moral stories in hindi : ओहो रामू तीन दिनों से समझा रही हूं तुझे कि वो एसी वाला कमरा राजन बाबू के लिए तैयार करना है ये नई वाली चादरें भी उसी कमरे के लिए निकाली थी मैने… तूने यहां इस कमरे में क्यों बिछा दीं..सुमित्रा जी रामू पर बिगड़ रही थीं।
वो मां जी राकेश जीजा यहीं रुकते है हमेशा इसलिए….
हां हां रुकते हैं जब वो अकेले आते हैं फिर वो तो पास में रहते हैं जब देखो तब आए रहते हैं लेकिन ये छोटे राजन बाबू तो एक साल के बाद आ रहे हैं अरे क्या सोचेंगे वो उनकी आदत है एसी में रहने की… बे अक्ल है तू बिलकुल …चल जल्दी उठा ये सब और उसी कमरे में बिछा ….!!
अरे श्रीमती जी हमे भी आपके हाथों की एक कप चाय मिलेगी या नहीं..!!अभी तक आपकी तैयारी खत्म नहीं हो पाई है दो दिनों बाद ही तो सबको आना है …गोपीनाथ जी ने रामू को डपटने के बाद सुमित्रा जी को फिर से लड्डू और सलोनी बनाने में व्यस्त देख कर टोक दिया ।
राखी की जोरदार तैयारियां चल रहीं थीं सुमित्रा जी बहुत ज्यादा उत्साह में थीं इस बार चारों बेटियों के साथ चारों दामाद भी आने वाले हैं इतनी तैयारी करते करते थक गई थी वो इसीलिए बहू माला को विदाई के लिए दिए जाने वाले गिफ्ट्स लाने की जवाबदारी देकर बाजार भेज दिया था उन्होंने ।
अरे आपको भी टाइम बे टाइम चाय ..!!अभी रुकिए बस ये चार पांच लड्डू रह गए हैं बना लूं तब तक माला भी आ जायेगी वो बना देगी चाय.. सब साथ में पी लेंगे.. खूब मन लगाकर लड्डू बांधती सुमित्रा जी का जवाब सुन गोपी नाथ मुस्कुरा दिए अरे श्रीमती जी लाइए बाकी के लड्डू हम बांधे देते हैं….
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तभी माला ढेर सारे सामान से लदी आ गई लीजिए मां मैं सबके लिए गिफ्ट ले आई हूं आइए देख लीजिए कहते हुए उसने गिफ्ट निकालना शुरू कर दिया…!
सुमित्राजी सारे गिफ्ट्स देख कर खुश हुईं ..” हां वाह मेरी बहू की च्वाइस बहुत बढ़िया है …सभी बहुत बढ़िया हैं… ये बड़ा सा पैकेट किसका है उनकी उत्सुकता के साथ गोपीनाथ जी भी उत्सुक होकर उस बड़े पैकेट को देखने लग क्योंकि वो सबसे अलग और सबसे बड़ा था…!
ये राजन जीजाजी का है मां सबसे महंगा गिफ्ट यही है आपने ही कहा था वो बहुत बड़े अधिकारी हैं इसलिए…..माला के संकुचित होते स्वर को काटते हुए सुमित्रा जी एकदम से खुश हो कर बोल उठीं
हां हां बहू तुझे याद था ठीक किया अब राजन जी की बात ही अलग है बाकी दमादों से उनकी क्या तुलना करना उनका स्तर बहुत उच्च है तो गिफ्ट भी वैसा ही होना चाहिए ना..!! अपने दामाद के उच्च अधिकारी होने का गर्व उनकी आंखों में चमक उठा था और बातों में भी बिखर गया था…जल्दी खोल के दिखा मुझे माला से उन्होंने कहा ही था कि तभी..
रुक जा बहू …..अचानक गोपीनाथ जी की तेज आवाज से माला सहम सी गई ….जी पिता जी??प्रश्नवाचक निगाहें थी उसकी।
हां रुक जा बिलकुल नहीं खोलना इस गिफ्ट को ऐसा ही वापिस करके आ …जा अभी तुरंत…गंभीर आवाज में उन्होंने कहा तो सुमित्रा जी से नहीं रहा गया..” क्यों क्यों वापिस होगी ये गिफ्ट देखने तो दो क्या ऐसा हो गया जो आपको आपत्ति होने लग गई है!!”
सुमित्रा… मैं सुबह से देख रहा हूं तुम हर बात में एक दामाद की ज्यादा तारीफ ज्यादा ख्याल ज्यादा सम्मान के यत्न कर रही हो और अब ये !!तुम ये क्या अनर्थ करने जा रही हो !!मुझे तुमसे ये उम्मीद नहीं थी अरे अपने चारो बेटियों और दामादों को हम एक ही आंख से देखते हैं वे हमारे लिएएक बराबर हैं ..किसी दामाद का पद बहुत ऊंचा है अच्छी बात है…इसका ये अर्थ कदापि नहीं है कि इस आधार पर घर के दूसरे दामाद नीचे हो गए ये घर है सुमित्रा …यहां रिश्तों का सम्मान होता है पद का नहीं..!गिफ्ट में इस तरह भेदभाव करके तुम सबके सामने अपरोक्ष रूप से अन्य दमादो की सबके सामने बेइज्जती कर रही हो इससे केवल दमादो में अलगाव ही नहीं पैदा कर रही हो बल्कि हमारी बेटियों का सुखमय भविष्य भी अंधकारमय कर रही हो ।
अरे मैं उनका गिफ्ट चुपचाप उन्हीं को अकेले में दे दूंगी किसी को कुछ पता ही नहीं चलेगा ..सुमित्रा जी अभी भी अपने दामाद का ही पक्ष लेने में लगी थीं।
सुमित्रा बात गिफ्ट की नहीं है बात सम्मान और अपमान की है बात पद के आधार पर घर में भेदभाव की है ..!सुनो सबके गिफ्ट एक जैसे ही रहेंगे और सबके सामने ही दिए जायेंगे ये अकेले में चुप चाप लेना देना रिश्तों की मजबूती के लिए खतरनाक होता है
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मैं इस तरह की कोई भी आपत्तिजनक बात करके अपने इस परिवार में कलह नहीं पैदा करना चाहता हम बड़े हैं हमें अपने मन और व्यवहार दोनों से अपने सभी बच्चों को एक आंख से देखना चाहिए तुम एक दामाद का विशेष ख्याल करोगी तो बाकी को अपमान नहीं महसूस होगा !!वो कहेंगे कुछ नहीं लेकिन बेटियों पर गुस्सा निकालेंगे मायके आना बंद कर देंगे …!!
माला…. जा और इस गिफ्ट को अभी वापिस करके आ गोपीनाथ जी तेज स्वर में बोल उठे।
नहीं माला रुक….अभी बाजार जा पर इसे वापिस करने नहीं बल्कि ऐसे ही तीन और गिफ्ट्स लेती आना मेरे चारों दामादो के लिए …वो सब मेरे इस परिवार की शान हैं सम्मान हैं..!सुमित्रा जी ने गोपीनाथ जी की तरफ कृतज्ञता पूर्वक देखते हुए कहा
…चलिए श्रीमती जी अब इसी बात पर अपने हाथों की एक कप चाय पिला दीजिए गोपीनाथ जी ने पत्नी की समझदारी पर मुस्कुराते हुए कहा तो सुमित्रा जी भी जी अभी लीजिए कहती संतोष से मुस्कुरा उठीं थीं।
लतिका श्रीवास्तव
#एक आंख से देखना
Excellent