प्रेम सिंधारा – ऋतु गुप्ता : Moral stories in hindi

Moral stories in hindi : मीता और मयंक की शादी को चार महीने होने को आये,दोनों का प्रेम विवाह हुआ है, मंयक के परिवार वालों ने तो इस रिश्ते को आगे बढ़कर अपनी स्वीकृति दे ही दी और स्वागत किया ।लेकिन ना जाने क्यों मीता के परिवार वाले इस रिश्ते को स्वीकृति देने में अपनी बेइज्जती महसूस करते रहे, क्योंकि मंयक उनकी जाति का नहीं है। जबकि आज के समय में उन्हें ये समझना चाहिए कि मंयक एक पढ़ा-लिखा समझदार और अच्छे परिवार से संबंध रखने वाला लड़का है ,और सबसे बड़ी बात तो ये कि वो मीता को बेहद प्यार करता है, और उसे जिंदगी भर खुश रखेगा।

मीता के ससुराल में सभी बहुत अच्छे और भले लोग हैं, सभी से उसे ढेर सारा प्यार और दुलार मिला है, क्योंकि मंयक चारों भाइयों में सबसे छोटा और लाडला है, इसलिए मीता भी घर भर की लाडली बहू है।

मीता की जेठानियांँ भी उसे छोटी बहन जैसा ही प्यार दुलार देती है । और सासू मां सुगंधा जी का तो कहना ही क्या… लगता ही नहीं कि वह सासू मां है, कहने को उनके सिर्फ चार बेटे हैं, लेकिन बहुओं को बेटियों से बढ़कर प्यार और दुलार देती है, हर बात प्यार से समझाती है।

 सुगंधा जी का मानना है कि बहुएं अपना सब कुछ छोड़कर नये परिवार में आती है, और सभी को अपना मानती है, तो हमें भी बहुओं को बेटियों जैसी ही इज्जत और प्यार देना चाहिए।

लेकिन ससुराल में कितना भी प्यार दुलार मिले कितना भी ससुराल संपन्न हो,तीज और त्यौहारों पर मायके की याद आती ही है, एक बेटी के लिए मायका वह धूरी है जिसकी यादों के साए से वो शायद ही जिंदगी भर निकल पाती है। 

चाहे जो उम्र हो जाए मायके का नाम आने पर पता नहीं मन भावविभोर हो ही जाता है ।बुजुर्ग से बुजुर्ग महिला भी मायके की यादों में पहुंचते छोटी बच्ची बन जाती है।

तो फिर आज तो मीता की ससुराल में पहली हरियाली तीज है, सभी जेठानियों के मायके से सिंधारे आए हैं, घर में बहुत चहल पहल है, मीता सबके साथ हंँसती है, बोलती है, मुस्कुराती है, लेकिन मन ही मन बहुत उदास है।

तभी दरवाजे की घंटी बजती है कोरियर वाला मीता के नाम का कोरियर मीता को देता है, मीता मन ही मन सोचती है,किसने भेजा होगा ? सोचते सोचते ही वो कोरियर खोलती है, तो देखती है उसमें उसके नाम का पूरा श्रंगार ,गुझिया, मीठे, फल ,नमकीन और उसके मनपसंद रंग बसंती पीले रंग की जरी बार्डर की साड़ी रखी हुई हैं, और ढेर सारी चूड़ियां भी साथ है।

उसमें रखी एक चिट्ठी जिसमें लिखा है “मेरी प्यारी मीता बिटिया को उसका पहला सिंधारा शुभ हो ।

शुभकामनाओं सहित तुम्हारी मां

सुगंधा

मीता की आंख से नेह के आंसू झर झर झरने लगते हैं, और वो जाकर अपनी सास सुगंधा के गले लग जाती है, कुछ कह नहीं पाती, उसकी सारी भावनाएं मूक हो जाती है।

तभी सुगंधा जी मीता के गाल पर प्यार से चपत लगाती हैं, और कहती हैं,रोती क्यूं है पगली ..क्या मैं तेरी मां नहीं?

उस एक प्यारे पल पर मीता और उसका पूरा परिवार मुस्कुराने लगता है और सब मिलकर मीता की पहली हरियाली तीज पर्व को खुशीयों के साथ धूमधाम से मनाते हैं।

इतनी खुशियों के बीच मीता को लगता है जैसे वो सब उसके अपने है जिन्हें वो बचपन से जानती है, उसे अपनी ससुराल अपना मायका सा नजर आता है और वो भी इन खुशियों में डूबे जाती है।

अबकि बार जो ससुराल शीर्षक मिला है, इस पर बहुत कुछ लिखा जा सकता है, क्योंकि सावन का महीना चल रहा है और हमारे यहां न‍ई बहू को सावन में ससुराल और मायके दोनों तरफ से सिंधारा दिया जाता है ।उसी को केंद्रित कर एक कहानी आपके समक्ष प्रस्तुत की है, कृपया कर आप सभी गुणींजन अपने विचारों से अवगत करायें और अपना प्रेम बनायें रखे।

ऋतु गुप्ता

खुर्जा बुलन्दशहर

उत्तर प्रदेश

#ससुराल

 

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