उसने दो कारण बताये..पहला कि उसके मां-बाप ने उसे रूलने के लिये छोड़ दिया था पर अब ये सबकी शान बनेगी रोली बनकर मस्तक पर चमकेगी….दूसरा कारण है कि मेरा नाम मौली है ये मेरी प्यारी बिटिया रोली बनेगी…जैसे मौली-रोली के बिना पूजा अधूरी होती है वैसे ही हम दोनो का भी बंधन बंध गया है हम दोनो भी रोली बिन अधूरें होगें…सभी तारीफ के साथ रोली की किस्मत पर खुश हो रहें थे…!!!!

   समय बीतता गया रोली पच्चीस साल की हो गयी व डॉ० 

भी बन गयी और आज उसकों डिग्री मिल रही है तो जब कुछ बोलने को कहा गया तो उसने अपने पापा-मम्मी का शुक्रिया अदा किया और बोला कि आज वो जो भी है उन दोनों की वजह से है…दोनों के जब पैर छुए तो वहाँ हर किसी की आँखों में पानी था…!!!!

    मौली ने उठकर उसे गले से लगा लिया और बोली…जब मैंने तुम्हें गोद लिया था तो एक ही बात सोची थी मेरी गुड़िया….

“मैं मौली हूँ…

तुम्हें अटूट बन्धन से बाँध लूँगी…!!!!

तुम्हें रोली बनाकर…

अपने मस्तक पर सदा के लिये सजा लूँगी…!!!!”

   तुमने मेरा हर सपना आज पूरा कर दिया….दोनो गले लगकर रो रही थी…ये खुशी के आँसू थे…!!!!

#बन्धन

 

गुरविंदर टूटेजा

उज्जैन (म.प्र.)

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