रिश्तो का अचार – रोनिता कुंडु  : Moral stories in hindi

Moral stories in hindi  : क्या बात है मीरा..? इतनी उदास क्यों हो..? पार्क में बैठी मीरा से उसकी सहेली सुनीता ने पूछा…

नहीं कुछ नहीं सुनीता… बस कुछ सोच रही थी, मीरा ने कहा..
सुनीता:   नहीं, पक्का कुछ हुआ है… बताओ ना.. अरे मुझ पर भरोसा कर सकती हो… मैं किसी को नहीं बताऊंगी…

मीरा:  वह कल एकादशी का व्रत टूट गया.. मेरी बहू की वजह से, बस इसलिए उदास हूं…

सुनीता:   क्या किया तेरी बहू ने..?

मीरा:   मैं एकादशी में नमक नहीं खाती और उसने कोई मीठा नहीं बनाया कल, पूछा तो बहस करने लगी और मुझे इतना गुस्सा आया कि मैंने गुस्से में खा लिया नमक…

सुनीता:   यह आजकल की लड़कियां होती ही ऐसी है.. बस अपनी मन की करती है…

मीरा:   देखो सुनीता.. तुमने पूछा मैंने बता दिया, पर मैं नहीं चाहती यह बात और किसी को पता चले और सब मुझ पर हंसे…

सुनीता:   अरे मैं कोई चुगलखोर हूं क्या..? उसके बाद एक दिन मीरा अपनी बहू अनीता को फोन पर यह कहते हुए सुनती है कि, मैंने तो मम्मी को नमक खिला ही दिया… ना जाने कितने ही उपवास और व्रत करती रहती है इस उम्र में और बार-बार बीमार पड़ जाती है… स्वास्थ्य से बड़ी पूजा और क्या हो सकती है..? प्यार से मम्मी तो सुनेंगी नहीं, इसलिए झगड़ा ही कर लेती हूं… क्या फर्क पड़ता है..? अगर मेरे बुरे रहने से मम्मी स्वस्थ रहे तो मैं बुरी ही भली.. 

अनीता के इस बात से मीरा अपनी सोच पर बड़ी पछताने लगी.. क्या सोचती थी वह अनीता के बारे में, पर यह तो मेरी ही भलाई के लिए यह सब कर रही है… खैर अब मीरा का नजरिया अनीता के लिए पूरा बदल चुका था…

एक दिन मोहल्ले की शादी में मीरा अपनी बहू के साथ पहुंचती है.. जहां सुनीता भी होती है… अनीता को देखते ही कुछ औरतें वहां कानाफुसी करने लगती है… फिर एक औरत कविता मीरा को किनारे ले जाकर कहती है… देखो मीरा बहन, तुम घबराओ मत तुम्हारी बहू को सीधा करने का हथियार है मेरे पास.. हम सभी औरतें तुम्हारे साथ है… तुम बस हमारे हां में हां मिलाओ और फिर देखो हम तुम्हारे बहू के होश कैसे ठिकाने लगाते हैं..?

मीरा:   यह सब क्या कह रही हो..? मेरी बहु ने ऐसा क्या किया जो उसके होश ठिकाने लाने की नौबत आ गई..?

कविता:   देखो मीरा बहन… सुनीता बहन ने हमें सब बता दिया है कि कैसे तुम्हारी बहू ने तुम्हारा व्रत तुड़वा दिया… तुम्हें भूखा रखती है… हमें सब पता है… तुम्हें किसी से डरने की जरूरत नहीं… हम तुम्हारे साथ हैं

मीरा को समझते देर ना लगी, वह तुरंत सुनीता के पास जाकर कविता से कहती है… मुझे अपनी बहू से नहीं, इससे बचना है… क्या तुम इससे बचा सकती हो..?

सुनीता:   यह क्या कह रही हो मीरा..? मैंने तुम्हारी मदद की उल्टा तुम मुझे ही.?

मीरा:   मदद..? तुम पर विश्वास कर मैंने बहुत बड़ी गलती की है.. हम तुरंत ही किसी के बारे में अपने विचार बना लेते हैं और तुरंत ही किसी पर भरोसा भी कर लेते हैं… उस दिन मैंने तुम पर भरोसा कर अपनी बात बताई और तुमने उसमें मसाला लगाकर उसे बात को फैला दिया… जबकि मेरी बहू खुद बुरी बनकर मेरे सेहत के बारे में सोचा और अपनी पूरी बुराई फैला ली

सुनीता:   जब इतनी ही अच्छी है तुम्हारी बहू, तो फिर उसके बारे में क्यों बोलती फिरती हो..?

मीरा:   सिर्फ तुम्हें बताया था सुनीता, जो तुमने ढिंढोरा पीटा दिया, पर आज एक सबक मिला है कि लाख बुराइयां या अच्छाइयां हो अपने परिवार में, बाहर उसका जिक्र ना करें… वरना बाहर वाले उस पर मसाले लगाकर रिश्तो का अचार बना डालेंगे और जहां अचार बनेगा वहां तो खटास भी आएगी ही ना..!

धन्यवाद
रोनिता कुंडु 

#तुम पर विश्वास करना मेरी सबसे बड़ी गलती थी 

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