राधिका का सफर – संगीता अग्रवाल 

” सॉरी मिस्टर राहुल आपकी बीवी कभी मां नही बन सकती !” अपनी पत्नी राधिका को लेकर अस्पताल आए राहुल से डॉक्टर ने कहा।

” क्या…..पर डॉक्टर कोई इलाज तो होगा कोई उम्मीद कुछ तो !” राहुल बोला।

” देखिए राहुल जी चमत्कार पर मैं विश्वास नहीं करती और हकीकत आपको बता ही चुकी मैं बेहतर है आप कोई बच्चा गोद ले लें!” डॉक्टर बोली । 

थके कदमों से राधिका और राहुल अस्पताल से बाहर आ गए। इससे पहले की मैं कहानी आगे बढ़ाऊं आपको अपनी कहानी के पात्रों का संक्षिप्त परिचय दे देती हूं।

राहुल एक मल्टीनेशनल कंपनी में नौकरी करता है अच्छा घर पैसा सब है उसके परिवार में पत्नी राधिका के सिवा उसकी मां शर्मिला जी और एक विवाहित बहन निधि है। राधिका राहुल के साथ ही नौकरी करती थी अनाथ थी। राहुल को वो पसंद आई और उसने अपनी माता जी से विवाह की जिद की हालाकि शर्मिला जी प्रेम विवाह के हक में नही थी पर बेटे की जिद में झुक गई लेकिन उन्होंने दिल से राधिका को कभी स्वीकार नहीं किया यहां तक की उन्होंने राधिका को शादी बाद नौकरी तक की इजाजत नहीं दी। राधिका और राहुल की शादी को चार साल हो गए पर वो औलाद का सुख नहीं देख पाए। अब तो घर में राहुल की दूसरी शादी की बात भी चलने लगी हैं क्योंकि शर्मिला जी बच्चा गोद लेने के हक में भी नही थी।



दोनो अस्पताल से जैसे ही घर आए….

” आ गए दोनो कर दिया ना डॉक्टर ने भी मना अरे मैं तो पहले ही कह रही थी बंजर जमीन में फूल नही खिला करते !” दोनो के लटके चेहरे देख शर्मिला जी कड़वाहट से बोली।

” मां प्लीज भगवान के लिए चुप हो जाओ!” राहुल चिड़चिड़ा कर बोला राधिका रोते हुए अंदर चली गई।

” बेटा तू मेरी बात मान लें दूसरी शादी कर ले औलाद का सुख बहुत बड़ा सुख होता है और ये तुझे वो सुख कभी नही दे सकती इसलिए तू मेरी बात पर विचार कर!” शर्मिला जी ने बेटे से प्यार से कहा। राहुल चुप रहा जिसे शर्मिला जी ने उसकी मूक सहमति समझा और राहुल के लिए लड़की तलाशने लगी। उनकी तलाश जल्द पूरी हुई अपने एक गरीब दूर के रिश्तेदार के रिश्तेदार पर जा। जिसने इस शर्त पर शादी की हामी भरी की राहुल राधिका को तलाक दे देगा भले फिर राधिका उसी घर में रहे।

” राहुल तू राधिका से इन पेपर्स पर साइन करवा ले !” शर्मिला जी एक पेपर देते हुए राहुल से बोली।

” राधिका इस पेपर पर साइन कर दो !” राहुल कमरे में आकर बोला।

” क्या है ये …. तलाक के कागज …राहुल तुम मुझे तलाक दे रहे हो !” राधिका पेपर देख हैरानी से बोली।

” हां क्योंकि मैं बाप बनना चाहता हूं जो तुम्हारे साथ संभव नहीं मैं तुम्हे तलाक दे रहा हूं पर घर से नही निकाल रहा क्योंकि जानता हूं तुम अनाथ हो… तुम इस घर में रह सकती हो पर इन पेपर पर साइन तो तुम्हे करने होंगे !” राहुल सख्त लहजे में बोला।

अंदर कुछ टूट सा गया राधिका के …प्यार , समर्पण , त्याग का ये सिला। एक औरत को ही क्यों हर बार झुकाया जाता…इस घर में रहने की शर्त है तलाक पर तलाक बाद किस रिश्ते से वो यहां रहेगी ..।

” अगर मैं साइन ना करूं तो ?” राधिका बोली।

” साइन तो तुम्हारा बाप भी करेगा !” राहुल जो अभी तक शांत था एक झटके से राधिका का हाथ पकड़ गुस्से में बोला।



अब क्या करूं राधिका के मन में विचार आया। रिश्ते की डोर टू झटके में टूट गई …उसने गुस्से और दुख के मिले जुले भाव से पैन लिया और साइन कर दिया।

” लो और निकल जाओ इस कमरे से !” पेपर राहुल को दे धकियाते हुए उसने राहुल को कमरे से निकाल दिया और खुद फूट फूट कर रो दी। क्या जिंदगी है एक औरत की जिस इंसान के बल पर गृहस्थी बसाती है वो एक बच्चा ना होने की सूरत में उसी पत्नी का तिरस्कार करने से नही चुकता…क्या मैं सारी जिंदगी यहां तिल तिल कर मरते हुए काटूंगी। 

दो दिन तक राधिका कमरे में भूखी प्यासी पड़ी रही किसी ने उसकी सुध नहीं ली । सब लोग तो शादी की तैयारियों में लगे थे….आखिर शादी वाला दिन भी आ गया और सब लोग चले गए पीछे रह गई अकेली राधिका और उसके टूटे रिश्ते की लाश। ” नही अब मैं इस घर में नही रहूंगी जिसमे मेरा कोई वजूद नहीं ….जहां औरत को सिर्फ बच्चे पैदा करने के कारण अपनाया जाए वो घर घर नही हैं ….यहां तिल तिल कर मरते से अच्छा मैं अपनी जान दे दूं ” ये सोच राधिका एक चिट्ठी छोड़ जिसमे उसने लिखा उसे ढूंढने की कोशिश न की जाए घर छोड़ चली गई।

जब राहुल शादी के बाद वापस आया उसने चिट्ठी पढ़ी तो उसके चेहरे पर मुस्कान आ गई कि चलो पीछा छूटा।

कुछ दिन बाद…..

” मैं यहां कैसे ?” राधिका ने आंख खोली तो खुद को अस्पताल के बेड पर पाया।

” बेटा तुम एक गाड़ी से टकरा गई थी मैं तुम्हे यहां ले आई शुक्र है आज चार दिन बाद तुम्हे होश आया अब अपने घर का पता दो उन्हे खबर कर दूं वो परेशान होंगे !” पास में बैठी एक वृद्ध सज्जन महिला बोली।

” मेरा कोई घर नही ना कोई अपना !” राधिका के ये बोलते ही वो महिला समझ गई कि बच्ची कोई चोट खाए हुए है इसलिए उन्होंने कुछ पूछना उचित नहीं समझा और राधिका के ठीक होने पर उसे अपने घर ले आई। वो महिला एक एनजीओ चलाती थी जिसमे अनाथ बच्चों को पढ़ा लिखा कर पैरों पर खड़ा किया जाता था। राधिका ने उनका अपनत्व देख उन्हे अपनी कहानी बता दी। उस महिला ने राधिका को उसका अधिकार दिलाने की बात की पर राधिका मना कर दिया और एनजीओ में नौकरी करने लगी।औलाद के लिए तरसती राधिका को वहां इतने सारे बच्चे मिल गए जिससे उसका मातृत्व संतुष्ट होता था साथ ही वो अपना दुख भी भूल गई थी।

वक्त बीतता गया राधिका को घर छोड़े सात साल हो गए उन वृद्ध महिला ने अपनी बीमारी के चलते एनजीओ का सारा जिम्मा राधिका को सौंप दिया। क्योंकि उनका भी अपना कोई नही था और राधिका को वो अपनी बेटी मानती थी राधिका भी उन्हें मां की तरह सम्मान देती थी।

” मां देखो राधिका की तस्वीर छपी है अखबार में !” एक दिन राहुल राधिका की तस्वीर अखबार में देख चिल्लाया।

” दिखा तो ….ये तो कोई बहुत बड़ी हस्ती बन गई है !” शर्मिला जी फोटो देख बोली।

खबर पढ़कर राहुल को पता लगा उसके शहर में एनजीओ की स्थापना करने आई हुई है राधिका वो उससे मिलने पहुंच गया।

” मैडम आपसे मिलने कोई मिस्टर राहुल आए हैं !” चपड़ासी ने राधिका को सूचित किया राहुल नाम सुन राधिका के जख्म हरे हो गए फिर भी उसने उसे अंदर बुलवा लिया।

” कहो क्या कहना है?” राहुल के अंदर आते ही राधिका रूखे पन से बोली।

” बहुत बड़ी बन गई हो तुम तो !” राहुल हैरानी से बोला।

” मुद्दे की बात पर आओ !” राधिका सपाट लहजे में बोली।

” राधिका तुम अपने घर लौट आओ मेरे पास लौट आओ हम बच्चा गोद ले लेंगे और हंसी खुशी रहेंगे !” अचानक राहुल बोला।

” क्यों तुम्हारी तो शादी हुई थी …अब तक तो बच्चे भी हो गए होंगे !” राधिका व्यंग्य से बोली।

” शादी हुई थी पर बच्चे नही बाद क्योंकि शादी के बाद वो लड़की सब कुछ लूट कर भाग गई अपने प्रेमी के साथ शायद जो मैने तुम्हारे साथ किया उसकी यही सजा है उसके जाने के बाद मैंने तुम्हे कितना ढूंढा तुम नही मिली आज अखबार में छपी फोटो के जरिए तुम तक पहुंचा हूं … चलो अपने घर चलो बहुत जल्द हम बच्चा गोद ले मां बाप भी बन जायेंगे !” राहुल उसका हाथ पकड़ बोला।।

” मैं मां तो बन गई हूं वो भी इतने सारे बच्चों की पर अफसोस मिस्टर राहुल आप न पति बन पाए न बाप …दुबारा मुझसे मिलने की कोशिश भी मत करना वरना पुलिस कंप्लेन कर दूंगी ….अब आप जा सकते हैं यहां से !” राधिका गुस्से में बोली और बाहर निकल गई जहां उसका इंतजार हो रहा था राहुल हैरानी से राधिका को जाते देखता रहा। राधिका अपने सफर पर निकल गई जहां प्यार , सम्मान था साथ ही था मातृत्व का सुख।

दोस्तो आज भी हमारे समाज में बच्चा पैदा न कर सकने का दोषी औरत को मान उसपर जुल्म किए जाते। यहां तक की कुछ आदमी दूसरी शादी तक कर लेते बिन ये जाने की औरत के दिल पर क्या बीतती होगी। क्या ऐसी दशा में दूसरी शादी ही उपाय है क्या बच्चा गोद ले इस कमी को पूरा नहीं किया जा सकता।

मेरी नजर में राधिका ने बिल्कुल ठीक किया जो राहुल की बात नही मानी और आपकी नजर में ?

जवाब की अभिलाषी

संगीता

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