रिश्तों की गर्माहट! – पूर्णिमा सोनी   : Moral stories in hindi

Moral stories in hindi  : किट्टू अभी किचन में काम समेट कर बाहर निकलने  ही वाली थी कि डोर बेल बजी

कब से रोहन कह रहे हैं कि चाय पिला दो.. हालांकि वो किट्टू को किचन में काम करते देख कर चुप हो गए.. पता है फुर्सत होते ही चाय बना कर लाएगी.. रजाई में  बैठ कर लैपटॉप पर आफिस का काम कर रहे हैं.. कब से.. काम है कि ख़त्म होने का नाम ही नहीं लेता।पीठ भी अकड़ सी गई है.. मगर रजाई से बाहर निकलने की हिम्मत ही नहीं पड़ती।

अब ये डोरबेल बजी

किट्टू की ही फ्रेंड है… , नमिता जी,किट्टू अपनी व्यस्तता के बीच यह भी करती रहती है।

मतलब कुंडली देखना,, ज्योतिष शास्त्र का अध्ययन काम आता है,.. किसी की समस्या,सुनती है, ग्रहों के अनुसार समाधान बताती है,..तो कोई ना कोई आता ही रहता है।

अभी कुंडली पर चर्चा शुरू हो जाएगी तो फिर से .. व्यस्त रहेगी, थोड़े समय के लिए।

किट्टू अपनी सहेली के साथ अभी अपनी डायरी पर झुक कर बातें कर ही रही थी कि .. रोहन हाजिर हो गए.. मुस्कुराते हुए..  गर्मागर्म,अदरक इलायची वाली चाय लेकर।

नमिता जी  का आश्चर्य से मुंह खुला का खुला रह गया।

अरे भाई साहब.. आप क्यों परेशान हुए?…( मतलब आप कैसे चाय बना ले आए..?)

रोहन ने हंसते हुए कहा.. किट्टू अपने काम में लगी है.. बीच में उठने से उसका काम भी डिस्टर्ब होता.. फिर मेरे मित्रों के आने पर मुझे तो उठकर किचन में नहीं जाना पड़ता.. मैं आफिशियल मैटर डिस्कस करूं या पर्सनल.. मैं पूरी तन्मयता से अपना काम करता हूं.. तो यही उसके साथ भी होना चाहिए.. मैंने चाय बना कर सर्व कर दिया तो क्या हुआ.. मैं बहुत देर से रजाई में बैठा अपना काम कर रहा था.. हाथ पैर अकड़ गए थे.. बस थोड़ा स्ट्रेचिंग करने का मन हो ही रहा था.. चाय पीकर देखिए.. इतनी बुरी चाय  भी नहीं बनाता

रोहन कह कर चाय की ट्रे रख कर अंदर चला गया !

नमिता जी, आश्चर्य और प्रशंसा के भाव के साथ चाय पी रही थीं।

अफ़सोस नाक, मगर उनका अपने जीवन में अनुभव कुछ अच्छा नहीं था। दिन भर घर गृहस्थी संभालने के बाद भी,पति और सास से हमेशा सुनना कि करती ही क्या हो सारे दिन?

कोई ऐसा इंसान भी हो सकता है जो  अपनी पत्नी के प्रति यह भावना रखे कि.. बहुत देर से इतना कुछ तो कर रही हो.. चलो , अभी व्यस्त हो.. चलो मेरे हाथ की चाय पी लो!

सच! पति -पत्नी में एक दूसरे के प्रति इतनी समझदारी , सामंजस्य,प्रेम  देख कर .. नमिता जी भी गदगद थी।

ढेर सारी व्यस्तता, जिम्मेदारी ,के बीच, प्यार और अपने पन से भरा ये ( छोटा सा) कदम ,जीवन की लंबी यात्रा में किसी जड़ी बूटी से कम नहीं!

और ये किसी भी रूप में है सकता है… आप खाना खाने के बाद डाइनिंग टेबल पर फैले सामान समेट  दें… अपनी चीजें व्यवस्थित रखें..  अपने छोटे मोटे कामों के लिए दूसरे पर आश्रित न हों.. बिस्तर जमा दें.. बेशक ये उतने बड़े और महत्वपूर्ण काम नहीं जो आप घर से बाहर जा कर करते हैं, परंतु इसी तरह आप बाहर अपने कार्यक्षेत्र को परफेक्ट रखते हैं न.. फिर ये तो घर है

कहते हैं ना घर से बाहर वो ही अपने काम में सर्वश्रेष्ठ   परिणाम दे सकता है जो  घर में पूर्णतः चिंता मुक्त हो!

तो अब पति पत्नी दोनों ही की जिम्मेदारी है घर के माहौल को ज्यादा  खुशनुमा, सुविधा जनक,, आरामदायक बनाने की!

ये वो प्यार भरे छोटे छोटे प्रयास हैं __

जिसके बाद कोई स्त्री फिर से उठ खड़ी होती है और भी ढेर सारी ऊर्जा से लबरेज होकर, ढेरों दूसरी जिम्मेदारियों को कमर कस कर उठाने के लिए!

और क्या भैया.. प्यार जताने, बोलने और मंहगे तोहफे देने से ही नहीं झलकता.. प्यार इन छोटे – छोटे( मगर अनमोल, अदृश्य ) कदमों, प्रयासों में छिपा है!! कि आप अपने जीवन साथी का कितना ध्यान रखते हैं,उसकी कितनी परवाह करते हैं!

क्या पूछा?.. कहां से मिला हमको ( ये वाला) आइडिया,इस स्टोरी को लिखने का?

तो भैया.. बहुत करीब से देखा है हमनें ( ऐसे  कपल को)

अब तुम्हें और क्या बताएं

स्वरचित सर्वाधिकार सुरक्षित 

पूर्णिमा सोनी

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