रिश्ते”- नीरजा कृष्णा : Moral Stories in Hindi

आगरा से बड़ी भाभीजी आईं और दनदनाते हुए उनके बैडरूम में घुस गई, आशा के विपरीत मधु की तस्वीर वहाँ लटकी देख कर वो एकदम बिफ़र गई,”ये क्या भैया! इतना समझाने पर भी वोही ढाक के तीन पात ! आप समझते क्यों नही? मधु आपका पास्टटैंस है और महिमा आपका वर्तमान और भविष्य भी है! आपको उसकी भावनाओं का ख्याल रखना चाहिए ना!”

विवेक जी सिर झुकाए मौन खड़े रहे, बाहर खड़ी महिमा के ह्रदय में कुछ ठक्क से हुआ….मानो कुछ चटक सा गया…. उसे लगने लगा था …उसके धैर्य और त्याग की परीक्षा ली जा रही है…।

भाभीजी आहत होकर बोली..”भैया !आपसे कुछ पूछा जा रहा है!जवाब दीजिए ना।”
“भाभीजी! क्या बोलूँ? मैं अजीब तरह का घेराव फ़ील कर रहा हूँ, आपकी बात को सोलहों आना सही मानते हुए भी मैं ये कैसे भूल जाऊँ कि वो मेरी मीनू की माँ है….. भले ही बीमारी उसे इस दुनिया से दूर ले गई पर मैं कैसे उसे अपने दिल से दूर कर दूँ? महिमा के प्रति भी पूरी तरह निष्ठावान रहना चाहता हूँ।”

“नही भैया, यहाँ आप गलत हो! अब आपको महिमा का भी ध्यान रखना होगा, उसकी भावनाओं का आदर करना होगा, उसके त्याग का सम्मान करना होगा! अब आपको मधु की तस्वीर यहाँ से हटा ही देनी चाहिए! एक औरत की मन:स्थिति एक औरत ही समझ सकती है इसीलिए आपको बार बार समझा रही हूँ।”
रात का भोजन निपटा कर सब पुनः उनके बैडरूम में एकत्रित हुए तो वो अचानक बोली,”वाह भैया! ये एकदम ठीक किया! यहाँ अब मधु की जगह आपकी और महिमा की फ़ोटो कितनी सुंदर लग रही है।”

उन्होंने चौंक कर सवालिया निगाह इधरउधर डाली ही थी कि मीनू आकर महिमा से लिपट गई,”पापा पुरानी मम्मी की फ़ोटो मैंने हटा कर आपकी नई मम्मी के साथ वाली फ़ोटो यहाँ लगा दी है! मैम ने पढ़ाया था ….जन्म देने वाली मम्मी से पालने वाली मम्मी ज्यादा महत्वपूर्ण होती है इसीलिए तो देवकी माँ से अधिक यशोदा मैया की जयजयकार होती है।”
नीरजा कृष्णा
पटना

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